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सोमवार, 21 सितंबर 2015

ब्लॉग के सात साल !

                             लिखना तो वर्षों से चलता चला आ रहा है लेकिन ब्लॉग से मेरा परिचय जब हुआ तो वो सितम्बर २००८ से।  इसमें काम कैसे किया जाय ? ये तो मैंने अपने ऑरकुट मित्रों से सीखा क्योंकि तब फेसबुक थी नहीं और हम लंच टाइम में अपने मित्रों से चैट कर  लेते थे।  
                              नियमित लेखन और प्रकाशन तो शादी के बाद ही बाधित हो चुका था लेकिन कलम तो मानती नहीं सो डायरी में लिख लिख कर इकठ्ठा होता रहा और फिर ब्लॉग के माध्यम मिलते ही सारा कुछ उस पर डालने लगी। हाँ जब तक ऑफिस में रहती थी , मेरा लंच टाइम मेरे लिए ब्लॉग टाइम होता था। उस समय रोज एक पोस्ट चली जाती थी।  फिर हमारी संगीता स्वरूप जी ने सलाह दी कि एक पोस्ट के बीच इतना अंतराल होना चाहिए कि  पढ़ने वाले उसे ठीक से पढ़ तो लें।  
                              मेरा पहला ब्लॉग कविता के लिए बना था.
 hindigen फिर लगा कि गद्य के लिए अलग होना चाहिए और फिर कुछ और अपने अपने उद्देश्य लेकर बनायें।
 "यथार्थ" बना जीवन की कुछः कटु सत्य को उजागर करती हुई घटनाएँ। "मेरा सरोकार " सामाजिक , आर्थिक , मनोवैज्ञानिक आदि विषयों से जुडी समस्याओं  से जुडा ब्लॉग।
 "मेरी सोच " मैं मेरे अपने विचार विशेष विषयों पर किस तरह व्यक्त करने हैं वह रखा गया। 
 "कथा सागर " कहानियों के ब्लॉग। 
                              पिछले दो सालों से अपने ब्लॉग के साथ पूर्ण न्याय  नहीं कर पा रही हूँ , यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है।  फिर भी आठवे वर्ष में प्रवेश करते हुए संकल्प लेती हूँ कि पूरा पूरा न्याय करने की कोशिश करूंगी। वैसे दोष हमारा भी नहीं है , वो हर चीज जो ब्लॉग पर आती थी।  चट पट फेसबुक और समूह पर डाल देने की आदत से हमारे ब्लॉग को पाठकों की कमी खलने लगी और सभी फेसबुक पर ज्यादा नजर आ रहे हैं सो वहीँ  डाला और सब ने तुरंत पढ़ डाला।  यद्यपि ये अपने साथ ही अन्याय है क्योंकि ब्लॉग जो संग्रह करके रखेगा वो फेसबुक नहीं। लेकिन वक़्त के साथ बह लिए थे।  वापस किनारे लगने की कोशिश जारी है। 
                              चलिए आप सब से यही इल्तिजा है ब्लॉग को उपेक्षित न होने दें चाहे लिखने  के लिए हो  पढने को लेकर।  सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए अपेक्षा के साथ।