चूंकि ये एक सत्य घटना है और जिसने मुझे अन्दर तक हिला दिया है , इसीलिए आप सबके साथ शेयर कर रही हूँ ताकि आप भी अगर कभी ऐसे हालात देखें तो कम से कम पुलिस को इन्फॉर्म तो जरूर कर सकें .
पिछले दिनों मेरे एक पारिवारिक मित्र की बेटी जो आई आई टी से पी एच डी कर रही थी , वह मेरे साथ रोज ही जब तक मैं वहां थी मेरे साथ बस से आती थी . वह ही शांत , गंभीर और इंटेलीजेंट है . एक दिन अचानक अखबार में खबर मिली कि वह घर से दिल्ली जाने के लिए स्टेशन गयी थी और उसके बाद जैसे वह हमेशा ट्रेन चलने से पहले घर वालों को बता देती थी की वह ठीक से बह गयी और ट्रेन चल दी है और फिर गंतव्य पर पहुँचाने के बाद भी घर में बात करती थी . लेकिन उसके घर से जाने के बाद ओइ खबर नहीं मिली और न कोई संपर्क हो रहा था . उसका मोबाइल बंद आ रहा था . . घर वालों ने पुलिस को सूचना दी . सब तरफ खलबली मच गयी . पुलिस भी सक्रिय रही और उसकी भूमिका इस मामले में सराहनीय लगी क्योंकि उसके प्रयास से वह गुजरात से बरामद कर ली गयी जहाँ पर उसको बेचने का सौदा किया जा रहा था .
वह लड़की जो आई आई टी से पढाई कर रही थी अब इतनी अधिक भयभीत हो चुकी है कि वह घर से बाहर कदम रखने में डरने लगी है .घर में कैद होकर रह गयी है . घर से बहार निकलने के नाम पर वह रोने लगती है कि वह लोग हमें फिर पकड़ लेंगे .
घटनाक्रम कुछ इस तरह से है कि वह दिल्ली जाने के लिए स्टेशन पर थी और वही खड़ी हुई एक ट्रेन के AC 2 के कम्पार्टमेंट में उसको मुंह दबा कर खीच लिया गया और ट्रेन चलने लगी थी . फिर वह बेहोश हो चुकी थी . वह कई लोग थे शायद , उसके मोबाइल का सिम उन लोगों ने तोड़ कर फ़ेंक दिया था . उसके साथ क्या हुआ ? ये न पूछने की हमारी हिम्मत थी और न पूछा लेकिन लड़कियों के लिए खतरे का एक और तरीका सामने आया जिसको सुनकर स्तब्ध रह गयी हूँ .
वैसे सामाजिक तत्वों की हरकतों से हम अखबार से रोज ही दो चार होते रहते हैं और हमारा मन अपनी बेटियों और बहनों के लिए आशंका से भर उठता है . फिर हम सभी एक जागरूक नागरिक और सबसे पहले इंसान है और इंसानियत हमारा धर्म है . अगर हम सभी सफर भी करें , बाजार में हों या फिर स्टेशन पर खुद को सजग रखें और अगर ऐसी किसी अनहोनी होने की आशंका भी लगे तो पुलिस को सूचना अवश्य दें . शायद हम किसी की बेटी , बहन के जीवन को ऐसे हाथों में आने से बचा सकें .
पिछले दिनों मेरे एक पारिवारिक मित्र की बेटी जो आई आई टी से पी एच डी कर रही थी , वह मेरे साथ रोज ही जब तक मैं वहां थी मेरे साथ बस से आती थी . वह ही शांत , गंभीर और इंटेलीजेंट है . एक दिन अचानक अखबार में खबर मिली कि वह घर से दिल्ली जाने के लिए स्टेशन गयी थी और उसके बाद जैसे वह हमेशा ट्रेन चलने से पहले घर वालों को बता देती थी की वह ठीक से बह गयी और ट्रेन चल दी है और फिर गंतव्य पर पहुँचाने के बाद भी घर में बात करती थी . लेकिन उसके घर से जाने के बाद ओइ खबर नहीं मिली और न कोई संपर्क हो रहा था . उसका मोबाइल बंद आ रहा था . . घर वालों ने पुलिस को सूचना दी . सब तरफ खलबली मच गयी . पुलिस भी सक्रिय रही और उसकी भूमिका इस मामले में सराहनीय लगी क्योंकि उसके प्रयास से वह गुजरात से बरामद कर ली गयी जहाँ पर उसको बेचने का सौदा किया जा रहा था .
