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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

200 का सफर : चार साल !

                           

          आज  ब्लोगिंग के इस ब्लॉगवुड  ( इस शब्द  परिचय अभी हाल में ही हुआ है  ) में चार साल हो गए . इस लम्बे सफर में चलते चलते 5 मैंने ब्लॉग बनाये , जिनको किसी न किसी उद्देश्य से बनाया है . आज ये  भी  इत्तेफाक  है कि ये पोस्ट मेरी इस ब्लॉग की 200वीं पोस्ट है।
                     इसा सफर में बड़े खट्टे मीठे अनुभव मिले , बहुत सारे साथी मिले ,  आलोचक मिले , रिश्ते मिले और कुछ मिलकर छूट भी गए लेकिन इसका मलाल रहेगा कि उन रिश्तों को छोड़ने की वजह पता चल जाती तो कष्ट नहीं होता ,लेकिन कोई बात नहीं ये तो आभासी  दुनियां है। यद्यपि इस के लिए सीमित समय होता है फिर भी कोशिश   होती है कि  लेखन का काम निरंतर चलता रहे। इस कलम की गति अवरुद्ध  न हो . 
          वैसे तो आज के दिन मैंने अपना पहला ब्लॉग " hindigen "  बनाया था और इस को  मैंने  सिर्फ कविताओं के लिए ही रखा. और आज भी सिर्फ कविताएँ ही इसमें पोस्ट करती हूँ. चूंकि लेखन कार्य मेरा बचपन से चल रहा है लेकिन जो लिखित संचय था उसको ब्लॉग के माध्यम से एक मंच पर लेकर संचित कर दिया . कविता मेरा पहला शौक है और लेख बाद में लिखने शुरू किये. इसलिए पहले कविता का ब्लॉग ही बनाया गया था. ब्लॉगवुड में कदम रखने के बाद प्रकाशन के लिए अपनी रचनाएँ भेजनी प्रायः बंद ही कर दी हैं . जब तक ब्लॉग नहीं था तो छपने के लिए पत्र और पत्रिकाओं में भेजती रहती थी. लेकिन अब नहीं. न इसमें किसी संपादक की स्वीकृति की जरूरत है और न ही कागज पर लिख कर उनके नियमों में बंधकर चलने की. मेरी जमीन है और इस पर लगाये हुए पेड़ और पौधे भी मेरे ही हैं जिनके फूलों की खुशबू जरूर सबके लिए है.  (www.hindigen.blogspot.com) 
 
मेरे ब्लॉग में दूसरा ब्लॉग 'यथार्थ " है    मेरे लेखन में यथार्थ की कटु सत्य कहने वाली पोस्ट भी रही हैं और इस तरह के  की घटनाओं का " यथार्थ " में लेखन होता है। जीवन बहुत बड़ा गुजर चुका  है और  जितना गुजर चुका है उतना शेष नहीं है सो एक संवेदनशील ह्रदय और कर्मशील कलम ने जो रच  पाया उसको इसमें ही जमा कर दिया और अभी ये सफर चलता ही रहेगा। (www.kriwija.blogspot.com )
                    
             मेरा तीसरा  ब्लॉग है "
मेरा सरोकार " जिसमें मैंने सामाजिक राजनैतिक और मनोवैज्ञानिक विषयों को भी लिया है और उन को ऐसे ही नहीं छुआ है बल्कि उसमें गहन रूचि और अधिकार रखते हुए छूने का दुस्साहस किया है. समसामयिक घटनाओं पर कलम चली है . वह कितनी सफल  रही इसका आकलन को मैं खुद नहीं कर सकती लेकिन लिखना मेरा काम है और आकलन औरों का . इसमें भी लेखनी का मान  है कि वह लिखती ही रहे जरूरी नहीं कि उसको प्रशस्ति ही मिले आलोचना मिले या समालोचना, उसने अपने काम को जब से शुरू किया है तब से निरंतर चल ही रही है और ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसे ही चलती रहे. (www.merasarokar.blogspot.com)
                   
