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शनिवार, 23 जुलाई 2011

सी बी आई की उपयोगिता !

अपने रोज रोज के खुलते जा रहे काले कारनामो के तले दबी हमारी केंद्र सरकार अपनी बौखलाहट निकालने की सोचरही थी कई दिनों से अखबार में देख रही हूँ सी बी आई बालकृष्ण जी के विषय में गहन जानकारी जुटा रही है किकैसे उनको कानून की नजर में अपराधी घोषित किया जा सके। पहले कि वह भारतीय नागरिक नहीं है , फिर उनकेपासपोर्ट को लेकर और अब उनकी मध्यमा और शास्त्री कि उपाधि को लेकर छानबीन चल रही है। इसके देख कर तोयही लगता है कि जैसे बालकृष्ण जी कोई बहुत बड़े आतंकवादी या फिर अंग्रेजो के समय के अनुसार भगत सिंह याआजाद है कि उनको देशद्रोही साबित कर फाँसी पर चढ़ाना बहुत ही जरूरी हो गया है।
आख़िर क्या कुसूर है? रामदेव बाबा और बालकृष्ण का यही कि ये देश के भविष्य के लिए सरकार से कुछ चाहने लगेऔर कुछ पूछने का दुस्साहस कर बैठे। क्या सी बी आई के पास ऐसे ही केस सुलझाने का काम बचा है। देश मेंआतंकवाद कैंसर की तरह से अपनी जड़ें फैलता चला जा रहा है और हमें खबर तक नहीं है। अपने देश में कितने विदेशीफर्जी पासपोर्ट पर रह रहे हैं , इसको जानना जरूरी नहीं है। घोटालो के लिए सी बी आई जांच कराये ऐसा विचार तो उन्हेंआता ही नहीं है। जो फाँसी की सजा पाए देशद्रोही या आतंकवादी बैठे है उन पर विचार करने के लिए गृह मंत्रालय केपास समय नहीं है और ऐसे गैर जरूरी कामो के लिए वह बहुत सक्रियता से काम करवा रही है। इतनी सक्रियता अगरदेश के अन्य मामलों को सुलझाने में दिखाई होती तो शायद विदेशो में संचित धन देश के काम रहा होता।कबूतरबाजी, हवाला धन, मानव तस्करी जैसे कामो के लिए
सी बी आई का प्रयोग नहीं किया जा सकता है और अगरहोता है तो प्रभावशाली लोगो का नाम आते ही मामला ठन्डे बस्ते में चला जाता है।
खुद दिल्ली में ही हो रहे जघन्य अपराधो का हल नहीं मिल रहा है और जन दमन में व्यस्त है सरकार। अपने ही देश मेंनफरत के बीज बोने कि तैयारी में व्यस्त सरकार ये भूल रही है कि स्वयंभू सरकार अपने इतिहास को दुहराने जा रहीहै। जो उन्हें तख़्त पर बिठा देते हैं वही १९७७ की तरह से जमींदोश करने में देर नहीं लगते है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. कांग्रेस बहुत बुरी तरह से डरी हुई है इस‍लिए ही चरित्रहनन की राजनीति अपनायी हुई है। 1977 से भी बुरा हाल होने वाला है।

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  2. सही एवं सार्थक प्रस्‍तुति ।

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