मेरी दृष्टि से संघर्ष करके अगर हम जीत गए हें तो उसको अगर संस्मरण के रूप में अपनी विजय न सही लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी डेट रहने और विचलित न होने से मनुष्य एक मिसाल बन जाता है और कभी कभी तो वह मिसाल किसी दूसरे के लिए एक बहुत बड़ा संबल बन जाता है लेकिन अपने संघर्ष को किस तरह से सहेज कर रखा जाए और उसके बयान से कुछ ऐसा भी हो जाता है ये अवधारणा रश्मि प्रभा जी ने बताई और उनकी बात मुझे अच्छे भी लगी। उनकी बात उनके शब्दों में :
संघर्ष ? क्या है ? क्या इसे अक्षरशः बताया जा सकता है ? क्या असफलता से सफलता की ओर जाना ही संघर्ष है ? या एक स्थिति पर ठहरे रहने की कशमकश भी संघर्ष है ? बहुत सारे प्रश्न जेहन में उठे और प्रश्नवाचक मुद्रा में ही लिखने बैठी हूँ ...
एक खूबसूरत बगीचे में टहलने का आनंद लेते समय अचानक सांप आ जाए तो उससे बचना भी संघर्ष है . सांप के कोटर के पास ही घर बनाकर रहते हुए उससे बचना भी संघर्ष है . घोंसले के पास सांप को खड़ा करने का विश्वास लेना - देना भी संघर्ष है. सांप ना मरे और लाठी के साथ हम सुरक्षित रह जाएँ , यह भी एक संघर्ष की पीड़ा है . लिखना भी एक संघर्ष है , मन की स्थिति , शरीर की स्थिति , समाज की स्थिति ..... किसी भी स्थिति को परोक्ष रूप से लिखकर ( वह भी संतुलन बनाये हुए ) हम शांत होने के लिए संघर्ष करते हैं .
बहुत क्लिष्ट , भारी भरकम लग रहा होगा मेरा कहना - पर बिना गीता पर हाथ रखे , खुद की रूह को ही साक्षी मानकर कहिये , क्या कुछ गलत कहा ?
ज़िन्दगी कभी एक सी नहीं चलती - न पैसेवालों की , न बिना पैसेवालों की . जन्म संघर्ष , मृत्यु संघर्ष ... पूरी जिंदगी संघर्ष में गुजर जाती है . एक छोटे से बच्चे का संघर्ष है - चौकलेट , बड़े का संघर्ष - रोटी ! लेकिन रोटी हलक तक आए और कोई छीन ले ... ऐसे में अपनी भूख पर काबू पाने के लिए संघर्ष ! सुनने में अटपटा लगेगा ... पर अटपटा लगने से सत्य कहाँ बदलता है . ............ सबकुछ गंवाकर खुद्दारी दिखाना भी संघर्ष है . ऐसे में , किस दिन को कलम से पकडूँ ? फिर यकीन दिलाऊं ...
कितनों के जीवन अग्नि के मध्य रहते हैं , पर वे अपने चेहरे पर बसंत लेकर जीते हैं , यह उपलब्धि ही उनकी जीत है । पीछे की अग्नि जब दिखाई ही न दे , उसकी लपटें छू न जाएँ - तो बताना क्या . हाँ , खंडहर से ईमारत बनने में संघर्ष के मायने मिलते हैं , पर ईमारत से खंडहर होने में और कम से कम एक मकान होने की जद्दोजहद संघर्ष से कहीं ऊपर होती है !
कैसे लिख सकती हूँ ? संघर्ष ... शुरू हुआ तो जारी है . और कुछ संघर्ष लिखने से बिखर जाते हैं -
कैसे लिख सकती हूँ ? संघर्ष ... शुरू हुआ तो जारी है . और कुछ संघर्ष लिखने से बिखर जाते हैं -
नित लड़ता हूँ अपने मन से,
जवाब देंहटाएंबढ़ने का बस मार्ग वही है..