वह लड़की जो आई आई टी से पढाई कर रही थी अब इतनी अधिक भयभीत हो चुकी है कि वह घर से बाहर कदम रखने में डरने लगी है .घर में कैद होकर रह गयी है . घर से बहार निकलने के नाम पर वह रोने लगती है कि वह लोग हमें फिर पकड़ लेंगे .
घटनाक्रम कुछ इस तरह से है कि वह दिल्ली जाने के लिए स्टेशन पर थी और वही खड़ी हुई एक ट्रेन के AC 2 के कम्पार्टमेंट में उसको मुंह दबा कर खीच लिया गया और ट्रेन चलने लगी थी . फिर वह बेहोश हो चुकी थी . वह कई लोग थे शायद , उसके मोबाइल का सिम उन लोगों ने तोड़ कर फ़ेंक दिया था . उसके साथ क्या हुआ ? ये न पूछने की हमारी हिम्मत थी और न पूछा लेकिन लड़कियों के लिए खतरे का एक और तरीका सामने आया जिसको सुनकर स्तब्ध रह गयी हूँ .
वैसे सामाजिक तत्वों की हरकतों से हम अखबार से रोज ही दो चार होते रहते हैं और हमारा मन अपनी बेटियों और बहनों के लिए आशंका से भर उठता है . फिर हम सभी एक जागरूक नागरिक और सबसे पहले इंसान है और इंसानियत हमारा धर्म है . अगर हम सभी सफर भी करें , बाजार में हों या फिर स्टेशन पर खुद को सजग रखें और अगर ऐसी किसी अनहोनी होने की आशंका भी लगे तो पुलिस को सूचना अवश्य दें . शायद हम किसी की बेटी , बहन के जीवन को ऐसे हाथों में आने से बचा सकें .
thanks rekha ji .this is our duty .thanks to share this post.
जवाब देंहटाएंदेश का माहोल खराब होता जा रहा है ... अराजक तत्व खुले आम घूमने लगे हैं ... सावधानी रखने में ही अच्छा है आज कल तो ...
जवाब देंहटाएंऐसी बातें जरुर साझा करनी चाहिए जिससे लोग जागरूक हो और समय पर मदद कर सके !!
जवाब देंहटाएंओह!, बहुत ही दुखद.... असामाजिक तत्वों दुस्साहस बढता जा रहा है. सजगता नितांत आवश्यक हो गई है.
जवाब देंहटाएंऐसी घटनाओं की जानकारी तो सबको होनी जरूरी है ………इतना दुस्साहस्………ये तो अति है।
जवाब देंहटाएंहे ईश्वर........सच में स्तब्ध कर देने वाली घटना है .....
जवाब देंहटाएंoh! frightening!
जवाब देंहटाएंआज राक्षसी,अपने बच्चे,छिपा रही,मानवी नज़र से
जवाब देंहटाएंमानव कितना गिरा,विश्व में, क्या तेरी वन्दना करूँ !
जी हाँ,हम सबको सचेत-सावधान रहना चाहिये,और ऐसी बातें छिपाना तो क्राइम को बढ़ावा देना है .ऐसे मौकों पर लोग दर्शक न रहें कुछ सक्रिय कदम उठाएं तो काफ़ी कुछ सुधर सकता है .
जवाब देंहटाएंयह घटना पढ़ कर स्तब्ध हूँ .....बहुत ज़रूरी है सचेत रहना ...
जवाब देंहटाएंयह घटना पढ़ कर स्तब्ध हूँ ..... बहुत ज़रूरी है सचेत रहना ।
जवाब देंहटाएंस्तब्ध
जवाब देंहटाएंहम मनुष्य नहीं भेड़िए पैदा कर रहे हैं। परिवार विहीन और समाज विहीन व्यवस्था में ऐसा ही होगा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बेचारा रुपया - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं:-(
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूँ...
अनु
हम ६ साल की आयु में घर के लिए सामान लाने सड़क तक चले जाते है और आज मै अपनी बेटी को अपने फ्लोर के ऊपर और निचे तक नहीं जाने देते यहाँ तक की अपने फ्लोर के बस एक ही घर में जाने की इजाजत है , समाज लड़कियों के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक सा बन गया है ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsthiti bahut gambheer hoti ja rahi hai ....sajha karne ka shukriya ..
जवाब देंहटाएंसबको सचेत-सावधान रहना चाहिये
जवाब देंहटाएंso sad incident.
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक कह रही हैं आप यदि हम सब वास्तव में इंसानियत का फर्ज़ निभाना सीख जाये तो शायद हमारे समाज में बहुत कुछ सुधार आसकता है।
जवाब देंहटाएंsajagta bahut jaroori hai -vyakti dwara bhi v samaj dwara bhi .
जवाब देंहटाएंसचेत करती घटना।
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