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शुक्रवार, 5 मार्च 2010

आई आई टी स्वर्ण जयंती वर्ष

आई आई टी कानपुर अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में  ऐसे शिलालेख तैयार किया  है जिससे कि आने वाले समय में अगर ये दुनिया किसी तरह से रसातल में जाती है या फिर कभी किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाती है तब भी इसका इतिहास किसी न किसी रूप में सदैव जीवित रहे.  इसके इतिहास को लिपिबद्ध कर हस्ताक्षरों सहित ऐसे धातु के एक कैप्सूल में सुरक्षित करके जमीन के अन्दर दबा दिया गया है.
                             
 टाइम कैप्सूल २०१० 

 चित्र उस टाइम कैप्सूल २०१० का है, जिसमें पिछले ५० वर्षों में इस संस्थान में हुई प्रगति , शोध, और उपलब्धियों को अंकित कर डाला गया है. इससे जुडी हस्तियों के बारे में और १९५९ में १४० छात्रों के साथ मात्र अभियांत्रिकी एवं तकनीकी विधा को लेकर आरम्भ होने के समय से लेकर आज इन विधायों की एक लम्बी श्रृंखला  जिसमें जैवकीय से जुड़ी सभी विज्ञान , प्रबंधन, एक विशाल संस्थान में परिवर्तित रूप का वर्णन किया गया .

                     आज ६ मार्च  २०१० को महामहिम प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जी द्वारा इसको पृथ्वी के अन्दर स्थापित किया जाएगा और उस स्थल को शिलालेख द्वारा इंगित किया जाएगा.  जैसे हम आज पाषाण युग, सिन्धु घाटी की सभ्यता के अवशेषों को देख कर एक प्राचीन काल के इतिहास का अनुमान लगा लेते हैं ठीक उसी तरह हजारों साल के बाद भी यदि कभी इस पृथ्वी का स्वरूप बदला तब भी ये इतिहास जीवित रहे इस परिकल्पना को सामने रखकर इसको तैयार  किया गया है. 

               नैनो सेटेलाईट "जुगनू"

 आज का दिन इस संस्थान के लिए और भी महत्वपूर्ण इस लिए है की यहाँ के प्रतिभाशाली इंजीनियरों के द्वारा तैयार की गयी 'जुगनू' नैनो सैटेलाईट  इसरो के प्रतिनिधि को भेंट की जायेगी और इसका प्रक्षेपण इसरो के द्वारा किया जाएगा. ये सबसे कम वजन की सैटेलाईट है जिसको अन्तरिक्ष में स्थापित किया जाएगा.
 महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी ने इस को इस तरह से सम्मानित किया - ' कानपुर आई आई टी के द्वारा दी गयी ये नैनो सैटेलाईट ने देश को कान, आँख और नाक भी दी है.'
         आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर ये बताना जरूरी है कि हम सिर्फ तकनीक और अभियांत्रिकी को ही आगे नहीं ले रहे हैं बल्कि विभिन्न प्रोजेक्ट के द्वारा देश कि तमाम सामान्य और आपातकालीन सथियों से निपटने के लिए चाहे वह रेल , प्राकृतिक आपदा, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का क्षेत्र हो. देश के लिए महत्वपूर्ण एवं अविस्मरनीय योगदान देने के लिए सदैव ही आगे रही है और आगे भी इसी तरह से सदियों तक और भी अधिक क्षमता के साथ देश के लिए योगदान के लिए आगे रहेगी.

 

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी रेखा दी,...यह तो कमाल की खबर है...और वह भी इतने विस्तार से...ऐसे ही अवगत कराते रहें...नयी नयी जानकारियों से

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  2. आप जो जानकारी दे रही हैं वो तो बढि़या बात है ही। उससे भी आनंददायक यह है कि आप उन्‍हें हम सबसे साझा कर रही हैं। सरोकार जो आपके हैं वे हमारे भी बन रहे हैं।
    एक अनुरोध है कि हिन्‍दी टिप्‍पणियों के मार्ग में अंग्रेजी की बाधा वर्ड वेरीफिकेशन को डेशबोर्ड की सैटिंग में जाकर कमेंट्स में डिसेबल कर दीजिए तो अच्‍छा रहेगा। आपके, हमारे, हिन्‍दी और टिप्‍पणीदाताओं के लिए भी।

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  3. वाह क्या बढिया जानकारी है दीदी. सचमुच बहुत बडा और महत्वपूर्ण कार्य किया है आई.आई.टी. कानपुर ने. बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  4. ऐक अच्छी जानकारी मिली आपके पोस्ट के माध्यम से। आभार।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  5. आई आई टी कानपुर का एक महत्वपूरर्ण कदम जिससे इतिहास में सुरक्षित रहेगा आई आई टी कानपुर का नाम. मैं 1973-
    1975 में द्विवर्षीय एम. एस. सी ( सांख्यिकी) का विद्यार्थी था. सुखद अनुभूति.

    धन्यवाद

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  6. apke lekh ko padh kar bahut he accha laga.
    or bahut vistaar se is ke baare me jaanne ka mauka mila.
    dhanyavaad.

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  7. ज्ञानवर्धक लेख ,बधाई

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  8. bhaut rochak jankari di aapne .bahut pasand aai muje ye kyonki muje bhi aksar ye lgta raha hai ki bhavishy me khudai ke rup itihass mile iske liye kuch na kuch chij aaisi bana kar rakh deni chahiye .
    aksar sochti hu ki kya kya chije hai jo hajaro sal bad insaan ke hatho me rahegi .

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  9. ajai ji,

    bahut bahut dhanyavaad , verification hatane ke liye guide karne ke liye. vaastav men main isako karana nahin jaanti thi.

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.