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शनिवार, 19 जुलाई 2014

ये उत्तर प्रदेश है !

                       

                                             ये उत्तर प्रदेश है , जहाँ के नेताजी औरतों की अस्मत से खेलने को: लड़कों के जवान खून है - गलती हो जाती है कहकर उनकी पीठ थपथपाने का काम कर चुके हैं। इतना ही नहीं नेताजी की कही बात को संयुक्त राष्ट्र संघ में भी संज्ञान में लिया गया था।   उत्तर प्रदेश में बढ़ते हुए दुष्कर्म के मामले क्या इसी बात सबूत नहीं है कि ' सैया  भये कोतवाल अब डर काहे का.  '
                                             दिल्ली की निर्भया काण्ड से पूरा देश नहीं बल्कि विश्व के हर कोने से आवाजें उठीं थी।  विदेशों में रहने वाले भारतीयों के सिर शर्म से झुक गए थे।  फिर क्या हुआ ? कहीं कुछ कमी आई नहीं , फिर मुंबई का शक्ति मिल काण्ड वह भी  एक नहीं बल्कि दो दो बार एक ही जगह पर।  इन सिरफिरों की हिम्मत तो देखिये।  उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दुष्कर्म काण्ड हो रहे है शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा जिस दिन अख़बार में दो से लेकर चार तक दुष्कर्म के समाचार न आते हों।  फिर उनमें से कितने आगे बढ़ते हैं ये बात और है और कितने दबंगों के प्रभाव में सामने आ ही नहीं पाते हैं।  फिर हमारे मुख्यमंत्री महोदय कहते हैं कि  क्यों सिर्फ उत्तर प्रदेश के मामलों को सुर्ख़ियों में लाया जाता है. क्या कहीं और दुष्कर्म के मामले नहीं होते हैं।  हाँ होते हैं लेकिन वहां के जिम्मेदार नेता  उनकी पीठ नहीं थपथपाते हैं।  सिर्फ कुछ ही दिनों में हुए चर्चित मामलों पर एक नजर डालते हैं --

दैनिक जागरण के साभार
   इन आंकड़ों को मैं उल्लिखित भी करती हूँ क्योंकि प्रकाशित सामग्री शायद उतनी सुविधा जनक न लगे। 
१८  जुलाई : मोहनलालगंज के एक स्कूल में दुष्कर्म के बाद युवती की नृशंस हत्या। 

१८ जुलाई : अलीगढ के देहलीगेट क्षेत्र की सगी बहनों को अगवा करके हाथरस में दुष्कर्म।  आरोपी दुष्कर्म के बाद हाथरस  जंक्शन पर छोड़कर भाग गए। 

१३ जून : बदायूं के बिसौरली में महिला को  बंधक बनाकर उसके बच्चों के सामने सामूहिक  दुष्कर्म।  


११ जुलाई : हाथरास के सिकन्दरामऊ की नवविवाहिता को इटावा स्थित ससुराल से ५ युवक अगवा करके लाये । ३ और दोस्तों के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया और घर के बाहर  छोड़ गए।  १४ जुलाई को घर में जिन्दा जला  दिया।
११ जून: बहराइच के रानीपुर में  साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या।  शव को अमरूद के पेड़ पर टांग कर आरोपी फरार। 

४ जून : अलीगढ में महिला जज के आवास में घुस कर दुष्कर्म और हत्या का प्रयास। 

३ जून : बरेली में सामूहिक दुष्कर्म के बाद लड़की को तेज़ाब पिलाया , फिर गला घोंट कर हत्या। 

२ ८ मई : बदायूं  के कटरा सआदतगंज में दो किशोरियों को सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर पेड़ से लटकाया। 

२१ मई : अलीगढ में दुष्कर्म में नाकाम  होने पर युवती को जिन्दा जलाया। 

मासूमों पर कहर :

८ जुलाई : आगरा के छटा में घर में घुसकर बालिका से दुष्कर्म। 

२६ जून: बहराइच के विशेश्वरगंज में आम बीनने गयी ११ वर्षीया बालिका की दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या। 

२२ मई : अम्बेडकरनगर के अहिरौली थाना क्षेत्र के रामनगर जमदरा में कक्षा आठ की छात्रा से दुष्कर्म। 

२० मई : आगरा  के सैया क्षेत्र के किशोर ने बच्ची से किया दुष्कर्म।

७ अप्रैल: आगरा में आठवीं की छात्रा को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म । 

 ५ अप्रैल : आगरा  में कार सवारों ने छात्रा को अगवा कर क्या दुष्कर्म । 

 १२ मार्च : बहराइच के नानपारा में शादी के दौरान वीडिओ देखने गयी एक १० वर्षीया बालिका के साथ बाग़ में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या।  पुलिस ने दुष्कर्म के बजाय चोट पहुंचा कर हत्या दर्ज की . 

