जीवन की बढ़ती आपाधापी और दूर दूर फैले कार्यक्षेत्र में लगने वाले समय ने और खाने पीने की नयी नयी सुविधाओं ने जीवन सहज बना दिया है लेकिन शरीर को जल्दी ही दवाओं पर निर्भर भी बनाता जा रहा है।
हम रोज ही किसी न किसी रोग को लेकर 'दिवस ' मनाते है किसलिए ? सिर्फ लोगों में उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए। कभी कैंसर , कभी टीबी और कभी एड्स आदि कई रोगों को घातक जानते हुए ये कदम उठाये जाते हैं। विभिन्न गोष्ठियाँ , चर्चाएं आयोजित की जाती हैं और अखबार आदि सभी में आलेख प्रकाशित किये जाते हैं। फिर भी क्या लोग इससे कुछ सबक लेते हैं ? कम पढ़े लिखे लोगों की जाने दीजिये , शिक्षित और जागरूक लोग भी क्या इस और कितना ध्यान देते हैं ? कोई भी इस बारे में गंभीरता से विचार करता है क्या ? सामान्य जीवन में शरीर की थोड़ी सी असामान्यता इंसान नजरअंदाज कर देता है और फिर कभी गहन परीक्षण के दौरान किसी विस्फोट की तरह गंभीर समस्या सामने आ जाती है।
पढ़कर लगेगा कि ये उपदेशीय प्रवृत्ति की यहाँ कोई जरूरत नहीं है लेकिन आज कोई भी चीजें शुद्ध नहीं है और धीरे धीरे उनकी अशुद्धि की मात्र से अनभिज्ञ हम सब कुछ भोज्य पदार्थों के साथ ग्रहण करते रहते हैं। कितना ही बचें फिर भी कुछ केमिकल हमारे भोजन में सम्मिलित होकर अंदर पहुँच ही रहे हैं। शरीर में उनका दुष्प्रभाव छोटे से लेकर बड़ों तक कभी जल्दी या कभी देर से उभर कर सामने आ ही जाता है और फिर कहते सुना जाता है -- 'अच्छे खासे थे , खाते पीते थे लेकिन अचानक पेट में दर्द हुआ तो इस का पता चला ( ये 'इसका' में कुछ भी हो सकता है - ट्यूमर , कैंसर , स्टोन या कोई और व्याधि ) . क्यों न हम इस स्थिति के आने से पहले थोड़ी सी सतर्कता बरतें तो जीवन सुचारू रूप से चलता रहेगा और हम स्वस्थ रहेंगे। इस कामना पूर्ण करने के लिए कुछ प्रयास तो करने ही होंगे। हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा।
आज सभी को ३५-४० की उम्र से हर छह महीने में रूटीन चेकअप कराना चाहिए। जिससे भी असामान्य नजर आता तो उसका समय से उपचार हो सकता है और भविष्य में किसी गंभीर बीमारी के अचानक प्रकट होने से बचा जा सकता है। सामान्य कहीं जाने वाली घातक बीमारियाँ - डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , थायराइड या फिर ह्रदय से सम्बंधित कोई भी बीमारी को आरम्भ में ज्ञात में किया जा सकता है। उसके प्रति सावधानी बरती जा सकती है।
जीवन के लिए शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण होता है , फिर भी हम उसके लिए लापरवाही करते हैं। हम रोज किसी न किसी रोग के लिए 'दिवस' मानते हैं लेकिन कभी ये नहीं सोचते हैं कि अगर 'रूटीन चैकअप डे ' हर महीने एक बार मनाएं और उससे कुछ लोग भी जागरूक होते हैं तो बढ़ते रोगों की सम्भावना पर समय से पूर्व अंकुश लगाया जा सकता है।अब तो विभिन्न कंपनी इसको पूरे चैकअप के लिए पैकेज के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं और अलग अलग जाकर जहमत भी उठाने की जरूरत नहीं है बल्कि अब तो बैंक और अन्य व्यक्तिगत व्यावसायिक कंपनी अपने कर्मचारियों को इसके लिए मेडिकल में सुविधा प्रदान करने लगी हैं।
जीवन आपका है और उसे स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है।
