tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post6510434418134504548..comments2024-02-08T02:17:06.745-08:00Comments on मेरा सरोकार: इतिहास की पुनरावृत्ति !रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-51356529903067592732010-09-30T05:33:21.642-07:002010-09-30T05:33:21.642-07:00आपका कहना सही है .... बल्कि मैं कहूँगा .. संस्कारो...आपका कहना सही है .... बल्कि मैं कहूँगा .. संस्कारों की ज़रूरत लड़कों को ज़्यादा है ... वो ज़्यादा एगरेसिवे होते हैं ... सार्थक प्रश्न खड़े करती है आपकी पोस्ट ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-46525921127652685122010-09-30T02:07:43.817-07:002010-09-30T02:07:43.817-07:00मुकेश,
ये कहना कि ऐसी घटनाओं को र...मुकेश,<br /><br /> ये कहना कि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है, गलत है. अगर समाज को इन दरिंदों को दंड देने का हक़ होता तो ये काम न होते. ये कानून के ठेकेडार - कल तक उस स्कूल का मैनेजर पुलिस के सामने घूम रहा था और तथाकथित सांसद पुलिस पर दबाव बना रहे थेकि उनको छुआ न जाय . जब स्थिति बेकाबू हो गयी तो उन्हें आत्मसमर्पण करना पड़ा.<br />अगर पुलिस और कानून न्यायपूर्वक अपना काम करें तो इन अपराधियों के लिए ऐसे ही दंड निर्धारित हो जैसे इन लोगों ने किया है तो देख कर हमारी आत्मा थर्रा जाएगी. अपराध हर युग में होते थे और रहे हैं लेकिन अब जब सीमायें टूटने लगीं हैं तो या तो न्याय का अधिकार जिसका अपराधी हो उसके हाथ में रहे या फिर न्याय उस स्तर पर और शीघ्र दिया जाय.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-65759213605261148392010-09-30T01:27:22.397-07:002010-09-30T01:27:22.397-07:00Rekha di............bharat ek arab (million) se ba...Rekha di............bharat ek arab (million) se badi jansakhya wala desh hai.......aur inme agar 1% bhi aise kamine logo ko mane to bhi unki sankhya bahut jayda deekhti hai.......isliye ye to sambhav nahi hai ki aisee dukh bhari durghantnayen na ho......lekin ye bura lagta hai , jab aam logo ki samvedna bhi marr jati hai..!!<br /><br />kash aisa na hota........lekin aisa sirf socha hi ja sakta hai!!<br /><br />ek achchhi post!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-81513413855202455722010-09-29T17:06:10.742-07:002010-09-29T17:06:10.742-07:00रेखा जी..
स्तब्ध हूं..!रेखा जी..<br />स्तब्ध हूं..!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-58294227383724010022010-09-29T09:32:59.764-07:002010-09-29T09:32:59.764-07:00मै shikha varshney की बात से सहमत हुं, आगे मेरी र...मै shikha varshney की बात से सहमत हुं, आगे मेरी राय मै अगर ऎसे केस आये तो अपराधी को मार मार कर इतना मारा जये की देखने वालो के भी रोंगटे खडे हो जाये, ओर उस का हाल देख कर आईंदा कोई ऎसा घिनोन्ना कर्म करने से पहले हजार बार सोचे,ओर फ़िर उस के हाथ पेर तोड कर सडक पर फ़ेंक दिया जाये, क्योकि दरिंदो को इंसानो मे रहने लायक बनाने का यही एक् तरीका है.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-52272153982178548052010-09-29T08:59:49.641-07:002010-09-29T08:59:49.641-07:00रेखा जी। स्तब्ध हूं। आंसू ही साथ हैं, शब्द नहीं।
