ओणम्
---------
भारत भूमि पर अनेक धर्म और मतों के लोग रहते हैं और सबके अपने अपने
त्यौहार हैं । कुछ त्यौहार सम्पूर्ण देश में मनाये जाते हैं और कुछ राज्य
विशेष में अपनी अपनी आस्था के अनुरूप भी मनाये जाते हैं । ओणम् एक ऐसा ही
त्यौहार है , जो केरल राज्य में मनाया जाता है और जो प्राचीन पौराणिक कथा
के कथानक को जीवंत करते हुए मनाते हैं ।
ओणम्
मलियाली पंचांग के अनुसार वर्ष के पहले महीने चिंगम में जब थिरुवोनम
नक्षत्र आता है तभी मनाया जाता है । यह दस दिनों का त्यौहार होता है और
इसमें दीपावली के समान ही कुछ परम्परायें होती हैं ।
वैसे तो इसको किसानों और नयी फसल से जोड़ कर भी माना गया है लेकिन यह
सम्पूर्ण प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है । इसकी महत्ता देखते हुए
इसे केरल राज्य का राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है और इस अवसर पर चार
दिनों की छुट्टी होती है । यह अगस्त और सितम्बर के मध्य दस दिन का पर्व
होता है और प्रत्येक दिन को अलग नाम दिया गया है और विशिष्ट रूप से उसकी
तैयारी होती है । इसे चावल की फसल और वर्षा के फूलों का त्यौहार भी माना
जाता है ।
पौराणिक कथा
-------------------
इससे जुड़ी पौराणिक कथा राजा महाबली और भगवान विष्णु के वामन अवतार
से जुड़ी है । तभी वामन देव ने महाबली का सारा राज्य दान में माँग कर उसे
पातालवासी बना दिया था । यही मान्यता है कि ओणम् के दौरान राजा महाबली अपनी
प्रजा से मिलने और उनकी खुशहाली देखने के लिए आते हैं । उन्हीं के सम्मान
में यह मनाया जाता है ।
ओणम् के दस दिनों को विशेष नामों से जाना जाता है और प्रत्येक दिन अलग अलग कार्य सम्पादित किये जाते हैं ।
ओणम् के दस दिनों के नाम --
ओणम् के दस दिनों को विशेष नामों से जाना जाता है और प्रत्येक दिन अलग अलग कार्य सम्पादित किये जाते हैं ।
1. अथं - यह पहला दिन होता है , जब राजा महाबली पाताल से केरल आने के लिए तैयार होते हैं ।
2 - चिथिरा - फूलों का काली बनाना शुरू किया जाता है ,जिसे पूवक्लम कहते हैं ।
3 - चोधी - पूवक्लम में विभिन्न फूलों की अगली परत चढा़ते हैं ।
4 - विशाका - इस दिन से विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं शुरू होती हैं ।
5 - अनिज्हम - नौका दौड़ की तैयारी शुरू होती है ।
6 - थ्रिकेता - छुट्टियाँ आरम्भ हो जाती हैं ।
7 - मूलम - मंदिरों में विशेष पूजा शुरू होती है ।
8 - पूरादम - महाबली और वामन की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं ।
9 - उठ्रादोम - इस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते हैं ।
10 - थिरुवोनम - मुख्य त्यौहार होता है ।
ओणम मनाने की पद्धति --
इस पर्व की मुख्य धूम कोच्चि के थ्रिक्कारा मंदिर में रहती
है । इसके विशेष आयोजन पूरे दस दिन तक होते रहते है , जिनमें नाच गाना ,
पूजा आरती , मेला आदि होता है । इसको देखने के लिए देश - विदेश से
सैलानीआते हैं ।
ओणम में फूलों का विशेष कालीन बनाया जाता है - जिसे पूवक्लम पहते हैं , इसमें फूलों की परत रोज चढ़ाई जाती है ।
इसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है ।
इनमें केरल के लोक नृत्यों जैसे -- थिरुवातिराकाली , कुम्मात्तिकाली,कथकली ,
पुलिकाली आदि का विशेष आयोजन होता है ।
इस
त्यौहार में नौका दौड़ प्रतियोगिता , जिसे वल्लाम्काली कहते है, की तैयारी
जोर शोर से होती है । यह ओणम के बाद होती है लेकिन तैयारियाँ शुरू हो जाती
है । यह विश्व प्रसिद्ध नौका दौड़ सिर्फ केरल में होती है और पर्यटकों के
लिए आकर्षण का केन्द्र होती है ।
ओणम् चावल के घोल से घर के बाहर सजाया जाता है , घर को दीपावली की तरह रोशनी से सजाया जाता है ।
ओणम चूंकि महाबली से जुड़ा त्यौहार है इस लिए दान का विशेष महत्व होता है । गरीबों को दान दिया जाता है ।
ओणम के आठवें दिन महाबली और वामन की प्रतिमायें स्थापित की जाती हैं । उनकी पूजा अर्चना की जाती है ।
ओणम के आखिरी दिन बनने वाले व्यंजनों को 'ओणम सद्या' कहते हैं ,
इसमें 26 प्रकार के व्यंजन बनाये जाते हैं और केले के पत्तों में परोसे जाते हैं ।
वैसे तो ओणम दस दिनों का त्यौहार
होता है किन्तु इसके बाद दो दिन और मनाया जाता है । इन दिनों में पहले दिन
महाबली और वामन की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है और दूसरे दिन पूवक्लम को
साफ किया जाता है ।
इस पर्व का नाम तो सुना था मगर विस्तार पूर्वक जैसा आपने बताया वो पढ़ना बहुत सुखद अलगा | आभार और शुक्रिया इसे साझा करने के लिए
जवाब देंहटाएं