हम रोज ही किसी न किसी रोग को लेकर 'दिवस ' मनाते है किसलिए ? सिर्फ लोगों में उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए। कभी कैंसर , कभी टीबी और कभी एड्स आदि कई रोगों को घातक जानते हुए ये कदम उठाये जाते हैं। विभिन्न गोष्ठियाँ , चर्चाएं आयोजित की जाती हैं और अखबार आदि सभी में आलेख प्रकाशित किये जाते हैं। फिर भी क्या लोग इससे कुछ सबक लेते हैं ? कम पढ़े लिखे लोगों की जाने दीजिये , शिक्षित और जागरूक लोग भी क्या इस और कितना ध्यान देते हैं ? कोई भी इस बारे में गंभीरता से विचार करता है क्या ? सामान्य जीवन में शरीर की थोड़ी सी असामान्यता इंसान नजरअंदाज कर देता है और फिर कभी गहन परीक्षण के दौरान किसी विस्फोट की तरह गंभीर समस्या सामने आ जाती है।
पढ़कर लगेगा कि ये उपदेशीय प्रवृत्ति की यहाँ कोई जरूरत नहीं है लेकिन आज कोई भी चीजें शुद्ध नहीं है और धीरे धीरे उनकी अशुद्धि की मात्र से अनभिज्ञ हम सब कुछ भोज्य पदार्थों के साथ ग्रहण करते रहते हैं। कितना ही बचें फिर भी कुछ केमिकल हमारे भोजन में सम्मिलित होकर अंदर पहुँच ही रहे हैं। शरीर में उनका दुष्प्रभाव छोटे से लेकर बड़ों तक कभी जल्दी या कभी देर से उभर कर सामने आ ही जाता है और फिर कहते सुना जाता है -- 'अच्छे खासे थे , खाते पीते थे लेकिन अचानक पेट में दर्द हुआ तो इस का पता चला ( ये 'इसका' में कुछ भी हो सकता है - ट्यूमर , कैंसर , स्टोन या कोई और व्याधि ) . क्यों न हम इस स्थिति के आने से पहले थोड़ी सी सतर्कता बरतें तो जीवन सुचारू रूप से चलता रहेगा और हम स्वस्थ रहेंगे। इस कामना पूर्ण करने के लिए कुछ प्रयास तो करने ही होंगे। हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा।
आज सभी को ३५-४० की उम्र से हर छह महीने में रूटीन चेकअप कराना चाहिए। जिससे भी असामान्य नजर आता तो उसका समय से उपचार हो सकता है और भविष्य में किसी गंभीर बीमारी के अचानक प्रकट होने से बचा जा सकता है। सामान्य कहीं जाने वाली घातक बीमारियाँ - डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , थायराइड या फिर ह्रदय से सम्बंधित कोई भी बीमारी को आरम्भ में ज्ञात में किया जा सकता है। उसके प्रति सावधानी बरती जा सकती है।
जीवन के लिए शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण होता है , फिर भी हम उसके लिए लापरवाही करते हैं। हम रोज किसी न किसी रोग के लिए 'दिवस' मानते हैं लेकिन कभी ये नहीं सोचते हैं कि अगर 'रूटीन चैकअप डे ' हर महीने एक बार मनाएं और उससे कुछ लोग भी जागरूक होते हैं तो बढ़ते रोगों की सम्भावना पर समय से पूर्व अंकुश लगाया जा सकता है।अब तो विभिन्न कंपनी इसको पूरे चैकअप के लिए पैकेज के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं और अलग अलग जाकर जहमत भी उठाने की जरूरत नहीं है बल्कि अब तो बैंक और अन्य व्यक्तिगत व्यावसायिक कंपनी अपने कर्मचारियों को इसके लिए मेडिकल में सुविधा प्रदान करने लगी हैं।
जीवन आपका है और उसे स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.03.2016) को "एक फौजी की होली " (चर्चा अंक-2278)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा , बहुत जरूरी
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