हमारे देश में डाक तार विभाग बहुत ही महतवपूर्ण विभाग है और उसकी सेवायें कितनों के जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं . शायद रोज सम्पन्न होने वाली सबसे महत्वपूर्ण सेवा है और सरकारी पत्रों के लिए तो इसी विभाग को प्रयोग किया जाता है और इसमें भी त्वरित सेवा के लिए स्पीड पोस्ट जैसी सुविधा प्रदान की जा रही है .
यहाँ सवाल यह है कि क्या यह विभाग अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है ? शायद नहीं क्योंकि आज जितनी भी कोरियर सेवाएं फल फूल रही है उनके पीछे इस विभाग की जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही है . आम लोग जब डाक तार से भेजे गए पत्रों का इन्तजार करते रह जाते हैं और परीक्षा का दिन आ जाता है उनको प्रवेश पत्र नहीं मिलाता है और आज कल तो नेट के द्वारा प्रवेश पत्र डाउन लोड करके प्राप्त करने का विकल्प मिल गया है लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिनके लिए सरकारी विभाग सिर्फ इसी विभाग को प्रयोग करते हैं और प्राप्त करने वाला रोज इन्तजार करता रह भी जाता है . वैसे निजी कम्पनियाँ और निजी सेवाएं अपनी प्रसारण सेवा के लिए कोरियर का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन सरकारी विभागों की मजबूरी है नहीं तो ये विभाग शायद बंद ही हो जाय . हम रोज ही विभाग द्वारा जारी की जा रही नयी नयी सेवाओं के विषय में पढ़ते हैं और खुश हो लेते हैं कि हम प्रगति के पथ पर जा रहे हैं .
इस विभाग की मैं भुक्तभोगी हूँ और शायद ये मेरे ही साथ होता है जो मुझमें बार बार इसके प्रति आक्रोश पैदा हो जाता है . फिर इस विषय में की गयी आपत्ति पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि उसके बाद तो और भी परेशान करने लग सकते हैं .
कुछ दिन पहले मेरे नाम से बुक का एक पार्सल आया . पहले तो कई दिनों तक पता ही नहीं चला भेजने वाला बार बार इस विषय में पूछ रहा है लेकिन मैं क्या उत्तर दूं ? इतना समय भी नहीं की पोस्ट ऑफिस में जाकर बार बार पता करूँ . फिर एक दिन फ़ोन आता है कि आपका एक पार्सल आया है और काफी भारी है आकर ले लें . पतिदेव जाकर ले आये लेकिन मुझे बहुत क्रोध आया . फिर पता चला कि आधार कार्ड एक साथ बण्डल बना कर यहाँ के एक तथाकथित नेता जी के एक स्कूल में पोस्टमैन रख कर गया है और जिसको पता चल रहा था जाकर वहां से अपना आधार कार्ड खोज कर ला रहा था . ( मेरा आज नहीं आया , जब की घर के और सदस्यों के आ चुके हैं . वहां पर जाकर पता किया गया तो कहा गया अभी बोरे में भरे रखे हैं आप स्लिप की फोटो कॉपी दे जाइये . खोज कर आपको भेज दिया जाएगा उस कॉपी को दिए हुए दस महीने हो चुके हैं और आज तक आधार कार्ड नहीं मिला है .
बीच में एक बार कंप्लेंट की तो कुछ असर हुआ लेकिन बेकार . पिछले दिनों बेटी के PAN कार्ड के लिए नेट पर देख रहे हैं और वहां पर डेलिवर्ड देखा रहा था और वह कार्ड मेरे घर तक नहीं आया था . बतलाइए इसका क्या उपाय है ? करीब दस दिन बाद शाम ६ बजे फ़ोन आता है कि हम यहाँ खड़े हैं (लोकेशन बता रहे हैं ), आपका एक पत्र है आकर ले जाइये और मेरे पतिदेव ने वहां से जाकर ले आये (लेकिन मुझे ये बात बाद में पता चली थी ) तो कुछ इनाम की फरमाइश हुई तो वो बोले की इस समय तो कुछ नहीं है . घर आकर ले लीजियेगा .