...रेखा जी। स्तब्ध हूं। आंसू ही साथ हैं, शब्द नहीं।<br /><br />महाकाव्य लिख डालो इतना पतन दिखाई देता है <br />जनता की आशाओं पर इक कफन दिखाई देता है। <br />उजड़ा उजड़ा सच कहता हूँ चमन दिखाई देता है ।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-38725025610307219312010-09-29T08:46:33.063-07:002010-09-29T08:46:33.063-07:00काश सरकार इन नराधमों को ऐसी सजा देने का प्रावधान क...काश सरकार इन नराधमों को ऐसी सजा देने का प्रावधान करे जिसमें उनकी सात पुश्तें भी अपराध के नाम से ही काँप उठें ! बेहतरीन लेख के लिए शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-33923923572225975012010-09-29T08:31:02.299-07:002010-09-29T08:31:02.299-07:00अब समाज के वर्तमान स्वरूप के लिए ही तो कुछ सो...अब समाज के वर्तमान स्वरूप के लिए ही तो कुछ सोचना होगा कि क्या होना चाहिए ? क्या हम इस अनैतिकता के आगे सिर झुका कर स्वीकार कर लें. अगर नहीं तो फिर कुछ तो सोचना होगा क्या विकल्प हो सकता है इसका ? सब सुझाव दें तो शायद कोई सकारात्मक दिशा प्राप्त हो जाए .रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-13186554131793539342010-09-29T08:17:43.980-07:002010-09-29T08:17:43.980-07:00क्या कहें..मानवता रसातल में पहुँच गई है.क्या कहें..मानवता रसातल में पहुँच गई है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-31195811034550492012010-09-29T07:43:03.929-07:002010-09-29T07:43:03.929-07:00ओह ...कितना वीभत्स ...रोंगटे खड़े कर देने वाली घटन...ओह ...कितना वीभत्स ...रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना का ज़िक्र ....कुछ कहा ही नहीं जा रहा ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-85321899991683790362010-09-29T07:14:39.517-07:002010-09-29T07:14:39.517-07:00विकृत मानसिक रुग्णता और समाज की निकृष्ट ठेकेदारों ...विकृत मानसिक रुग्णता और समाज की निकृष्ट ठेकेदारों का वीभत्स उदहारण , मैंने भी सुबह जब ये समाचार देखा तो स्तब्ध रह गया.काश हमारा कानून इतना समर्थ होता की हम ऐसे दुराचारियो को सरेआम सजा दे पते .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-67519782936550550282010-09-29T07:05:27.350-07:002010-09-29T07:05:27.350-07:00सारे कुंवे में भंग है समाज की इस दशा के लिए जिम्मे...सारे कुंवे में भंग है समाज की इस दशा के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाये नरपिशाचों को या उनके रक्षकों को - पुलिस का आचरण देख कर तो लगता नहीं कि कुछ होगा लड़कियों को सक्षम होना सिखाना पालकों की बड़ी जिम्मेदारी हैRAJENDRAhttps://www.blogger.com/profile/11169279612224714443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-34468129220331505962010-09-29T06:57:49.772-07:002010-09-29T06:57:49.772-07:00रेखा जी हमारे समाज में पर्दा प्रथा ,लड़कियों के लि...रेखा जी हमारे समाज में पर्दा प्रथा ,लड़कियों के लिए अशिक्षा,या बाल विवाह जैसी प्रथाएं इसी दरिंदगी और बहशीपन से निजात पाने के लिए शायद बनी थीं ....और आज तब, जब औरत फिर अपना अस्तितिव पाने के लिए लड़ रही है वही बहशीपन उसकी राह में आ जाता है ....<br />रौंगटे खड़े हो जाते हैं ये सब पढ़ सुन कर जाने कब अंत होगा इस दरिंदगी का.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-32099295241449828842010-09-29T06:40:42.288-07:002010-09-29T06:40:42.288-07:00कैसे बदलाव आये………………इतने घिनौने कृत्य के बाद भी सम...कैसे बदलाव आये………………इतने घिनौने कृत्य के बाद भी समाज कुछ नही कर पाता……………बस संस्कार की फ़सल ही उगानी होगी बच्चों मे तभी शायद बदलाव आ सके।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2168614474878860491.post-16828758603475033232010-09-29T06:14:20.992-07:002010-09-29T06:14:20.992-07:00पढ़ कर इतना मन दुखी हो गया कि क्या कहूँ....यहाँ मुं...पढ़ कर इतना मन दुखी हो गया कि क्या कहूँ....यहाँ मुंबई में भी....एक पिकनिक पर गयी लड़की गायब हो गयी और उसका शव मिला दूसरे दिन...पुलिस कहती है एक्सीडेंट है....क्या कहा जाए..मन क्षोभ से भर जाता है...कितनी विकृत मानसिकता वाले लोग हैं यहाँ...कड़ी सजा भी तो नहीं मिलती कि दूसरों की आँख खुले...<br />बेहद बेहद शर्मनाकrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com