१४ फरवरी : रामपुर के शहजादनगर में कक्षा नौ की छात्रा से दुष्कर्म में नाकाम होने पर गला दबा कर हत्या।  

१३ फरवरी : शादी में आई मासूम को अगवा करके दुष्कर्म।  न्यू आगरा में अमर विहार पुलिस  खून  लथपथ मिली बच्ची।  

रक्षक बने भक्षक :

२४ जून : रामपुर में महिला सिपाही ने हाथरस में तैनात सिपाही के  साथ दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कराया। 

१७ जून : इलाहबाद शिवकुटी के दो सिपाहियों पर नौकरी का झांसा देकर युवती से दुराचार का  आरोप।

१५ जून :  सोनभद्र में सिपाहियों ने रायपुर थाना क्षेत्र में सो रही महिला की अस्मत लूटी। 

१२ जून : हमीरपुर में पति से मिलने थाने  पर गयी महिला से दरोगा और चार सिपाहियों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप। 

२९ मई : अलीगढ के सिविल लाइंस थाना परिसर में स्थित सरकारी आवास में एसओजी के सिपाही ने बच्चों को ट्यूशन पढने वाली युवती  से दुष्कर्म। 

१९ मई : अलीगढ के बन्नादेवी क्षेत्र में महिला के साथ सिपाही ने साथियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।  


शनिवार, 12 जुलाई 2014

गुरु ने ली मेरी परीक्षा !

                                 गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता लेकिन गुरु भी अपने शिष्य को जीवन में कई कसौटियों पर कसा करते हैं।  जब हम पढाई करते हैं तो शिक्षक परीक्षा लेते हैं और हमारी दी हुई परीक्षा के आधार पर हमें पास करते जाते हैं।  वहां दी हुई परीक्षा चाहे हम पाठ  रट कर दें , नक़ल करते हुए दें या फिर  उनके दिए हुए ज्ञान को आत्मसात करके दें।  लेकिन गुरु प्रसन्न तभी होता है , जब उसका  दिया हुआ ज्ञान सार्थक होता है। 
                                 मेरे आध्यात्मिक गुरु मेरे फूफा जी ही थे . बचपन से जिनकी गोद में खेली और बड़ी हुई।  उनका विशेष स्नेह और पूजा के दिशा निर्देश सब को मैं सहज ही लेती थी क्योंकि वे हमारे परिवार से विशेष स्नेह रखते थे।  इत्तेफाक से बड़े होने पर शादी भी मेरी कानपूर में हुई और उनका सानिंध्य मुझे बराबर मिलता रहा।  कभी कोई परेशानी , समस्या सब के लिए हम उनके ही पास पहुँच जाते थे।  वह हमारी समस्या का समाधान भी बताते थे और उसके पीछे  के कारणों को भी बताते थे। 
                                 शादी के चार साल बाद मेरे परिवार की एक सदस्य बहुत बीमार पड़ी।   पीलिया और बोन टी बी के चलते वह सेमी कोमा में चली गयीं।  परिवार पर मुसीबत तो थी ही तो  घर में सलाह दी गयी की जाकर फूफा जी से  पूछो।  उनकी दो छोटी ५ - ३ साल की  बेटियां थी।  मेरी बेटी १ साल की थी।  अभी तो घर पर आई मुसीबत के लिए सारी जिम्मेदारी उठा ही रही थी , मैं उस समय एम एड भी कर रही थी।  कॉलेज जाना , घर सम्भालना और साथ ही मरीज को भी देखना था। 
                                 मैंने इस बारे में उनसे पूछा कि उनके ठीक होने के लिए क्या किया जा सकता है ? तो उन्होंने बताया कि इनका मारकेश चल रहा है , दोनों ही संभावनाएं हैं तुम बोलो क्या चाहती हो ? मैंने कहा - 'मैं चाहती हूँ कि वह ठीक हो जाएँ . कोई भी इंसान इतना बुरा नहीं  होता है दुनियां में कि  उसकी न रहने की बात जान कर हम कुछ सकारात्मक न का सकें।  ' 
                                  इस पर उन्होंने कहा - 'एक बात मैं तुम्हें स्पष्ट बता दूँ कि ये इंसान जिंदगी में कभी भी तुम्हारा भला नहीं चाहेगा और न होने देगा। ' 
                                  मैंने कहा - फूफा जी , उनकी दो छोटी छोटी बेटियां हैं , अगर कुछ होता है तो वे बिना माँ की हो जाएंगी और माँ की तरह  परवरिश कोई नहीं कर सकता।  आप कुछ भी बताइये मैं पूजा कर लूंगी। '
                                  फूफा जी बोले वह तो मुझे ही करनी पड़ेगी लेकिन मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रहा था कि हमारे साथ से तुमने क्या ग्रहण किया है ? आज मुझे पूरा संतोष है कि तुम्हारी सोच वैसी ही है जैसी मैंने तुम्हें दी है। '
                                   उसके बाद मेरे गुरु ने उनकी बीमारी अपने ऊपर ली और उनको पीलिया हो गया , वह भी काफी बीमार रहे और बाद में दोनों ठीक हो गए।  फूफा जी अब नहीं है लेकिन उनके द्वारा दी गयी दिशा और शिक्षा मेरा मार्गदर्शन आज भी कर रही है।