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सोमवार, 15 जुलाई 2013

डाक तार सेवायें !




                           हमारे देश में डाक तार विभाग बहुत ही महतवपूर्ण विभाग है और उसकी सेवायें कितनों के जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं . शायद रोज सम्पन्न होने वाली सबसे महत्वपूर्ण सेवा है और  सरकारी पत्रों के लिए तो इसी विभाग को प्रयोग किया जाता है और इसमें भी त्वरित सेवा के लिए स्पीड पोस्ट जैसी सुविधा प्रदान की जा रही है .
                           यहाँ सवाल यह है कि क्या यह विभाग अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है ? शायद नहीं क्योंकि आज जितनी भी कोरियर सेवाएं फल फूल रही है उनके पीछे इस विभाग की जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही है . आम लोग जब डाक तार से भेजे गए पत्रों का इन्तजार करते रह जाते हैं और परीक्षा का दिन आ जाता है उनको प्रवेश पत्र नहीं मिलाता है और आज कल तो नेट के द्वारा प्रवेश पत्र डाउन लोड करके प्राप्त करने का विकल्प मिल गया है लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिनके लिए सरकारी विभाग सिर्फ इसी विभाग को प्रयोग करते हैं और प्राप्त करने वाला रोज इन्तजार करता रह  भी जाता है . वैसे निजी  कम्पनियाँ और निजी सेवाएं अपनी प्रसारण सेवा के लिए कोरियर का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन सरकारी विभागों की मजबूरी है नहीं तो ये विभाग शायद बंद ही हो जाय . हम रोज ही  विभाग  द्वारा जारी  की जा रही नयी नयी सेवाओं के विषय में पढ़ते हैं और खुश हो लेते हैं कि  हम प्रगति के पथ पर जा रहे हैं .
                            इस विभाग की मैं भुक्तभोगी हूँ और शायद ये मेरे ही साथ होता है जो मुझमें  बार बार इसके प्रति आक्रोश पैदा हो जाता है . फिर इस विषय में की गयी आपत्ति पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि उसके बाद तो और भी परेशान  करने लग सकते हैं .
                           कुछ दिन पहले मेरे नाम से बुक का एक पार्सल आया . पहले तो कई दिनों तक पता ही नहीं चला भेजने वाला बार बार इस विषय में पूछ रहा है लेकिन मैं क्या उत्तर दूं ? इतना समय भी नहीं की पोस्ट ऑफिस में जाकर बार बार पता करूँ . फिर एक दिन फ़ोन आता है कि  आपका एक पार्सल आया है और काफी  भारी  है आकर ले लें . पतिदेव जाकर ले आये लेकिन मुझे बहुत क्रोध आया . फिर पता चला कि आधार कार्ड एक साथ बण्डल बना कर यहाँ  के एक तथाकथित नेता जी के  एक स्कूल में पोस्टमैन रख कर गया है और जिसको पता चल रहा था जाकर वहां से अपना आधार कार्ड खोज कर ला रहा था . ( मेरा आज  नहीं आया , जब की घर के और सदस्यों के आ चुके हैं . वहां पर जाकर पता किया गया तो कहा गया अभी बोरे  में भरे रखे हैं आप स्लिप की फोटो कॉपी दे जाइये . खोज कर आपको भेज दिया जाएगा उस कॉपी को दिए हुए दस महीने हो चुके हैं और आज तक आधार कार्ड नहीं मिला है .
                   बीच में एक बार कंप्लेंट की तो कुछ असर हुआ लेकिन  बेकार . पिछले दिनों बेटी के PAN कार्ड के लिए नेट पर देख रहे हैं और वहां पर डेलिवर्ड  देखा रहा था  और वह कार्ड मेरे घर तक नहीं आया था  . बतलाइए इसका क्या उपाय है ? करीब दस दिन बाद शाम ६ बजे फ़ोन आता है कि  हम यहाँ  खड़े हैं (लोकेशन बता रहे हैं ), आपका एक पत्र है आकर ले जाइये  और मेरे पतिदेव ने वहां से जाकर ले आये (लेकिन मुझे ये बात बाद में पता चली थी ) तो कुछ इनाम की फरमाइश हुई तो वो बोले की इस समय तो कुछ नहीं है . घर आकर ले लीजियेगा .
                  इसी बीच बेटी का बैंक अकाउंट हमने कानपूर में खुलवाया और उसके सम्बन्धी सूचना डाक से ही आती है . बैंक ने 18 तारीख को भेजा  22 को पोस्ट ऑफिस में ये कमेंट लिख कर लिफाफा रख दिया गया कि अंकित पते की जानकारी नहीं मिली . बैंक से फोन आया कि पेपर आपको भेज दिए गए हैं और पेपर  मिले  ही नहीं . आखिर 26 को एकपोस्टमैन उस पत्र को लेकर आ ही गया लेकिन ये वह सज्जन नहीं थे जो फोन करके बुलाते हैं . अगर पता उपलब्ध नहीं था तो दूसरे पोस्टमैन को कैसे मिल गया ?
                 इस बात की कंप्लेंट भी की गयी लेकिन वह तो ठन्डे बस्ते में डाल  दी गयी क्योंकि वे उनके विभाग के कर्मचारी है और हम आम आदमी . आज नहीं तो कल फिर हमारा कोई पत्र आएगा और इसी तरह से फिर कभी नहीं मिलेगा क्योंकि पत्रिकाएं , निमंत्रण पत्र आदि तो कभी मिलते ही नहीं है .  हम तो किसी भी शादी में फोन को ही निमंत्रण पत्र का पर्याय मान  चुके हैं .
                 ये सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार विभाग है और इसकी सेवाएं कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है जैसे की मैं .
                 आज से टेलीग्राम इतिहास बन चूका है और लगता है कि कल को डाक तार विभाग भी इतिहास न बन जाए .

