चित्र गूगल के साभार |
मानव में मष्तिष्क ही एक ऐसी चीज है जो उन्हें सम्पूर्ण प्राणियों में श्रेष्ठ बनाता है। इसी मष्तिष्क से इंसान धरती से तक के अध्ययन ही नहीं बल्कि असंभव मानी जाने वाली उपलब्धियों को प्राप्त कर पा रहा है।
आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर इस विषय में कुछ कहने और बताने के बारे में सोचा है क्योंकि आज भी इतनी प्रगति के बाद में हमारे मेडिकल के क्षेत्र में ही इस मानसिक स्वास्थ्य की गुत्थियों को सुलझाने में विशेषज्ञ कहे जाने वाले लोग भी समझ नहीं पा रहे हैं . इस विषय में जब तक बच्चे के विषय में जानकारी प्राप्त होती तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। चिकित्सा विज्ञानं में मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धी कोई विशेष शिक्षा सम्बद्ध नहीं है बल्कि डॉक्टर भी इसके विषय में पूरी तरह से वाकिफ नहीं होते हैं।
इस विषय में अध्ययन करते और उसके निदान के विषय में शोध की दिशा में प्रयासरत होने के नाते स्पष्ट रूप कह सकती हूँ कि ये जरूरी नहीं की कि बाल रोग चिकित्सक चिकित्सक को इस विषय में जानकारी होती है , हाँ वे अपने विषय के तो विशेषज्ञ होते है लेकिन इस विषय को नहीं समझ पाते हैं।*
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कहा जा सकता है कि जब बच्चा पैदा होता है तो वह सामान्य ही दिखलाई देता है . उसका विकास धीरे धीरे होने पर घर वाले कम ध्यान देते हैं। बुजुर्ग और घर के बड़े अपने अनुभव के आधार पर कहने लगते हैं कि कोई कोई बच्चा देर से चलता या बोलता है या फिर बाकी क्रियायों के विषय में सुस्त होता है। उनके पास इस विषय में उदहारण भी तैयार होते हैं कि उसका बच्चा इतने दिन में बोला या चला लेकिन वे ये जाते हैं की उनके समय और आज के समय में बच्चों के विकास और उनकी आई क्यू में बहुत अंतर हो चुका है। एक सामान्य बच्चा से विकास की और अग्रसर होता है। अज आज भी बच्चे के दो साल तक उसके सामान्य विकास का किया जाता है और जब वे इसा और सजग होते हैं तो बाल रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं और बाल रोग विशेषज्ञ में इतनी जागरूकता और जानकारी का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है और फिर भी वे बच्चे को अपने हाथ से मरीज निकल न जाय जाय उसके ऊपर अपने प्रयोग करते रहते हैं। बहुत स्थिति हुई तो बच्चे को बगैर उसके विषय में ज्ञान उसको एम आर (Mentally Retarded ) घोषित कर देते हैं। इसके बाद उनको ये भी नहीं पता होता है कि बच्चों को कहाँ और कैसे भेजा जाता है ? वे जो बच्चे अधिक सक्रिय होते हैं , उनको स्ट्रोइड दे देते हैं जिससे बच्चा या तो सोता रहता है या फिर वह निष्क्रिय पड़ जाता है . इसको उसके माता पिता ये समझते है कि बच्चे में सुधार हो रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है। बच्चे के माता पिता डॉक्टर को भगवान समझ कर विश्वास करते रहते हैं और डॉक्टर उस विश्वास का फायदा उठाते रहते है।
मानसिक अस्वस्थता की कई श्रेणी होती हैं। बच्चों को एक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इसका सीधा सम्बन्ध मनोचिकित्सक से हो सकता है . इस विषय की जानकारी वह रखता है , लेकिन समाज में मनोचिकित्सक से इलाज कराने में आदमी पागल घोषित कर दिया जाता है या फिर मनोचिकित्सक को पागलों का डॉक्टर। हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं और निरंतर बढ़ भी रहे हैं लेकिन हम विश्वास पूर्वक ये नहीं कह सकते हैं कि हमें हर क्षेत्र में पूर्ण ज्ञान है।
बच्चे में 1 साल से पूर्व मानसिक स्थिति को समझने का पैमाना नहीं है, हाँ अगर शारीरिक लक्षण प्रकट हो रहे हैं तब इस दिशा में हम सक्रिय हो जाते हैं। फिर भी हम मानसिक तौर पर अस्वस्थता को पकड़ने का प्रयास नहीं कर पाते हैं और कर भी नहीं सकते हैं।यह बात स्पष्ट तौर पर कही जा सकती है कि यह बच्चों की अस्वस्थता की डिग्री पर निर्भर करता है कि उसके सुधार होने की कितनी संभावना है ? इस तरह के बच्चों को स्पेशल चाइल्ड कहते हैं .
इसके लिए और किसी शहर की बात तो नहीं कह सकती हूँ लेकिन इस दिशा में दिल्ली में कई सेंटर हैं पर इसके विषय में बच्चों पर काम हो रहा है और उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। इस दिशा में सब से सार्थक कदम ये हो सकता है कि इस स्थिति की ओर भी ध्यान दिया जाय और हर अस्पताल में और मेडिकल कॉलेज में इस क्षेत्र में प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। वहां पर ऐसे बच्चों के लिए भी जगह होनी चाहिए और इसके विशेषज्ञ होने चाहिए।
*ये लेख मानसिक स्वास्थ्य के लिए कार्यरत विशेषज्ञ डॉ प्रियंका श्रीवास्तव से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखा गया है।
काफ़ी जानकारी मिली ………आभार
जवाब देंहटाएंgyan vardhak...
जवाब देंहटाएंमानसिक रूप से ग्रस्त लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी देता आलेख ... आभार
जवाब देंहटाएंबधाई हो!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
इस सार्थक और बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार दीदी !
जवाब देंहटाएंविश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर देश के नेताओं के लिए दुआ कीजिये - ब्लॉग बुलेटिन आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम देश के नेताओं के लिए दुआ करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
ईश्वर करे कि सब संतुलित रहें..
जवाब देंहटाएंमानसिक स्वास्थ्य बच्चों के साथ उन महिलाओं के लिये भी हो जिन्हें भूत-बाधा ,आदि के खाते में डाल दिया जाता है .
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख!!
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञान वर्धक जानकारियां मिली बहुत अच्छी पोस्ट आभार रेखा जी साझा करने के लिए
जवाब देंहटाएंआज के दौर-दौरा में इस स्वास्थ्य की हमें बहुत ज़रूरत है।
जवाब देंहटाएंगहन जानकारी से परिपूर्ण लेख ...आभार यहाँ साँझा करने के लिए
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