शनिवार, 25 फ़रवरी 2012
चुनौती जिन्दगी की: संघर्ष भरे वे दिन (१३)
संघर्ष में ये और वे कभी कभी कहीं भी हो सकते हें क्योंकि उम्र के लिहाज से यशवंत की आयु के लोग वे नहीं ये ही कह सकते हें क्योंकि अभी अभी तो जीवन के उस पक्ष में पाँव धरे हें जहाँ से अपने को कुछ सिद्ध करने के लिए सफर आगे बढाया है। ये संघर्ष जो आज तुम्हारा है वह कई और लोगों का bhi है लेकिन ये जज्बा जो तुम्हारा है वह सभी का बना रहे क्योंकि ये समय कभी स्थिर नहीं रहता है । इसीलिए तो सभी लोगों से संस्मरण लेकर चल रहे हें कि किससे और कौन कहाँ प्रेरणा लेकर अपने संघर्ष के प्रति और दृढ प्रतिज्ञ होकर आगे चट्टान की तरह से खड़ा होकर एक मिसाल बन जाता है। आज की कहानी है युवा ब्लॉगर यशवंत माथुर की:
यशवंत माथुर :
संघर्ष भरे वो दिन के बजाय अगर मैं कहूँ तो कि संघर्ष भरे ये दिन...? क्योंकि मेरा मानना है कि संघर्ष जीवन का एक अहम हिस्सा हैं और अपनी अपनी समझ के हिसाब से हम हर समय संघर्षरत हैं। फुटपाथों पर और कूड़े के ढेरों मे खुद को तलाशने वालों से ले कर आलीशान बंगलों मे रहने वाले गर्व से यह कह सकते हैं कि वो संघर्षशील जीवन जी रहे हैं। तो फिर मेरे जैसा इंसान अगर खुद को आज भी संघर्षरत कहता है क्या बुरा है ? बचपन से ले कर आज तक कहीं न कहीं यह एहसास मन मे रहा भी है। रेखा आंटी ने टोपिक भी ऐसा दे दिया है कि सोच रहा हूँ अपने आज के बारे मे लिखूँ या बीते कल के बारे मे लेकिन कुछ लिखना तो है ही।
मई 2010 मे मैंने बिग बाज़ार की अच्छी ख़ासी और मनपसंद नौकरी से इसलिए त्यागपत्र दे दिया क्योंकि किदवई नगर (कानपुर) से हर उस स्टाफ का लखनऊ (आलमबाग) ट्रांसफर किया जा रहा था जो ट्रांसफर का इच्छुक नहीं था। और मैं तथा मेरे जैसे कुछ लोग जो इच्छुक थे नाक रगड़ कर रह जा रहे थे। चूंकि वहाँ के कस्टमर सर्विस से मेरे द्वारा किए जाने वाले इन स्टोर अनाउंसमेंटस को सुनकर कस्टमर्स और सीनियर बॉस लोगों का कहना था कि मुझे अब रेडियो के लिये ट्राई करना चाहिए और मैंने किया भी। नौकरी छोडने के बाद अपना साइबर कैफे खोला ब्लोगिंग मे आया अपनी आवाज़ रिकॉर्ड की और भेजनी भी शुरू की । संपर्क होने के बाद आकाश वाणी मे कार्यरत एक ब्लॉगर से भी मदद लेनी चाही लेकिन 4- 5 मेल्स का कोई जवाब न मिलने पर उस तरफ से अब मन ही हट गया है।
हांलांकी कैफे खोलने के बहाने से मैं ब्लॉग की दुनिया से जुड़ा ,रश्मि प्रभा आंटी के स्नेह से 'एक सांस मेरी' के सम्पादन मे सहयोग करने का अवसर मिला लेकिन Fixed monthly income के लिहाज से अभी कुछ भी फिक्स नहीं है जो थोड़ा बहुत है वो पास के हॉस्टल मे रहने वाले स्टूडेंट्स पर निर्भर है।
इस लिहाज से कहूँ तो आत्मनिर्भर होने की राह पर संघर्ष अभी जारी है।
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अच्छा संस्मरण है!
जवाब देंहटाएंसंघर्ष ही जीवन है...अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसंघर्षरत रहें सफलता जरुर मिलती है.समस्त शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंअभी तो शुरुआत है... संघर्ष ख़त्म नहीं होता , और आज शुरुआत की बूंदें हैं , फिर आकाश मुट्ठी में होगा
जवाब देंहटाएंसच में संघर्ष जीवन भर चलता है..... हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंजब तक जीवन है हर व्यक्ति संघर्ष ही करता है किसी न किसी रूप में ! लेकिन जैसे हर अंधेरी रात के बाद सुनहरी भोर उदित होती है वैसे ही हर संघर्ष के बाद मीठे फल भी अवश्य ही मिलते हैं ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसंघर्ष तो जीवन का हिस्सा है, जिस दिन संघर्ष खत्म समझिए जीवन खत्म।
जवाब देंहटाएंसंघर्ष ही जीवन है, सफलता अवश्य मिलेगी।
जवाब देंहटाएंआपका संघर्ष सुखद निष्कर्षों पर पहुँचे।
जवाब देंहटाएंआप जल्द ही सफल हो
जवाब देंहटाएंशुभकामनाए:-)
लाजवाब श्रृंखला है यह।
जवाब देंहटाएंऐसे ही जीवन में आगे बड़े ...शुभकामनएं
जवाब देंहटाएंआप की सफलता के लिए शुभकामनाएं ।
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