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सोमवार, 25 दिसंबर 2023

कानपुर लिटरेरी फेस्टिवल - 23

 कानपुर लिटरेरी फेस्टिवल









- 2023, जो 23-24 दिसंबर को यहां प्रकाशित हुआ, इसमें शामिल होने का यह पहला अनुभव बहुत अच्छा रहा।
इस अनुभव ने मुझे फिर से सक्रिय होने का और बहुत सारे अच्छे कार्यक्रम में शामिल होने का आनंद प्राप्त करने का अवसर भी दिया।

         इसके लिए मैंने अपनी बिटिया रानी रंजना यादव को पूरा श्रेय दिया, क्योंकि उन्होंने मुझे वहां आकर अपनी कहानियां रखने का मौका दिया था। उसने ही जद्दोजहद को लेकर कान के लेखकों के लिए एक स्टॉल की व्यवस्था की थी और फिर लेखक या नहीं पहुंचे सभी की सलाह को वहां पर लेकर आए थे। उसका दृश्य भी नीचे देखना होगा। यह भी एक रिकॉर्ड रखा गया है कि हमारे शहर में कितने लोग एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं, जरूरी नहीं कि किसी भी मंच से जुड़ने का मौका मिले और सीखा जा सके। मेरे जैसे लोग जो अपने जीवन को एक अलग तरह के संघर्ष की राह पर बनाए रखते हैं, तो रहे लेकिन चित्रित करने का कभी सोचा ही नहीं, बहुत कुछ लिखा लेकिन फिर मैंने भी किताब का आकार दिया लेकिन प्रकाशक और प्रकाशन के बारे में कोई अनुभव नहीं था, जिसने जैसा सुझाया वैसा ही कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ, जो लब्ध प्रतिष्ठित और जाने-माने लोग थे और उनकी टीम को बहुत अच्छा लगा। फिर लगा कि विभिन्न उत्सवों में इतने सारे उत्सवों में न जाने के कारण बहुत सारे गैर-सरकारी लोग रहते हैं लेकिन जब भी जागो सवेरा। 

           इसके साथ-साथ 23 और 24 दिसंबर को दो सत्र आए, जो फिल्मों से संबंधित थे - एक तो ब्रह्मानंद जी की राहुल देव बर्मन की तैयारी के दौरान उनके शोध में शामिल हुए दिग्गज तन्मयता से नजर आए और खचाखच हॉल में उनके अनूठे संगीत की यात्रा हुई। रचना के साथ जब देखा तो न समय का पता चला और न ही कहां क्या हो रहा है पता चला, बहुत ही आनंद आया। 

      ऐसे ही दूसरे दिन 24 दिसंबर को धूमकेतु के आकाशवाणी के जाने वाले यूनुस खान जी द्वारा पोस्ट किए गए अवशेष जी के अवशेष लेकर चले गए शोध - जब एक-एक करके उनकी जीवन यात्रा और उनकी यात्रा के बारे में पोस्ट किया गया। तो पता नहीं चला कि समय कहां गया और पूरे हॉल के लोग भी साथ-साथ गीत गा रहे थे। आवाजें गूँजती थीं। मेरे अनुभव के अनुसार एक लाजवाब अभिनेता थे। उनके स्मारकों में से एक गोपाल शर्मा और श्वेतावृथ ने अपनी आवाज दी थी जो आपके घर में थी।

          यूनुस जी से मिलने का मेरा पूरा मन था इसलिए वह कोई सेलिब्रिटी नहीं हैं बल्कि वह मेरे भाई अजय ब्रह्मात्मज के पारिवारिक सदस्य हैं, लेकिन समयाभाव और उनके अन्य काम कार्यक्रम में प्रोत्साहन ने अपना यह पद नहीं दिया। मेरी उनकी पत्नी ममता सिंह से हुई मुलाकात बहुत अच्छी लगी।

          इसी अवसर पर रंजना यादव की किताब "मैट्रो का पहला डिब्बा" का कवर पेज लॉन्च किया गया। जो दिल्ली की बुक मॉल में उपलब्ध होगी।