आज मुझे अपने ब्लॉग को शुरु किये हुए आठ वर्ष हो गये । बहुत कुछ सीखा और अपने पाँच ब्लॉग बनाये हैं , अलग अलग उद्देश्य से । ईमानदारी से कहूँगी कि कुछ वर्षों तक तो उनके साथ न्याय कर पायी फिर कुछ अन्य कार्यों में व्यस्तता और सामाजिक सरोकार में वृद्धि से समय कम दे पायी ।
.इस बीच ब्लॉगिंग में भी गुटबाजी का असर देखा और लंबी लंबी कमेंट वाली लड़ाई भी देखी । हम कभी बोले जहाँ देखा कि बोलना जरूरी है । बहुत सहयोगी ब्लॉगर साथी हैं सभी । मैंने कई परिचर्चायें आयोजित की और सबसे बहुत सहयोग मिला । किसी ने ये नहीं सोचा कि नयी हूँ तो अपने विचार क्यों दें? लेकिन समकक्ष मानकर सबने जो साथ दिया अभिभूत हुई ।
एक कटु अनुभव भी रहा -- एक सामूहिक ब्लॉग ने मुझे अध्यक्ष बनाया और शायद सोचा था कि एक रबड़ स्टाम्प मिल गया । मैं पहले से उसकी सदस्य थी और फिर कुछ साथियों ने मना किया कि मैं इस पद को स्वीकार न करूँ क्योकि संस्थापक ही सर्वोपरि हैं । फिर भी मैंने चुनौती स्वीकार की और उस ब्लॉग के अतीत को देखते हुए सबसे पहले एक आचार संहिता बना कर ब्लॉग पर डाली और सबको मानने का अनुरोध भी था । कुछ दिन चला फिर वही वैमनस्य बुढ़ाने वाली पोस्ट आने लगी और आचार संहिता ताक पर । क ई बार विनम्र अनुरोध के बाद भी कुछ रुका नहीं और मैंने पूरी तरह त्यागपत्र दे दिया ।
फेसबुक के जलवे बढ़ने के साथ ब्लॉग के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ और त्वरित प्रतिक्रिया को देखने के लालच ने सब कुछ वहीं केन्द्रित कर दिया । ब्लॉग सूने हो गये । हम सभी दोषी हैं इसके लिए और नवें वर्ष में प्रवेश के साथ ही रोज न सही लेकिन ब्लॉग पर निरन्तर लिखने के लिए प्रतिबद्धता स्वीकार करती हूँ और सभी ब्लॉग पर जाकर पढ़ने का भी प्रयास करूँगी । हम ही एक दूसरे के हौसले को बढ़ाने का काम करेंगे ।
बहुत बहुत बधाई दी .. आईये ब्लॉग पर वापस चलें !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई दी .. आईये ब्लॉग पर वापस चलें !
जवाब देंहटाएंबधाई जी. हम तो ब्लॉग में ही जमे हैं. फ़ेसबुक का स्ट्रक्चर तो बकवास है. पर लोगों को त्वरित 100-50 लोगों की प्रतिक्रिया मिलती है, तो इसमें ही खुश हो लेते हैं. परंतु बाद में वो सारा माल एक तरह से गायब हो जाता है, ढूंढे नहीं मिलता :( ऊपर से यदि आप फ़ेसबुक के सदस्य नहीं हैं तो सामग्री देख भी नहीं सकते!
जवाब देंहटाएंसार्थक, सार सामग्री के संचयन के लिए ब्लॉग ही बेहतर है.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2473 में दी जाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
फेसबूक के त्वरित कमेंट से ब्लॉग पर असर पड़ा है आपकी यह बात बिलकुल सही है...
जवाब देंहटाएंलेकिन संचयन का सुन्दर माध्यम ब्लॉग बहुत अच्छा है .. हम एक-दूसरे का सहयोग करे तो ब्लॉग में फिर से रौनक आ सकती है
ब्लॉग्गिंग के आठ वर्ष पूर्ण हेतु बहुत-बहुत बधाई.. :-) muskaankikalamse.blogspot.com
बहुत-बहुत बधाई। ब्लॉगिंग जारी रहे। हम सब साथ हैं। शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबधाई रेखा जी ! फेसबुक पर सक्रिय होने के साथ-साथ ब्लॉग की कभी उपेक्षा नहीं की मैंने ! मेरे ब्लॉग पर भी आइये स्वागत है आपका ! लिखने वाले लिख रहे हैं ! पाठकों का अभाव हो गया है ! मेरा भी प्रयास रहेगा कि ब्लोग्स पर भी अवश्य जाऊँ !
जवाब देंहटाएंबधाई आठ वर्षों की ब्लोगिंग की ... उठा पटक तो चलती रहती है ... जैसे ब्लोगिंग भी ...
जवाब देंहटाएंसर्वश्रेष्ठ ब्लाग पर लिखना है मगर त्वरा में फेसबूक फर जुटे हैं!
जवाब देंहटाएंआठ वर्ष पूरे होने की बहुत बधाई!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भूली-बिसरी सी गलियाँ - 8 “ , मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबधाई सफर जारी रहे शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई। .
जवाब देंहटाएंनिरंतर चलता रहे ये कारवां
हार्दिक शुभकामनाएं, रेखा जी!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ,
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रही हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
मानती हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग