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बुधवार, 14 अगस्त 2013

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर !

                                       


                    देश  राजनीतिक गतिविधियों से कुछ सरोकार रखना हर देशवासी का हक है . देश हमारा है और जमीन हमारी माँ है . इस माँ की आन, बान और शान की रक्षा  हजारों सैनिक सिर्फ अपने राज्य की नहीं रक्षा के लिए नहीं बल्कि पूरे देश की  सरहदों पर रात दिन आखें टिकाये खड़े  रहते हैं . सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि देश की आतंरिक आपदाओं , प्राकृतिक आपदाओं , आतंकी घटनाओं के होने पर अपने जीवन को दांव पर लगा कर अनगिनत जीवनों को बचाने में लगे रहते हैं . हम भी अपने देश के सैनिकों जैसे भावनाएं अपने मन में विकसित क्यों नहीं कर पाते  हैं .

                                     हमारा प्रयास अपने देश को बचाने  का होना चाहिए . क्या देश और देशवासियों के हित में है  ये निर्णय संसद में बैठे चंद जनप्रतिनिधि करते हैं  भले ही वह जन के हित में हो  न हो . वे  चंद ताकतवर लोगों  के हाथ में अपनी कमान देकर बैठे होते है और वे सिर्फ कठपुतली होते हैं . कितने तो कभी देश या जनहित के प्रश्न को लेकर संसद में कभी खड़े भी नहीं होते हैं . देश के भविष्य पर एक प्रश्न चिह्न सा लग जाता है . किसी भी दृष्टि से देखें -- हम अनुसन्धान बहुत बड़े बड़े भले कर लें लेकिन अगर देश का आम आदमी भूख , अत्याचार और भ्रष्टाचार से त्राहि त्राहि कर रही हो तो देश सम्पन्न नहीं कहा जा सकता है . जो क़ानून बनाते हैं वे नहीं जानते हैं की आम आदमी कैसे जी रहा है ? वो क्या सोचता है - इससे उनको वास्ता नहीं है . और तो और जिस देश की जनता के बल पर संसद में बैठे हैं क्या उन्हें देश वासियों की भावनाओं से कोई लेना देना है ? शायद कुछ लोगों को तो बिलकुल ही नहीं , मैं सबकी बात नहीं  कुछ तो लगता है की इस दुनियां में जीते ही नहीं है और भाषा तो उनकी इतनी अधिक मधुर होती हैं कि उनको मंच से उठा कर बाहर  करने का मन करता है .
                                   आजादी के 66   बाद भी हम एक अच्छे पडोसी होने के धर्म को निभाते चले आ रहे हैं और इस धर्म के निर्वाह में अपने कितने सैनिकों को गवां चुके हैं और कितने वहां की जेलों में आतनाएं सह रहे हैं और हमें उनके वहां होने की खबर तक नहीं है और अगर खबर है तो उनके वापस लाने से कोई वास्ता नहीं है . इस दिशा में पहल करने की कोई जरूरत ही नहीं समझती है हमारी सरकारें . जब भी पाकिस्तान सीमाओं पर कोई घिनौनी हरकत अंजाम देता है तो ये हमारे रक्षामंत्री सही और जिम्मेदार मंत्री पडोसी होने के धर्म को निभाने की बात करते और कुछ तो उसे पाकिस्तान कीगलती मानते ही नहीं है । ये बयानों को सुनकर सिर शर्म से झुक जाता है .  इन लोगों ने हमारे सैनिकों को सीमा पर हाथ बांध कर  खड़ा कर रखा है कि  मर जाना लेकिन हमारे आदेश न हो अपने हाथ भी मत हिलाना . दुश्मन के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं , जब सीमा पर हम कठपुतली की तरह अपनी सेना का प्रयोग कर रहे हैं तो वे हमारी कायरता समझते हैं . वे सैनिकों को मार रहे होते हैं और हम उन्हें रियायती गैस देने के बारे में सोच कर अपने अच्छे पडोसी होने के धर्म का निर्वाह करने की सोच रहे होते हैं . हमारे पडोसी चाहे पाकिस्तान हो, चीन हो अपनी नापाक हरकतों से हमारे सब्र की परीक्षा लेते रहते हैं और हम सिर्फ उनके काम की 'भर्त्सना ' कर पाते हैं या फिर उनके कामों की कड़े शब्दों में विरोध दर्ज कर लेते हैं वो भी अपने ही रजिस्टर में . इस के बाद देश के संचालकों की जिम्मेदारी ख़त्म . 
            देश की रक्षा की कमान अगर सेना के हाथ में है तो उन्हें अपनी परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय लेने का पूरा पूरा अधिकार होना चाहिये  ताकि उनकी शहादत व्यर्थ न जाए . वे बता दें कि  हम कठपुतली नहीं है . अरे हमारे नेताओं और मंत्रियों को तो उनकी शहादत का सम्मान करना तक नहीं आता है . जिम्मेदार मत्री पद संभालने वाले शायद सर्वाधिक संवेदनाहीन होते हैं क्योंकि बिहार के मंत्री महोदय का वक्तव्य कितनी सैनिकों की माताओं के दिल को छलनी कर गया इसे वह क्या समझेंगे क्योंकि मरने वालों में कोई उनका बेटा  नहीं था और अगर उनमें कोई उनकी बिरादरी वाले का बेटा  भी होता तो शायद ऐसे शब्द उनके मुंह से न निकलते . इस दुनियां में सिर्फ जवान ही मरने के लिए पैदा नहीं होते नेता जी मरना तो आपको भी है और इस धरती पर पैदा होने वाला हर इंसान  मरेगा,  लेकिन कुछ सड़क हादसों में मरते हैं , कुछ अस्पतालों और कुछ प्राकृतिक आपदाओं में गुम हो जाते हैं . लेकिन ऐसे वीर जब सीमा पर अपनी शहादत देते हैं तो ये अमर हो जाते हैं और इन्हें इस देश का हर नागरिक सम्मान के साथ सिर झुक कर नमन करता है . 

                  स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने सभी शहीद जवानों को शत शत नमन और श्रद्धांजलि !.        

5 टिप्‍पणियां:

  1. सबको स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें..

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  2. शहीद जवानों को शत शत नमन और श्रद्धांजलि : जो बलिदान दे कर चले गए ,स्वतंत्रता दिवस पर उनके परिवारों के लिए अपना फ़र्ज पूरा करने की बात करें तो यह दिन और सार्थक हो जाए !

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  3. अतिसुन्दर ,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें !!

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  5. बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...शहीदों को शत शत नमन..

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