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मंगलवार, 19 नवंबर 2013

सावधान हो जाइये !

                   सावधान हो जाइये बगैर आपकी जानकारी के और आपके डिटेल्स कहीं  से भी प्राप्त करके कोई भी आपके नाम से बैंक में अकाउंट खोल सकता है।  मनचाहा पता और मनचाही जगह पर और  फिर उसके आधार पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकता है और  लाखों की खरीदारी भी कर सकता है। पता तब चलेगा   चलेगा जब बैंक के रिकवरी नोटिस आपके पास आएगा।  
                                     कल मेरे पास एक फ़ोन दिल्ली से आया कि आपकी बेटी प्रज्ञा श्रीवास्तवा के ऊपर स्टेट बैंक का दो लाख सत्तर हजार  लोन है और मैं तीस हजारी कोर्ट से रोहित त्यागी बोल रहा हूँ।  रिकवेरी के लिए उनका वारंट निकला हुआ है।  मैंने डिटेल जानना चाहा तो उसके द्वारा दिया गया वर्किंग प्लेस और रेजिडेंस एड्रेस गलत था।  मैंने कहा कि  बेटी ने कभी यहाँ पर जॉब नहीं की और न ही वह इस एड्रेस पर रही है।  फिर उसने उसका पेन कार्ड नंबर और नॉमिनी में माँ का नाम रेखा देवी (जबकि मैं अपना नाम सिर्फ रेखा श्रीवास्तव ही प्रयोग करती हूँ ) और पिता का नाम आदित्य श्रीवास्तव बताया।  फिर बताया कि उसने इतने रुपये की खरीदारी की है। 
                                     मैंने उसको बताया कि मेरी बेटी यहाँ पर नहीं रहती है वह पुर्तगाल में है और न ही उसने कोई खरीदारी की है।  जो डेट्स खरीदारी की थी उस समय वह इंडिया में भी नहीं थी।  फिर भी वह बेटी का कांटेक्ट नम्बर मांग रहा था जो मैंने नहीं दिया।  लेकिन एक प्रश्न मेरे सामने छोड़ गया कि क्या ऐसे भी सम्भव है।  इस को किस क्राइम में रखा जा सकता है।  लेकिन हो बहुत कुछ सकता है इसलिए आप लोग भी सावधान रहिये।  पेन कार्ड नं हम कई जगह इस्तेमाल करते हैं और  माता पिता के नाम तो हर जगह पर इस्तेमाल होते हैं।  फ़ोटो आपकी नेट से किसी भी तरीके से ली जा सकती है।  इससे कैसे बचा जा सकता है ? 
ठीक वैसे ही जैसे अकाउंट हैक करके रुपये निकले जा सकते हैं वैसे ही नकली अकाउंट खोल कर कुछ भी किया जा सकता है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. चिंताजनक किन्तु अत्यंत आवश्यक जानकारी साझा करने के लिए हार्दिक आभार।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को (20-11-2013) जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश : चर्चा मंच 1435 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. हो सकता है कि वह व्यक्ति गलत जानकारी दे रहा हो क्योंकि बैंक में वेरिफिकेशन के बिना खाता खुलना मुश्किल है !

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  4. सच कहा है .... सावधानी रखने की जरूरत है ... ये सब डिटेल्स आजकल मिलना मुश्किल नहीं है ...

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.