राष्ट् ध्वजारोहण अपने आप में एक सम्मान है और आज इसा सम्मान को पाने की घटना को सबसे बांटने का मन किया तो लिखना प्रासंगिक लगा . वैसे ये अधिकार सिर्फ प्रमुखों को ही प्राप्त होता है . चाहे बड़े संस्थान हो, राष्ट्र या प्रदेश के प्रमुख हों, या किसी बड़े कालेज या स्कूल की प्रमुख।
आज बताने का मन हुआ कि इस सौभाग्य को मैंने भी प्राप्त किया है। उस समय मैं अपना एम एड पूरा करके तैयार हुई थी कि मेरे पति के एक मित्र ने पब्लिक स्कूल खोल रखा था और उसकी प्रिंसिपल बहुत ही विद्वान् थी। लेकिन किसी कारणवश उन्होंने पद छोड़ा और कहा कि मैं उस पद के लिए उपयुक्त हूँ और वह पद मैंने संभाल लिया। वैसे भी राष्ट्रीय पर्व पर स्कूल के प्रबंधक या उनकी पत्नी ध्वजारोहण के लिए आते थे और वही ये काम करते थे। लेकिन उस 26 जनवरी को शायद वो अपने स्कूल (जहाँ वे नौकरी करते थे ) में फँस गए और उन्होंने कहा कि इस बार ध्वजारोहण मैं ही करूं . वह 26 जनवरी 1985 थी जब कि मैंने ध्वजारोहण किया था। इस बात का मुझे गर्व भी है कि देश के ध्वज को फहराने और सलामी देने का अवसर मुझे मिला
क्या बात है!! सचमुच ये सौभाग्य ही है. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंवाह...
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जवाब देंहटाएंपूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जय हिन्द !!
इस अवसर पर आपकी पोस्ट से सजी बुलेटिन पर आईए
badhai ho ....jai hind
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंनिःसंदेह यह एक सौभाग्य है .... और इस के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंइस सौभाग्य की बधाईयाँ..
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