tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post4756164105898591289..comments2024-02-08T02:17:06.745-08:00Comments on मेरा सरोकार: परिवार दिवस !रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-58928687898748719312013-05-25T00:40:55.409-07:002013-05-25T00:40:55.409-07:00रेखा दी .......वक्त बहुत तेज़ी से बदल रहा है ...अब ...रेखा दी .......वक्त बहुत तेज़ी से बदल रहा है ...अब देखते हैं संयुक्त परिवार कब तक खुद को संभाल कर चलते है ...जो इस वक्त में खुद को संभाल गया उसे कोई भी वक्त कभी उसकी जगह से नहीं हिला सकता Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-28735017473587369612013-05-17T00:41:33.779-07:002013-05-17T00:41:33.779-07:00माता -पिता अपनी पूँजी लगा कर घर बनाते हैं कि ये बे...माता -पिता अपनी पूँजी लगा कर घर बनाते हैं कि ये बेटे का कमरा और ये हमारा लेकिन बेटे का कमरा फिर आबाद कहाँ हो पता है ?<br /><br /> उन्हें अपनी इच्छानुसार वही घर खोजना होता है जहाँ उन्हें रहना है और एक पीढी पुरानी पसंद भी उन्हें पुरानी लगने लगती है.<br /><br />सवाल भी है<br />और जबाब भी है <br />परेशान सब हैं <br />लेकिन कोशीश <br />किसी को नहीं करना है<br /> सार्थक सामयिक अभिव्यक्ति<br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-81105566947389645072013-05-16T20:29:04.464-07:002013-05-16T20:29:04.464-07:00त्याग का जीवन से दूर होना और भोगवाद का जीवन में प...त्याग का जीवन से दूर होना और भोगवाद का जीवन में पदार्पण के कारण ही परिवार टूट रहे हैं। सभी को अकेलेपन की स्वतंत्रता चाहिए। लेकिन यह बादल एक दिन छंटेगे जरूर। क्योंकि बिना परिवार के हम न जाने कितनी मुसीबतें झेल रहे हैं। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-38367972176673369332013-05-16T03:35:20.034-07:002013-05-16T03:35:20.034-07:00परिवार तो बने ही रहेंगे लेकिन जो विस्फोट हो रहा है...परिवार तो बने ही रहेंगे लेकिन जो विस्फोट हो रहा है उसकी विभीषिका में सब जलेंगे . अभी तक तो विवाह के बाद परिवार टूटते नजर आने लगे हैं और कल ये होगा कि अगर हमने अपने ही प्रयासों से अपने ही घर को न बचाया तो कल को उससे पहले ही बच्चे दूर होते चले जायेंगे और हो ही रहा है. अब बच्चे चाहे पढाई के लिए , चाहे नौकरी के लिए घर छोड़ कर बहुत पहले चले जाते हैं और फिर उनका लगाव भी उसी तरह से बँट जाता है .फिर वे वापस वहां रहने हमेशा के लिए तो नहीं ही आते है . अपवाद इसके भी हैं लेकिन चाहे वह मजबूरी हो या फिर भटकाव - कही और अपनत्व खोज कर बस जाते हैं . माता -पिता अपनी पूँजी लगा कर घर बनाते हैं कि ये बेटे का कमरा और ये हमारा लेकिन बेटे का कमरा फिर आबाद कहाँ हो पता है ? उन्हें अपनी इच्छानुसार वही घर खोजना होता है जहाँ उन्हें रहना है और एक पीढी पुरानी पसंद भी उन्हें पुरानी लगने लगती है. रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-77984188070365816182013-05-15T21:51:13.044-07:002013-05-15T21:51:13.044-07:00प्रकृति परिवर्तनशील है,समाज परिवर्तनशील,रीति रिवाज...प्रकृति परिवर्तनशील है,समाज परिवर्तनशील,रीति रिवाज परिवर्तनशील है तो परिवार में परिवर्तन तो आएगा ही.आजतक कोई रोक नहीं पाया ,भविष्य में भी कोई रोक नहीं पायेगा.यह परिवर्तन इतनी धीमीगति से होता है, एक पीढ़ी में यह नजर नहीं आता .दो तीन पीढ़ी के बाद नज़र आता है .तब बहुत देर हो गयी होती है .<br /><br />latest post<a href="http://www.kpk-vichar.blogspot.in/2013/05/blog-post_12.html#comment-form" rel="nofollow"> हे ! भारत के मातायों</a><br />latest post<a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/05/blog-post.html#links" rel="nofollow">अनुभूति : क्षणिकाएं</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-8984363930310673802013-05-15T08:15:51.086-07:002013-05-15T08:15:51.086-07:00आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
धन्यवाद आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है <br />धन्यवाद दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-33716061349024222932013-05-15T07:56:16.009-07:002013-05-15T07:56:16.009-07:00परिवार बना रहे, प्यार बना रहे।परिवार बना रहे, प्यार बना रहे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-40212523407857021172013-05-15T04:58:44.163-07:002013-05-15T04:58:44.163-07:00हम आँख मूँद कर बस चले जा रहे हैं ..अंजाम न जाने क्...हम आँख मूँद कर बस चले जा रहे हैं ..अंजाम न जाने क्या होगा.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-14286739206002981542013-05-14T23:22:16.684-07:002013-05-14T23:22:16.684-07:00पश्चिम से अपनी मन मर्ज़ी जो सुविधापूर्ण लगता है वो...पश्चिम से अपनी मन मर्ज़ी जो सुविधापूर्ण लगता है वो ले लेते हैं बाकी जो अच्छा है और कष्ट पूर्ण है उसे छोड़ देते हैं ... वहाँ बुजुर्गों के लिए सरकार सोचती है ॥पर यहाँ ऐसा कोई प्रावधान नहीं है .... बस अपनी सुविधानुसार परिवार जैसी संस्था खत्म की जा रही है ... सार्थक लेख संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-25935788104987432842013-05-14T20:54:07.585-07:002013-05-14T20:54:07.585-07:00घर से मस्जिद बहुत दूर है चलो किसी रोते हुये बच्चे ...घर से मस्जिद बहुत दूर है चलो किसी रोते हुये बच्चे को हसाया जाये.<br /><br />शुरुआत तो खुद से करनी होगीPAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.com