     मेरे चौथे ब्लॉग को मैंने "
मेरी सोच "   नाम दिया क्योंकि हर इंसान की अपनी एक अलग सोच होती है हर विषय में और उसके विषय में मैं क्या सोचती हूँ? इसको लेकर ही लिखा गया है. विषय सामाजिक और मनोवैज्ञानिक ही रहते हें लेकिन अपनी सोच को - अपने काउंसलर के काम से जोड़ कर जब देखती हूँ तो एक नई सोच और निष्कर्ष निकलते हें जो एक नया विषय या सोचने का मुद्दा दे जाते हैं , ऐसा नहीं है ऐसे हालात तो समाज में ही पैदा होते हैं और समाज में ही पलते हैं लेकिन उनके निदान के विषय में सोच कर कुछ लिखने का प्रयास किया गया है. जिनमें सिर्फ मेरे विचार ही हैं कि मैं उस विषय को किस तरह से सोचती हूँ.  (www.rekha-srivastava.blogspot.com)
                         मेरा पांचवा ब्लॉग "
कथा-सागर" कहानी के लिए बनाया है . लेकिन कथा कहानी इतनी लम्बी होती हैं और उनको लिखने में कभी कभी इतना बिलंव हो  जाता है कि कहानी का तारतम्य टूट जाता है . इसलिए फिलहाल एक लम्बे समय से अधूरी कहानी लिए शांत पड़ा है. उसे पूरी कर पाऊँगी भी या नहीं कह नहीं सकती लेकिन कभी नई कहानी लेकर जरूर ही आउंगी. ये कहानियां भी सब हमारे आस  पास ही पलती हैं और कभी वही कहीं गहरे तक उतर कर चुपचाप कब शब्दों में ढल जाती हैं ? ये तो लिखने के बाद ही पता चलता है.  (www.katha-saagar.blogspot.com)
                          इन पांच ब्लॉग को संभाले हुए चार साल पूरे किया जिनमें २ ब्लॉग " hindigen "  और "मेरा सरोकार "  तो २०० पोस्ट पूरी करके आगे निकल चुके हैं. शेष अभी चल रहे हैं मंथर गति से. कुछ शतक लगा चुके और कुछ लगाने की दिशा में बढ़ रहे हैं.
                          अपने ब्लॉग वुड में चार वर्ष पूरे करने पर मैं अपने सभी साथियों को धन्यवाद कहूँगी जिन्होंने मुझे यहाँ पर अपने साथी के रूप में स्वीकार किया . मुझे अभी भी इस दिशा में ब्लॉग की साज सज्जा की दृष्टि से अल्प ज्ञान ही है और जो भी अभी तक सीखा है सब अपने साथियों से ही सीखा  है. बस इसी तरह से अपना स्नेह बनाये रखे यही कामना करती हूँ.

                    

22 टिप्‍पणियां:

  1. blogs kae naam kae neechae blog kaa link lagaa dae
    aur badhaii swikaarae

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    1. धन्यवाद रचना, ठीक है ऐसे ही करती हूँ. लिंक देती हूँ.

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  2. चिट्ठाकारी में चार वर्षों की सुखद और अविस्मरणीय यात्रा हेतु आत्मिक शुभकामनायें, यह यात्रा अविराम चले नित नए आयाम की ओर.....पुन: बधाइयाँ और शुभकामनायें !

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    1. धन्यवाद ! रवींद्र जी, इसी तरह से स्नेह बनाये रखें.

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    1. धन्यवाद नासावा जी, आप सब लोगों के उत्साहवर्धन ने टिकाये रखा है.

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  4. बहुत बहुत बधाई आपको ..यह यात्रा अनवरत चलती रहे.

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    1. धन्यवाद शिखा, बस ऐसे ही मनोबल बढ़ाये रहोगी तो सफर चलता रहेगा.

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  5. चार वर्ष और आपके लेखन का आकलन .... बहुत बढ़िया .... निरंतरता बनी रहे .... बधाई और शुभकामनायें

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  6. char saal se jayda ka waqt to mujhe bhi ho gaya di... 31 may 2008 ko maine banaya tha...par ab tak bahut kam post hue islye bataya nahi...
    dil se badhai di..:)

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  7. इस अनवरत यात्रा के लिये हार्दिक बधाई और शुभकामनायें …………ये सफ़र यूं ही चलता रहे।

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  8. बहुत-बहुत बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं ...

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  9. संगीता स्वरुप ( गीत ) ने आपकी पोस्ट " 200 का सफर : चार साल ! " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    चार वर्ष और आपके लेखन का आकलन .... बहुत बढ़िया .... निरंतरता बनी रहे .... बधाई और शुभकामनायें

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  10. अविराम सतत लेखन की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें !

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  11. चार वर्ष पूर्ण करने पर बधाई और शुभकामनाएं। आपने सही लिखा है कि ब्‍लाग पर आने के बाद पत्र-पत्रिकाओं में छपने की इच्‍छा कम हो जाती है। मैंने भी कोई पुस्‍तक नहीं प्रकाशित करायी है। आप ऐसा ही लिखती रहें, बेबाक, आपको पुन; बधाई।

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  12. चार वर्ष और ४०० का आँकड़ा सच में गर्व करने योग्य है ।

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    1. नहीं प्रवीण जी आंकड़ा तो पाँचों ब्लॉग पर ६८१ हो चुका है.

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  13. ब्लॉग के चौथे वर्ष पर मैं आप सभी मुकेश सिन्हा, संगीता स्वरूप जी, अजित जी, सदा जी, वाणी शर्मा जी और वंदना सभी को हार्दिक धन्यवाद , बस ब्लॉग पर आने का समय निकाल कर इसी तरह से उत्साहवर्धन करती रहें. आभारी रहूंगी.

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  14. रेखा जी , 681 पोस्टें पूरी होने के इस पड़ाव पर आपकी ख़ुशी में ह्रदय से शामिल हूँ ! आपने जो बातें लिखी हैं इस आलेख में वो अपने भी दिल के बहुत करीब लगीं ! जैसे जीवन में लोग मिलते, बिछुड़ते रहते हैं , उसी प्रकार ब्लौगिंग की इस यात्रा में भी भाँती-भाँती के लोगों से मिलना और बिछड़ना जारी रहता है ! सभी मुसाफिर हैं , अलग-अलग पड़ाव पर अलग होते हैं तो उनके स्थान पर ऊर्जा से भरे नए लोग आते भी रहते हैं ! जीवन चलता रहता है ! आपको ढेरों बधाईयाँ ! आपका लेखन अनवरत जारी रहे !

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  15. अरे वाह!! बहुत बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ...ऐसे ही सफर चलता रहे....

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