आज ११ जनवरी श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर मैं उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ।
आज ke परिप्रेक्ष्य में यही कहना चाहती हूँ कि आज के नेताओं और मंत्रियों को देख कर शर्म आती है जो सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ की पूर्ति के राजनीति में आते हें और कुर्सी पर काबिज होने के बाद देश और देशवासिओं को भूल जाते हें। इंसान क्यों याद किया जाता है अपने कर्मों से न कि अपने बुतों से । शायद ऐसा कोई नेता होगा होगा जिसने अपने जीवन काल में ही अपने बुत बनवा कर देश या प्रदेश में लगवा दिए हों। अपनी पूजा करने से कोई देवता नहीं बन जाता है। देवता और सम्मानीय होते हें शास्त्री जी जैसे लोग जो देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद ऋणी होकर इस दुनियाँ से कूच कर गए। ऐसे महान नेताओं के लिए और महापुरुषों के लिए देश सदैव ही नमन करता रहेगा।
सपना, काँच या ज़िन्दगी ...
1 घंटे पहले
लाल बहादुर शास्त्री जी को नमन ..
जवाब देंहटाएंदेश का दुर्भाग्य है कि वो बहुत कम समय के लिए ही प्रधान मंत्री रहे ..यदि वो कुछ और समय रहते तो देश का कुछ और ही रूप होता
shashtri jee ko dil se naman...!!
जवाब देंहटाएंसादर नमन देश के सच्चे सपूत को!!
जवाब देंहटाएंमहापुरुष को नमन..
जवाब देंहटाएंनमन है......
जवाब देंहटाएंमेरा उन्हें नमन है ...
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