tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post4787101730099662129..comments2024-02-08T02:17:06.745-08:00Comments on मेरा सरोकार: गर्मियों की छुट्टियाँ और अपना बचपन (१४)रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-2693997450593715532011-06-18T11:34:45.520-07:002011-06-18T11:34:45.520-07:00अब मैं भी कुछ प्रेरणा प्राप्त करता हूं और गुब्बा...अब मैं भी कुछ प्रेरणा प्राप्त करता हूं और गुब्बारे की हवा निकाल कर उसे वापिस समेटने का प्रयास करता हूं। हंसिए मत, बहुत गंभीर हूं मैं।हिन्दी ब्लॉगरhttps://www.blogger.com/profile/04725860353985121555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-55296696864291485942011-06-18T07:41:07.752-07:002011-06-18T07:41:07.752-07:00बहुत बढ़िया, शानदार और रोचक संस्मरण! बेहतरीन प्रस्...बहुत बढ़िया, शानदार और रोचक संस्मरण! बेहतरीन प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-13585601136626024462011-06-18T04:34:08.514-07:002011-06-18T04:34:08.514-07:00डॉ साहब का संस्मरण पढ़ कर अच्छा लगा. एक सीख भी दे ...डॉ साहब का संस्मरण पढ़ कर अच्छा लगा. एक सीख भी दे गये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-51900833464711285932011-06-18T00:09:36.114-07:002011-06-18T00:09:36.114-07:00बहुत सुन्दर रोचक संस्मरण| धन्यवाद|बहुत सुन्दर रोचक संस्मरण| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-90915271648559497182011-06-17T23:03:22.371-07:002011-06-17T23:03:22.371-07:00रोचक संस्मरण। शुभकामनायें।रोचक संस्मरण। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-41909943945997633642011-06-17T22:44:51.814-07:002011-06-17T22:44:51.814-07:00अरे वाह!
यह संस्मरण तो मेरे संस्मरण से मेल का रहा ...अरे वाह!<br />यह संस्मरण तो मेरे संस्मरण से मेल का रहा है!<br />गिरीश जी ने थर्मामीटर को मोमबत्ती दिखाई <br />और हमने मिट्टी के तेल की जलती हुई कुप्पी दिखाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-72447924789704795322011-06-17T18:54:53.989-07:002011-06-17T18:54:53.989-07:00काफ़ी दिनों से, जब से आपका पत्र मिला है तभी से मैं...काफ़ी दिनों से, जब से आपका पत्र मिला है तभी से मैं भी सोच रहा हूं कि कोई संस्मरण भेजूं लेकिन वक्त की तंगी आड़े आ रही है, तो भी आपका पत्र सहेज कर रख रखा है। <br />बचपन में हम तो अपनी ननिहाल में गर्मी की छुट्टियां मनाया करते थे। बाल्टी भर कर आम खाया करते थे। बंबे-रजबाहे में दोपहर को उसके पुल पल पर से पानी में छलांगे लगाते थे। मामू साहब के घोड़ों पर दौड़ लगाते थे और वह घबराते रहते थे कि कहीं कुछ हो न जाए। आंगन में एक नीम का पेड़ था और उसके नीचे दूध कढ़ता रहता था। लाल लाल दूध पिया करते थे। और भी बहुत कुछ करते थे। मौक़ा लगा तो अलग से लिखूंगा।<br />कुल मिलाकर हमारा बचपन ठीक गुज़रा और गर्मी की छुट्टियां तो हमारे बचपन के यादगार दिन हैं।<br /><br />डॉक्टर साहब एक मिलनसार आदमी हैं। जनाब से मैं लखनऊ में मिल चुका हूं। यह मौक़ा था लखनऊ के सहकारिता भवन में मुझे और सलीम ख़ान साहब को ईनाम से नवाज़े जाने का। डॉक्टर साहब आए भी और अपने साथ एक और विद्वान संपादक महोदय को लाए भी। आज उनके बचपन की बात भी पता चली लेकिन बच्चे आज भी ऐसे ही होते हैं।<br /><br />शुक्रिया !<br />http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/06/blog-post_17.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com