मैं और मेरी माँ ( पिछला मदर्स डे ) |
ये मेरी माँ के साथ तस्वीर पिछले मदर्स डे पर ली गयी पहली और आखिरी तस्वीर है। मैं भी नहीं जानती थी कि , सिर्फ इस दिन के लिए बगैर उन्हें सूचित किये उनके पास पहुंची थी, उनके साथ मैं अपना पहला और आखिरी मदर्स डे मना रही हूँ.
माँ मैंने तुमसे जीवन में संघर्ष , सेवा ,त्याग और समर्पण का पाठ पढ़ा है और उसको निभाते हुए मैंने जीवन की लम्बी लड़ाई सफलतापूर्वक लड़ते हुए जीत ली है और मेरी जीत देख कर ही तुम्हें परम संतोष मिला था।उससे पहले जब भी तुम्हारे पास जाती तो वही चिंता भरे सवाल और मेरे लाख आश्वस्त करने के बाद भी कहीं संशय पालती रहती थी। मेरे बाद तुम छोटी बहनों से पूछती। सब वही उत्तर देते और फिर मेरी दोनों बेटियों को अपनी मंजिल तक पहुंचा देख तुम कितनी खुश हुई थीं? उसके बाद दोनों की शादी देख कर तुम्हें लगा कि अब तुम्हारी आत्मा सब तरफ से निश्चिन्त हो चुकी थी. सबसे ज्यादा मेरी चिंता रहती थी न तुम्हें. अब कोई चिंता करने वाला नहीं रहा और पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि सारे लोगों की चिंता मुझे दे गयी हो।
अब माँ उस घर और उस कमरे में जाने का कभी मन नहीं करता घर तो जाऊँगी ही लेकिन उस कमरे की हर चीज में मुझे तुम ही नजर आती हो। वही तुम्हारी साड़ियां , कपडे सब उसी तरह से अलमारी में रखे हुए। उन्हें छू कर तुम्हारे होने का अहसास होता है लेकिन तुम तो हमेशा अपनी बच्चों के साथ हो और हमेशा रहोगी ।
मा व्यक्तित्व से कहीं ज्यादा अहसास ही तो है दीदी...
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