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रविवार, 9 सितंबर 2012

फिर मंदिर ?

                     लाल कृष्ण आडवानी जी फिर मंदिर के  स्वर  क्यों निकालने लगे हैं ? आप जैसा वरिष्ठ नेता,   अनुभवी व्यक्ति यदि इस तरह  बात फिर करेगा तो फिर भाजपा को इससे क्षति  ही होगी। नेता विपक्ष का काम देश के  हालातों से आँखें मूँद कर  कहीं रामराज्य के सपने को देखना सिर्फ शेखचिल्ली जैसे काम हो सकते हैं। 
                       देश के  हालातों को देखते हुए देश और देशवासियों  को ठोस और सकारात्मक पहल की जरूरत है न  ऐसे  बेबुनियाद बातों की।  देश जब इस समय महंगाई  और सत्ता दल के आराजकता के दंश को झेल रहा  है उस समय उसको राम नहीं याद आ रहे हैं . उसको रोटी चाहिए जो थाली से बहुत दूर जा रही है , उसको जीने के लिए खुली हवा तक तो मुहैया नहीं है और आप राम मंदिर के नाम पर उसको बहलाने की कोशिश करने लगे हैं। राम हैं , हमारे मन में हैं लेकिन वह भी चंद  लोगों के क्योंकि अगरपेट खली होता है तो मन में किसी तरह से दो टुकडे रोटी का ख्याल आता है न की राम का। सभी के मन में होते तो शायद देश के ऐसे हालात  ही न होते। 
                      अगर देश का भविष्य देखना है और उसके लिए वास्तव में  कुछ करना ही है तो फिर अन्ना   की  छोड़ी हुई डगर  पर चलने  का   प्रयास कीजिये।   उनके प्रयासों ने वास्तव में जनमानस को एक मंच  पर लाकर खड़ा कर  कर दिया था। सर्वशक्तिमान सरकार  के उस समय पसीने छूटने  लगे थे . उस रस्ते पर चलने वालों के साथ जनमानस आज भी खड़ा होगा . उससे निजात चाहिए ऐसे निरंकुश सत्ताधारियों से जिनके लिए लोकतंत्र के स्तंभों की कोई भी कीमत नहीं रह  गयी है। अघोषित  आपातकाल जैसी स्थिति आ चुकी  है . संसद की दीवारें कांपने लगी हैं कि  अब इस देश में उसकी गिरती हुई गरिमा के बाद क्या होने वाला है? जनप्रतिनिधि या तो मूक दर्शक  हैं या फिर संसद से ऊपर हैं क्योंकि उन्हें जनप्रतिनिधि बनाते समय ये नहीं सोचा गया था कि ये अनपढ़ और  जाहिल लोगों जैसे व्यवहार को प्रदर्शित कर संसद को शर्मसार कर  देंगे। 
                     आज वह समय है जब की देश हित के लिए ठोस और सकारात्मक सोच का परिचय दीजिये और मन में इस संकल्प को रखिये कि  जो हम आश्वासन दे रहे हैं या जो  कह रहे हैं उनको पूरा करना है। राम मंदिर की बात तो आप लोग हर बार दुहराते हैं और सत्ता में आते ही फिर वह न्यायिक प्रक्रिया की मजबूरी दिखा कर मुंह छिपाते हैं इसलिए ऐसे काम करने की घोषणा  कीजिये जो आप करने की क्षमता रखते हों और जिन्हें पूरा कर सकें . देश को इस समय एक  सशक्त विपक्ष की जरूरत है और वह शक्ति और दृढ़ता तो आप लोगों में दिख नहीं रही है। सिर्फ बयानबाजी करने  से कुछ नहीं होता है बल्कि जनमानस में विश्वास पैदा कीजिये और उसके हित के बारे में सोच कर  भावी रणनीति निश्चित कीजिये। अन्ना की तरह ही पूरा देश एक दिशा में चल देगा .

11 टिप्‍पणियां:

  1. यह इनकी मज़बूरी हैं क्योंकि सत्ता भी जरुरी हैं :))

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  2. विकास को प्राथमिकता मिले, निर्धनता में फूट के बीज अधिक पल्लवित होते हैं।

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  3. Sunil Kumar ने आपकी पोस्ट " फिर मंदिर ? " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    यह इनकी मज़बूरी हैं क्योंकि सत्ता भी जरुरी हैं :))

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  4. prathmikatayen tay karni hogi nahin to ab desh aur deshvasiyon ka bhavishya andhkarmay dikh raha hai.

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  5. मंदिर के नाम पर अब जनता बेवकूफ नहीं बनेगी ...

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  6. नेताओं को अपनी अपनी रोटियां सेकनी हैं ... वुकास और सही तंत्र देने में कौन इच्छुक है ...

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  7. आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार ११/९/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

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  8. बहुत सार्थक पोस्ट !किसी भी बिंदु पर आप से मत -विरोध नहीं .भाजपा से आज भी उम्मीदें हैं और अन्ना इस देश की धडकन हैं "आधा सच" वाले ये क्या जानें .कैसे मौसम को पहचानें .
    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )

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  9. जब राम लला को लेकर कोई
    बेवजह राग अलापता है
    तो बच्चे भी पूछने लगे हैं
    पापा क्या चुनाव आने वाला है..

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  10. सियासतदानो की सियासत कैसे चलेगी फिर भला?

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  11. सब राजनीति फंडा हैं ....कोई नहीं सुधरेगा

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.