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शनिवार, 10 सितंबर 2011

मंत्रीजी के कथन पर !

माननीय गृहमंत्री महोदय अपनी कुर्सी पर फेविकोल नहीं बल्कि फेविक्विक लगाकर चिपके रहना चाहते हैं और अपने विभाग की नैतिक जिम्मेदारी लेने के स्थान पर यह वक्तव्य .दे रहे हैं कि 'हर आतंकी हमले को रोका नहीं जा सकता।' मंत्री महोदय कृपया यह बताएं कि कितने हमले रोके गए हैं? देश के सारे मंत्रालय अपने कार्य को इतनी जिम्मेदारी से सम्पादित कर रहे हैं कि उसी के एवज में अन्ना की पर पूरा देश उठकर खड़ा हो गया और फिर भी सरकार अपने प्रति जनता के अविश्वास का अक्श देख कर भी अनजान बनी हुई है।


आतकी हमलों को रोकने की बात तो बहुत बादi में आती है , आज तक किसी भी हमले की गुत्थी को तो सुलझाया नहीं जा सका है। आतंकी हमलों को रोकने की कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि इससे देश की आबादी अपने आप काम हो रही है, आतंकियों को अगर पकड़ भी लेंगे तो उन्हें सुरक्षित और शानदार जीवन देने का बीमा तो आपके विभाग ने कर रखा है। अगर अदालत किसी प्रकार से इनपर अपना फैसला सुना भी देती है तो


फिर फाइल तो आपके मंत्रालय में दबा कर रखी जानी है। आपको इन्तजार होता किसी कंधार काण्ड का जिससेa कि उसे सुलझा कर आप देश के नाम पर खुद कलंक बन जाएँ। नहीं तो फाइल तब तक दबी रहेगी जब तक कि आतंकवादी जीवनदान के अधिकारी न बन जाएँ। अधिक समय होने पर राजीव गाँधी के हत्यारों की तरह से तमिलनाडु विधायिका उनके जीवनदान के लिए सिफारिश करने लगी है तो कल इनको भी कोई न कोई पैरोकार मिल ही जाएगा। हमले में हें रिक्शेवाले, फलवाले और आम आदमी - कभी कोई मंत्री या नेता भी मरा है?

ये मरेंगे ही क्यों? क्योंकि बाहर रहे तो उनके आका हैं ही उनके लिए और अगर पकड़ भी गए तो सरकारी मेहमान बनकर जीना भी काम आरामदायक नहीं है. देश के आम आदमी से अधिक सुख -सुविधापूर्ण जीवन उनको दिया जाता है , इसलिए मंत्री जी बोलने से पहले सोच लीजिये कि ऐसा वक्तव्य किसी मंत्री को शोभा नहीं .




6 टिप्‍पणियां:

  1. सही है ..नेताओं का क्या जाता है वो तो सुरक्षा घेरे में रहते हैं ... सार्थक पोस्ट

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  2. रेखा जी
    कोई भी आतंकवादी किसी भारतीय नेता को क्यों मरेंगा वो भारतीय जनता को परेशान करना चाहते है उन्हें खुश नहीं ! ये अच्छा काम तो ये आतंकवादी अपने देश पाकिस्तान में ही करते है और अपनी जनता को खुश होने का मौका देते है |

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  3. अंशुमाला जी,
    अपने सही कहा हमारे यहाँ तो अपराधी मंत्री बड़ी शान से जीते हें और जनता सिर्फ उन्हें देख कर घुट सकती है.

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  4. आतंकवाद भयावह रूप धरता जा रहा है।

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  5. बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट उतनी अच्छी इन सब्दो की सजावट बहुत बहुत धन्यवाद क्यूँ की इस डोर से ही मेरे अपने मामाजी गुजर रहे है और इन दो महीनो में बीमारी क्या होती है ये मुझे पता चल गया है क्यूँ की न तो ये बात में किसी को कह सकता और न ही किसी के साथ श्येर कर सकता
    रेखा जी बहुत बहुत धन्यवाद
    मेरे ब्लॉग पे भी आते रहिये गा

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