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सोमवार, 15 जुलाई 2013

किस्सा ए लाइक औ' कमेंट !



                         फेसबुक की महिमा  अपार है क्योंकि मैं तो आज तक इसके रहस्य  समझ ही नहीं पायी वैसे  के  समझने के लिए जितना समय चाहिए  उतना दे भी नहीं पाती हूँ . आज काजल जी का स्टेटस  जिसमें उन्होंने 14 सेकंड में 10 लाइक और 2 कमेंट वाली बात कही थी , सिर्फ कही ही नहीं थी बल्कि उसको प्रमाण सहित प्रस्तुत भी किया था .

                        काजल जी तो फेसबुक पर बहुत समय बिताने वालों में है लेकिन मैं जो नहीं बिता पाती हूँ लेकिन जाती तो हूँ और जहाँ कमेंट दे पाती  हूँ वह देती हूँ और लाइक भी करती हूँ लेकिन जिसपर देती हूँ उसको पढ़ती जरूर हूँ . कम लोगों का पढ़ पाऊं चलेगा लेकिन सिर्फ इसलिए कि लाइक करना ही है नहीं कर पाती हूँ या कहिये ये लाइक और कमेंट पाने के लिए बहुत लोकप्रिय होना पड़ता है जिससे अगर आप स्टेटस पर सिर्फ "वाह       .........." लिख दें और उसके लाइक करने वाले और कमेंट करने वालों की संख्या गिनना मुश्किल हो जाए . कई जगह पर मैं ये समझ नहीं पाती  हूँ कि  क्या वाकई प्रस्तुत की  हुई चीज इतनी अच्छी है कि उसको इतने सारे  लोगों के द्वारा लाइक कर लिया गया है . ये भी हो सकता है कि मुझे अभी फेसबुक के रूल्स ही पता न हों . वैसे ये बात तो मैं इमानदारी से स्वीकार कराती हूँ कि फेसबुक की बहुत सारी एप्लीकेशन आज भी मेरी समझ से परे हैं . कभी कभी बेटियों से पूछ लेती हूँ लेकिन सब कुछ क्या बहुत कुछ आता ही नहीं है .
                        लेकिन इतना जरूर है कि इसमें हमारे एक मित्र ने कहा कि  अगर काजल कुमार जी कुमारी होते तो उन्हें भी इसी तरह से कमेंट मिल रहे होते . ये कटाक्ष सच नहीं है क्योंकि बहुत सारी  महिलायें और लड़कियाँ फेसबुक पर हैं सब को इतने लिखे और कमेंट तो नहीं मिलते हैं .  मुझे नहीं लगता है कि सारे लाइक  करने वाले उस स्टेटस को पढ़ कर ही लाइक और कमेंट करते हैं .

7 टिप्‍पणियां:

  1. आप से नहीं रहा गया। पढ लेना कोई मुश्किल काम नहीं है परन्तु सार्थक टिपण्णी कर पाने में मेरे जैसे कई अक्षम रहते है.

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  2. कमेन्ट का तो ठीक है जिसको पढनें के बाद कुछ कहना हो तो वो कह देते हैं लेकिन लाइक के मामलें को समझना बड़ा पेचीदा काम है क्योंकि हर कोई एक हिसाब से लाइक नहीं करते हैं ! कुछ तो बिना देखे लाइक करते जाते है तो कुछ पढकर ये बताने के लिए लाइक करते हैं कि उन्होंने इसको पढ़ा है और कुछ लोग अच्छा लगनें पर ही लाइक करते हैं !

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  3. रेखा दीदी आप तो फिर कभी ना कभी कोई टिप्पणी देती होगी ....पर मैं तो वो भी नहीं कर पाती

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  4. ब्लॉगों पर जितना नियमित टिप्पणी कर देते हैं, फेसबुक पर नहीं हो पाता है।

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  5. सच , सामयिक और सटीक
    बहुत ही सशक्त पोस्ट.....
    लेकिन अनुत्तरित सवाल .............

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  6. कई बार टिप्पणी नहीं सूझती तो लाईक कर ही संतोष कर लेना पड़ता है ....
    बाकी किसके स्टेटस पर कैसे लाइक्स आते हैं , फेसबुक पर विचरण करते समझ आ जाता है :)

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  7. फेसबुक के हाल भी वही ब्‍लाग वाले हैं, आपने की है तो आपको भी मिलेगी।

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