पिछले पिछले वित्त मंत्री महोदय ने एक वक्तव्य दिया था कि विदेशों में जमा सारा धन काला धन नहीं है ।
माननीय मंत्री जी ये आप हमें बतलाइए कि विदेशों में सफेद धन जमा करवाने का औचित्य क्या है? काला धन तो मान सकते हैं कि दुनियां के नजर से बचाना ही पड़ता है और घर वालों से भी। फिर ये तो बड़े बड़े नौकरशाहों और माननीयों के ही वश की बात है कि वे अपने धन को कहाँ छुपा कर रखें? लेकिन ये काला धन सदैव काला ही रह जाता है क्योंकि उनके पास इतना सफेद धन होता है कि उसको ही खर्च नहीं कर पाते है, फिर काले धन की बात कौन करे?
सफेद धन के विदेश में संचित करने की बात पर कुछ सवाल तो पूछे ही जा सकते हैं --
जिस देश में बैंकों की कमी नहीं है और इस देश के नागरिक इन्हीं बैंकों में अपनी गाढ़ी कमाई जमा करके देश के विकास में कुछ तो अपना सहयोग दे ही रहे हैं . विदेश में धन जमा करने वाले लोग इसा देश में रहकर क्या कर रहे हैं? सिर्फ धन की उगाही के लिए यहाँ पर हैं या फिर उनका कोई और भी उद्देश्य है। देश के बैंक देश के करोड़ों नागरिकों के धन को सुरक्षित रख सकते हैं और उनके संचित धन से और लोगों की जरूरत के अनुरूप सहायता भी कर रहे हैं फिर आपके धन को सुरक्षित रखने में वे आपको अक्षम कैसे लग रहे हैं?
माननीय मंत्री जी ये आप हमें बतलाइए कि विदेशों में सफेद धन जमा करवाने का औचित्य क्या है? काला धन तो मान सकते हैं कि दुनियां के नजर से बचाना ही पड़ता है और घर वालों से भी। फिर ये तो बड़े बड़े नौकरशाहों और माननीयों के ही वश की बात है कि वे अपने धन को कहाँ छुपा कर रखें? लेकिन ये काला धन सदैव काला ही रह जाता है क्योंकि उनके पास इतना सफेद धन होता है कि उसको ही खर्च नहीं कर पाते है, फिर काले धन की बात कौन करे?
सफेद धन के विदेश में संचित करने की बात पर कुछ सवाल तो पूछे ही जा सकते हैं --
-- क्या हमारे देश से अर्जित किया गया धन देश में संचित न करके विदेशों में संचयन देश के साथ गद्दारी नहीं है?
जिस देश की जमीन पर रह कर आप अपने को जीवित रखे हुए हैं। यहाँ के लोगों के विश्वास पर देश के शासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं और यहाँ से धन अर्जित कर रहे हैं . उस धन को आप अपने व्यक्तिगत उपयोग के बाद देश की बैंक में संचित न करके बाहर भेज रहे हैं। देश में संचित धन देश के विकास में काम आता है और देश के बाहर जाकर उनके पास सुरक्षित रखने का आप दाम भी चुकाते हैं और वह भी इसी देश से कमा कर। आपकी दृष्टि में ये उचित हो सकता है लेकिन मेरी दृष्टि से ये देश के साथ गद्दारी है। आप को देश से कमाए हुए धन यही पर रखना चाहिए।
--क्या देश की बैंक इस काम के लिए सक्षम नहीं है कि आप अपने धन को बाहर अधिक सुरक्षित समझ रहे हैं ?
--आपका का ये कृत्य क्या एक जिम्मेदार नागरिक साबित कर रहा है?
आप जनप्रतिनिधि हो या फिर नौकरशाह पहले आप इस देश के प्रति जवाबदेह है , उस पर लीपापोती करके आपके बरी नहीं हो सकते हैं। देश के नागरिकों को महंगाई और भुखमरी के कगार पर लाकर आप खुद का सुरक्षित भविष्य विदेशों में जमा कर रहे हैं। आप अपने पद से कोई भी हों सबसे पहले आप इस देश के नागरिक हैं और एक नागरिक होने के नाते आपका ये कृत्य आपको गैरजिम्मेदार ठहरा रहा है।