www.hamarivani.com

शनिवार, 17 मार्च 2012

चुनौती जिन्दगी की: संघर्ष भरे वे दिन (१५)





सतीश सक्सेना :

जिन्दगी का एक ये भी पहलू होता है और अपने दर्द को या अपने संघर्ष को हम कितने काम शब्दों में और कितनी गहराई से बयान कर सकते हें और बस सतीश जी ने चंद शब्दों में कही है लेकिन इसके पीछे छुपे संघर्ष के दर्द को हम गहराई से महसूस किया जा सकता हैआज जानिए सतीश जी को :


चुनौती जिंदगी की....
जीवन में शायद ही कोई होगा जिसे चुनौती न मिली हो ! आर्थिक,शारीरिक अथवा मानसिक कष्ट जीवन के आवश्यक अध्याय हैं !
बचपन में ही माता पिता को खो बैठा, मेरे जीवन रक्षा के लिए विवाहिता बड़ी बहिन अपने पास ले गयीं वहाँ परवरिश और शिक्षा के दौरान स्नेह और प्यार के लिए इधर उधर भटकता रहता था !
उम्र के वे कच्चे दिन बहुत तकलीफ देह थे ...स्नेह के नाम पर केवल दया ही मिलती थी और बाहरी लोग तो तो लगभग उपेक्षा ही दिखाते ...
मुझे याद है एक नौकर के शब्द कि धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ...
मेरी एक शिकायत पर उस नौकर को बहुत पीटा जाता मगर मैंने किसी से कुछ न कहा ...
केवल आंसुओं को पी लिया...
काश मेरे भी पिता होते और मुझे किसी और घर में न पलना पड़ता ...
बस जीवन का यह गहरा मज़ाक, जो मेरे बचपन को छीन ले गया , कष्टदायक रहा !

14 टिप्‍पणियां:

  1. आज आपके जीवन के बारे पता चला तो बताती चलूँ कि इस श्रृंखला के लिए जिस इंसान की डायरी के पढ़ने से प्रेरणा मिली थी, उसके बचपन का दृश्य आपकी ही तरह से था - उसने लिखा था- " हादसों की जिन्दगी". जो जीवन भर सिर्फ हादसे झेलता रहा और फिर चला गया. आगे चल कर उसके जीवन को भी लिखूंगी.

    जवाब देंहटाएं
  2. आज आपके जीवन के बारे पता चला तो बताती चलूँ कि इस श्रृंखला के लिए जिस इंसान की डायरी के पढ़ने से प्रेरणा मिली थी, उसके बचपन का दृश्य आपकी ही तरह से था - उसने लिखा था- " हादसों की जिन्दगी". जो जीवन भर सिर्फ हादसे झेलता रहा और फिर चला गया. आगे चल कर उसके जीवन को भी लिखूंगी.

    जवाब देंहटाएं
  3. सतीश भाई से मुलाकात होते ही समझ आ जाता है कि यह सोना कितनी तपिश से गुजरा होगा....कम शब्दों में पूरा दर्द बयां कर दिया.

    जवाब देंहटाएं
  4. सिर्फ मौन है संप्रेषित करने को.इस दर्द को वही समझ सकता है जो इससे गुजरा हो .पर इसके वावजूद एक सफल और बेहतरीन इंसान बने आप.कुडोस टू यू

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया शिखा .
      यह दर्द लिखना आसान नहीं था ..

      हटाएं
  5. सोना तपकर ही निखरता है और वह स्पष्ट है।

    जवाब देंहटाएं
  6. इसीलिये शायद आप सबको स्नेह देने की कोशिश करते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  7. सतीश जी के दर्द को सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है मगर वो उससे गुजरे हैं और पल पल एक दर्द की लहर से गुजरना ………शायद हम सबके लिये कहना आसान है कि हम समझ सकते हैं मगर जो इससे गुजरता है उस दर्द को सिर्फ़ वो ही समझ सकता है ………

    दर्द यूँ ही नही उतरता लफ़्ज़ों मे
    दर्द भी कसक जाता है तब शब्द बन कर ढलता है
    मगर दर्द कभी भी ना पूरा बयान होता है
    इक अधूरा अबूझा आख्यान होता है

    जवाब देंहटाएं
  8. आपके कष्ट वाले दिनों ने ...आपके मन को प्रेम से परिपूर्ण कर दिया ....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं

ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.