यही हाल तो हमारा है समझ नही आता क्या लिखें और क्या नहीं बस जीवन संघर्षरत है …………
जवाब देंहटाएंRashmi di...:))
जवाब देंहटाएंsangharsh se tapa hua sona...!!
कितनों के जीवन अग्नि के मध्य रहते हैं , पर वे अपने चेहरे पर बसंत लेकर जीते हैं , यह उपलब्धि ही उनकी जीत है ।
जवाब देंहटाएं... और कुछ संघर्ष लिखने से बिखर जाते हैं -
कितनी सत्यता है आपके इस लेखन में ... बिल्कुल खरी बात कही है आपने ... आभार ।
ज्यां पाल सार्त्र ने कहा था-इनसान निराशा के गर्त से निकल कर फिर अपना एक नया संसार रचता है। जमीन जितनी तपती है अंकुरण उतना ही अच्छा होता है। दुःख ही जीवन को मांजता है। दुःख की ठोकरें ही व्यक्ति को संघर्ष करने की प्रेरणा व शक्ति देती हैं। असफलताओें तथा कठिनाइयों मेंही मनुष्य का व्यक्तित्व निखरता है ।
जवाब देंहटाएंकितनों के जीवन अग्नि के मध्य रहते हैं , पर वे अपने चेहरे पर बसंत लेकर जीते हैं , यह उपलब्धि ही उनकी जीत है ।
जवाब देंहटाएं..और कुछ संघर्ष लिखने से बिखर जाते हैं -
कितनी सच्ची बात कही है आपने ... एकदम खरी ..आभार इस प्रस्तुति के लिए ।
पल पल संघर्ष है ..सांस लेना भी तो संघर्ष ही है ..बस अनवरत रहें संघर्षरत ..बिखरने न दें खुद को ..यही कामना है ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही कहा, हर पल कुछ न कुछ संघर्ष होता ही रहता है.....
जवाब देंहटाएंsahi hi to hai jivan ka dusra naam hi sangharsh hai ...
जवाब देंहटाएंजीवन तो संघर्ष से ही भरा होता है. किसी का भी जीवन निरापद नहीं बीत सकता. किसी न किसी मोड़ पर संघर्ष करना ही होगा. ये संघर्ष मानसिक/शारीरिक/आर्थिक कैसा भी हो सकता है.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी की ये ही तो विशेषता है वो गध्य में भी पध्य पढने का आनंद देती हैं...उनकी बात से मैं सहमत हूँ...सांस लेते रहना भी एक संघर्ष ही तो है...
जवाब देंहटाएंनीरज
एक राह संघर्ष की .......जो कभी खत्म नहीं होती ...और होनी भी नहीं चहिए...नहीं तो जीवन नीरस हो जायेगा
जवाब देंहटाएंआज एक संघर्ष पर जीत मिली है ....बाकि तो और हैं जो सामने खड़ी हैं ...जिन पर अभी जीतना बाकि हैं ....
एक छोटे से आभार के साथ ...अनु
रश्मि जी सचमुच आपको पढ़ना और उसे सही अर्थों में समझना भी संघर्ष है। आपकी दृष्टि बहुत विहंगम है।
जवाब देंहटाएंbahut sateek vishlesha. sabka apna apna sangharsh hai, thoda kam thoda jyada, apni apni paridhi se juda hua...
जवाब देंहटाएंएक छोटे से बच्चे का संघर्ष है - चौकलेट , बड़े का संघर्ष - रोटी ! लेकिन रोटी हलक तक आए और कोई छीन ले ... ऐसे में अपनी भूख पर काबू पाने के लिए संघर्ष !
अनवरत जीने की जिजीविषा को पालते पोसते रहना भी एक संघर्ष है और हर पल स्वयं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख चहरे पर एक मृदु मुस्कान को सजाये रखना भी एक संघर्ष ही तो है जिसे आज के परिदृश्य में हर इंसान जीने के लिये विवश है ! बहुत ही सार्थक आलेख ! साभार !
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