भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बहुत बड़ी लड़ाई छिड़ चुकी है और कुछ गिरफ्त में आ जाते हें और कुछ खुले आम उसे अपनाये हुए हें और सब कुछ जानने के बाद भी उच्चाधिकारी आँख बंद किये हुए हैं क्योंकि हो सकता है कि इस काम में उन्हें भी एक हिस्सा प्राप्त हो रहा हो ।
हमारे रेलवे प्रशासन ने तत्काल रिजर्वेशन पर बहुत लगाम कसने के लिए प्रावधान किये। समय ४८ घंटे के बजाय २४ घंटे कर दिया। यात्री का आई कार्ड भी जरूरी बना कर उसका विवरण भी लेना शुरू कर दिया लेकिन इसके बाद भी दलालों का काम पूरे जोर शोर से चल रहा है क्योंकि हमारा रेलवे प्रशासन ही उनको पनाह दिए हुए है। पिछले दिनों मेरी बेटी को अचानक नागपुर जाने के लिए तत्काल टिकट लेना था। मेरा किसी भी दलाल से काम करवाने का कभी कोई इरादा नहीं रहा। चूँकि ऑन-लाइन रिजर्वेशन तत्काल में नहीं हो पा रहा था।
यही पास के कल्यानपुर रेलवे आरक्षण केंद्र पर मेरे पतिदेव सुबह सुबह पहुँच गए लेकिन टिकट खिड़की खुलते ही कुछ लड़के धक्का मुक्की करके आगे जाकर खड़े हो गए और उनके पास ७-८ फॉर्म भरे हुए थे और उन्होंने क्लर्क को पकड़ा दिए। ठीक ८:०४ मिनट पर कानपुर से नागपुर की ४९ सीट भर चुकी थी। हम घर में देख रहे थे नेट पर और पतिदेव को वापस आने को कहा। लेकिन रिजर्वेशन बहुत जरूरी लेना था। दूसरे दिन फिर भेजा गया और हश्र वही हुआ। तीसरे दिन मेरी बेटी ने कहा कि पापा मैं आपके साथ चलती हूँ। शायद मुझे जल्दी मिल जाए।
स्थिति रोज की तरह से थी। केंद्र के बरामदे men लगे हुए gril के बाहर कुछ लोग खड़े हुए थे और इन लोगों के पहुँचते ही एक टोकन पकड़ा दिया कि आपका दसवां नंबर है। इसका रेलवे से कोई लेना देना नहीं था। चैनल के खुलते ही लड़के धक्का मुक्की करते हुए आगे लग गए। लेकिन उसने लड़की होने के नातेउनके बीच में खड़ी नहीं हुई । दूसरे नंबर पर जगह मिल गयी। दो खिड़कियों में एक पर एक महिला थी और वह सबसे आगे खड़े एजेंट के सात फॉर्म लेकर भर रही थी। दूसरी खिड़की पर मेरी बेटी खड़ी थी। दो दिन से हम नेट पर स्थिति देख रहे थे , उसने वाकई उस जगह बगावत की - उसने अपनी खिड़की पर रिजर्वेशन करने वाले क्लर्क से कहा कि आप एक आदमी से सिर्फ एक फॉर्म लेंगे नहीं तो फिर आज मैं इसी जगह पर पुलिस को बुलाती हूँ और आपकी कम्प्लेंट करुँगी। वहाँ पर खड़े लोगों में वाकई गाली गलौज चल रही थी क्योंकि वे सभी दलालों के आदमी थे। जैसे ही एक रिजर्वेशन हुआ उसने उसी आदमी का दूसरा फॉर्म निकाला और भरने से पहले ही बेटी चिल्लाई कि पहले मेरा फॉर्म लीजिये नहीं तो इसी वक्त आपकी शिकायत करुँगी । शायद वह कुछ शरीफ था या फिर सिर्फ एक रिजर्वेशन की बात थी उसने कर दिया। मेरे पतिदेव ने आकर बताया कि मैं पिछले दो दिन से यही तमाशा देख रहा हूँ कि यही लड़के धक्का मुक्की करके आगे खड़े हो जाते हें फिर ७-८ फॉर्म देकर खड़े रहते हें दूसरे लेने वालों के लिए तब तक आरक्षण समाप्त हो चुका होता है।
क्या इस दलाली को देने के लिए हम खुद जिम्मेदार नहीं है क्योंकि हम टिकट खिड़की तक जाने की जहमत उठना नहीं चाहते हें और फिर कौन लाइन में लग कर खड़ा रहे। सबसे बेहतर है कि दलाल को सौ , दो सौ रुपये दिए जाएँ और फिर टिकट तो मिल ही जाएगा। ये भी भ्रष्टाचार का एक हिस्सा है और हम इस भ्रष्टाचार को हवा देने वाले हें। वैसे इस बात से रेलवे प्रशासन भी वाकिफ होता है लेकिन इस तरह से अगर औचक निरीक्षण करवाया जाय तो ऐसे कामों को रोका जा सकता है। अब हम ही सोचें क्या इस काम के लिए हम कुछ कर सकते हैं।
मंगलवार, 3 जनवरी 2012
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आपका कहना सही है भ्रष्टाचार को रोकने के लिये पहल अपने घर से ही करनी पडेगी।
जवाब देंहटाएंखुद के सुधार से ही समाज सुधार संभव होता है.बढ़िया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंमेरी बिटिया के साथ भी आज यही हुआ। वे भी दो दिन तक सुबह 5 बजे उठकर स्टेशन जाते रहे और दलाल लाइन लगाए रिजर्वेशन लेते रहे। आज मेरी बिटिया भी गयी तब जाकर कही उन्हें रिजर्वेशन मिला।
जवाब देंहटाएंबहुत सही.जो नये नियम बनाये गये हैं यदि उनका पालन रेल्वे खुद नहीं करेगा तो यही होगा.
जवाब देंहटाएंहाँ अजित हम जैसे आम लोग ऐसे है मूल्यों और सदाचार के पीछे चल रहे हें और ऐसे ही परेशान भी हो रहे हें लेकिन सबकी सुविधा के लिए अगर ऐसे दलालों का सहारा लेना बंद कर दें और खुद थोड़ा सा कष्ट उठाये तो ये आचरण बंद हो सकता है.
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार सभी जगह है..यह दीमक की तरह हमारे देश को लग चुकी है ...
जवाब देंहटाएंइस के खिलाफ जुंग छिड चुकी है ..पर कठिन है ..और लम्बी लड़ाई है..
kalamdaan.blogspot.com
kanoon sakht ho to sab thek ho jaayega...agar dalaal khatm ho gaye to aalsiyon ke hath pair kuch to chalnge
जवाब देंहटाएंaasan nahi hai yah dagar panghat ki....
जवाब देंहटाएंAapko spariar navvarsh ki haardik shubhkamnayen!