किस्सा ए लाइक औ' कमेंट !



                         फेसबुक की महिमा  अपार है क्योंकि मैं तो आज तक इसके रहस्य  समझ ही नहीं पायी वैसे  के  समझने के लिए जितना समय चाहिए  उतना दे भी नहीं पाती हूँ . आज काजल जी का स्टेटस  जिसमें उन्होंने 14 सेकंड में 10 लाइक और 2 कमेंट वाली बात कही थी , सिर्फ कही ही नहीं थी बल्कि उसको प्रमाण सहित प्रस्तुत भी किया था .

                        काजल जी तो फेसबुक पर बहुत समय बिताने वालों में है लेकिन मैं जो नहीं बिता पाती हूँ लेकिन जाती तो हूँ और जहाँ कमेंट दे पाती  हूँ वह देती हूँ और लाइक भी करती हूँ लेकिन जिसपर देती हूँ उसको पढ़ती जरूर हूँ . कम लोगों का पढ़ पाऊं चलेगा लेकिन सिर्फ इसलिए कि लाइक करना ही है नहीं कर पाती हूँ या कहिये ये लाइक और कमेंट पाने के लिए बहुत लोकप्रिय होना पड़ता है जिससे अगर आप स्टेटस पर सिर्फ "वाह       .........." लिख दें और उसके लाइक करने वाले और कमेंट करने वालों की संख्या गिनना मुश्किल हो जाए . कई जगह पर मैं ये समझ नहीं पाती  हूँ कि  क्या वाकई प्रस्तुत की  हुई चीज इतनी अच्छी है कि उसको इतने सारे  लोगों के द्वारा लाइक कर लिया गया है . ये भी हो सकता है कि मुझे अभी फेसबुक के रूल्स ही पता न हों . वैसे ये बात तो मैं इमानदारी से स्वीकार कराती हूँ कि फेसबुक की बहुत सारी एप्लीकेशन आज भी मेरी समझ से परे हैं . कभी कभी बेटियों से पूछ लेती हूँ लेकिन सब कुछ क्या बहुत कुछ आता ही नहीं है .
                        लेकिन इतना जरूर है कि इसमें हमारे एक मित्र ने कहा कि  अगर काजल कुमार जी कुमारी होते तो उन्हें भी इसी तरह से कमेंट मिल रहे होते . ये कटाक्ष सच नहीं है क्योंकि बहुत सारी  महिलायें और लड़कियाँ फेसबुक पर हैं सब को इतने लिखे और कमेंट तो नहीं मिलते हैं .  मुझे नहीं लगता है कि सारे लाइक  करने वाले उस स्टेटस को पढ़ कर ही लाइक और कमेंट करते हैं .