इसी बीच बेटी का बैंक अकाउंट हमने कानपूर में खुलवाया और उसके सम्बन्धी सूचना डाक से ही आती है . बैंक ने 18 तारीख को भेजा 22 को पोस्ट ऑफिस में ये कमेंट लिख कर लिफाफा रख दिया गया कि अंकित पते की जानकारी नहीं मिली . बैंक से फोन आया कि पेपर आपको भेज दिए गए हैं और पेपर मिले ही नहीं . आखिर 26 को एकपोस्टमैन उस पत्र को लेकर आ ही गया लेकिन ये वह सज्जन नहीं थे जो फोन करके बुलाते हैं . अगर पता उपलब्ध नहीं था तो दूसरे पोस्टमैन को कैसे मिल गया ?
इस बात की कंप्लेंट भी की गयी लेकिन वह तो ठन्डे बस्ते में डाल दी गयी क्योंकि वे उनके विभाग के कर्मचारी है और हम आम आदमी . आज नहीं तो कल फिर हमारा कोई पत्र आएगा और इसी तरह से फिर कभी नहीं मिलेगा क्योंकि पत्रिकाएं , निमंत्रण पत्र आदि तो कभी मिलते ही नहीं है . हम तो किसी भी शादी में फोन को ही निमंत्रण पत्र का पर्याय मान चुके हैं .
ये सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार विभाग है और इसकी सेवाएं कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है जैसे की मैं .
आज से टेलीग्राम इतिहास बन चूका है और लगता है कि कल को डाक तार विभाग भी इतिहास न बन जाए .
बहुत बड़ा विभाग है, और फिर सरकारी भी है पर उन जगहों पर यही पहुंचता है जहां कोरियर और बैंक आज भी नहीं पहुंचते :)
जवाब देंहटाएंटेलीग्राम ज़रूर इतिहास बन गया है लेकिन डाँक तार विभाग इतिहास नहीं बनेगा भले ही आज के सो कॉल्ड आधुनिक युग में जहां इंटरनेट रोज़ मररा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है जिसके चलते अब उन प्यार और अपने पन से भरी चिट्ठियों का इंतज़ार नहीं रहता अब किसी को,मगर फिर भी ग्रामीण इलाकों में और विदेशों में आज भी डाँक विभाग इंसान के जीवन में एक अहम भूमिका निभा रहा है और यदि हम पश्चात संस्कृति की नकल करते हुए वर्तमान में कुछ को आधुनिक समझने लगे हैं तो यकीन मानिए इस मामले में भी हम पीछे नहीं रहेंगे और हमारे यहाँ भी डाँक विभाग पहले की तरह ही ज़िंदा रहेगा।
जवाब देंहटाएंआधुनिकता में डाक विभाग की गुणवत्ता कहीं खो न जाये, हतोत्साहित न हो जाये।
जवाब देंहटाएंडाक विभाग की कार्यशैली बहुत ढीली-ढाली है,पोस्टमैन भी अधिकतर पहले जैसे मुस्तैद और सचेत नहीं रहे.जानते हैं कोई कर क्या लेगा .
जवाब देंहटाएंडाक विभाग की कार्य शैली बहुत ही गैर जिम्मेदाराना है इसमें कोई शक नहीं. यहाँ तो पोस्टमैन सिर्फ दिवाली में नज़र आते हैं. किसी और की चिट्ठी हमेशा मेरे घर आ जाती है, और यह सबके साथ होता है. बस इतना है कि उन इलाकों में जहाँ कुरिअर सेवा नहीं है वहाँ डाक पहुँच जाती है. अब तो बस सरकारी पत्र ही डाक से आते हैं. इसका बहुत बड़ा कारन है कि लोगों का भरोसा सरकारी कामकाज से उठ गया है. तार विभाग की तरह डाक विभाग बंद न हो यही कामना है.
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