रविवार, 14 जुलाई 2013

सतर्क और सावधान रहें !

चूंकि ये एक सत्य घटना है और जिसने मुझे अन्दर तक हिला दिया है , इसीलिए आप सबके साथ शेयर कर रही हूँ ताकि आप भी अगर कभी ऐसे हालात देखें तो कम से कम पुलिस को इन्फॉर्म तो जरूर कर सकें .


पिछले दिनों मेरे एक पारिवारिक मित्र की बेटी जो आई आई टी से पी एच डी कर रही थी , वह मेरे साथ रोज ही जब तक मैं वहां थी मेरे साथ बस से आती थी . वह ही शांत , गंभीर और इंटेलीजेंट है . एक दिन अचानक अखबार में खबर मिली कि वह घर से दिल्ली जाने के लिए स्टेशन गयी थी और उसके बाद जैसे वह हमेशा ट्रेन चलने से पहले घर वालों को बता देती थी की वह ठीक से बह गयी और ट्रेन चल दी है और फिर गंतव्य पर पहुँचाने के बाद भी घर में बात करती थी . लेकिन उसके घर से जाने के बाद ओइ खबर नहीं मिली और न कोई संपर्क हो रहा था . उसका मोबाइल बंद आ रहा था . . घर वालों ने पुलिस को सूचना दी . सब तरफ खलबली मच गयी . पुलिस भी सक्रिय रही और उसकी भूमिका इस मामले में सराहनीय लगी क्योंकि उसके प्रयास से वह गुजरात से बरामद कर ली गयी जहाँ पर उसको बेचने का सौदा किया जा रहा था .



वह लड़की जो आई आई टी से पढाई कर रही थी अब इतनी अधिक भयभीत हो चुकी है कि वह घर से बाहर कदम रखने में डरने लगी है .घर में कैद होकर रह गयी है . घर से बहार निकलने के नाम पर वह रोने लगती है कि वह लोग हमें फिर पकड़ लेंगे .

घटनाक्रम कुछ इस तरह से है कि वह दिल्ली जाने के लिए स्टेशन पर थी और वही खड़ी हुई एक ट्रेन के AC 2 के कम्पार्टमेंट में उसको मुंह दबा कर खीच लिया गया और ट्रेन चलने लगी थी . फिर वह बेहोश हो चुकी थी . वह कई लोग थे शायद , उसके मोबाइल का सिम उन लोगों ने तोड़ कर फ़ेंक दिया था . उसके साथ क्या हुआ ? ये न पूछने की हमारी हिम्मत थी और न पूछा लेकिन लड़कियों के लिए खतरे का एक और तरीका सामने आया जिसको सुनकर स्तब्ध रह गयी हूँ .

वैसे सामाजिक तत्वों की हरकतों से हम अखबार से रोज ही दो चार होते रहते हैं और हमारा मन अपनी बेटियों और बहनों के लिए आशंका से भर उठता है . फिर हम सभी एक जागरूक नागरिक और सबसे पहले इंसान है और इंसानियत हमारा धर्म है . अगर हम सभी सफर भी करें , बाजार में हों या फिर स्टेशन पर खुद को सजग रखें और अगर ऐसी किसी अनहोनी होने की आशंका भी लगे तो पुलिस को सूचना अवश्य दें . शायद हम किसी की बेटी , बहन के जीवन को ऐसे हाथों में आने से बचा सकें .