हम कम लिखें या नियमित लेकिन ब्लॉग की अपनी एक अलग जगह है , जो स्थायी है और संचित रखने वाली भी है। उससे अगर हम सिर्फ इसा लिए किनारा कर रहे हैं कि फेसबुक पर तुरंत प्रतिक्रिया प्राप्त होती है या फिर बहुत थोडा समय लेकर अपडेट पढ़कर सिर्फ लाइक करके भी है लेकिन कभी कभी कि लाइक न भी लिखा हो , किसी के निधन की खबर हो उसको लाइक करके हम क्या साबित करते है? ये अपने अपने विचार हैं आगे आगे देखिये कोई सोचता है क्या ?
भई सबसे पहली बात तो यह है कि अपने से कम शब्दों में सीधी बात कही नहीं जाती। या यूं कह लो, कि हमको यह कला आती ही नहीं है। शायद यही वजह है कि अब जैसे-जैसे फेसबुक जैसे सोशल साइट पर सभी ब्लॉगर का ध्यान ब्लॉग से ज्यादा लगने लगा है। वैसे-वैसे हमारे ब्लॉग पर कमेंट आना बंद होते जा रहे हैं। और यह केवल हमारी समस्या नहीं है, अपितु बहुत से ब्लॉगर इस समस्या से जूझ रहे हैं, जिसके कारण अब उन्हें ब्लॉग से ऊब होने लगी है। इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि ब्लॉग की अपेक्षा फेसबुक पर ज्यादा जल्दी रिसपोन्स मिलता है। इसलिए अब ज्यादतर ब्लॉगर फेसबुक पर ज्यादा लिखना पसंद करते हैं और ब्लॉग पर
कम, मुझे तो कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि ब्लॉग पर लिखने की सुविधा होने कि वजह से अब ब्लॉग लिखने वाले बहुत ज्यादा हो गए हैं और पढ़ने वाले बहुत कम, यह मैं अपने गूगल चाचा की मैहरबानी के तहत कह रही हूँ । क्यूंकि गूगल प्लस पर और मेल पर मुझे लगभग हर रोज़ 20 से 25 मेल आते हैं। जहां मुझ से अपने अपने ब्लॉग लिंक के साथ कमेंट लिखने का अनुरोध किया जाता है। मगर मेरे कमेंट कर देने पर भी, वह
सभी लोग कभी मेरे ब्लॉग पर नज़र नहीं आते और ऐसा एक बार नहीं बहुत बार हो चुका है। इसलिए मैंने अब ऐसे मेल पर कमेंट करना बंद कर दिया है।
इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे कमेंट का कोई लालच है। मगर इस बात से भी तो इंकार नहीं किया जा सकता ना कि एक सार्थक कमेंट ही एक ब्लॉगर की ऊर्जा है, उसका हौसला है, कुछ और अच्छा लिखने और ज्यादा लिखने की प्रेरणा है। आज मुझे ब्लॉग लिखते हुए 3 साल से ज्यादा का समय हो गया है। पर मैंने अपने इस ब्लॉग के सफर में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 60 कमेंट ही देखें हैं और अब तो संख्या दिन प्रति दिन गिरती ही जा रही है। जिसके कारण अब ना तो लिखने में मन
लगता है और ना ही पढ़ने में, हालांकी अच्छे ब्लॉगर का लिखा मैं आज भी ज़रूर पढ़ती हूँ। मगर अब उन सभी की संख्या भी धीरे धीरे कम हो चली है। अब उनके भी ब्लॉग पोस्ट महीनो में एक बार दिखाई देते हैं।
ऐसे में शायद फेसबुक ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जहां लोग तुरंत लिखकर तुरंत टिप्पणी पा जाते हैं। सो वहाँ बने रहने का ज्यादा फायदा महसूस होता है। हालांकि मेरा मानना तो यह है कि फेसबुक एक सोशल साइट के साथ-साथ एक सोशल क्लब के जैसा माध्यम हैं। जहां लोग हर रोज़ आकर अपने अपने मन की बात सांझा करते हैं ,बतियाते हैं और चले जाते हैं। यानि मनोरंजन का मनोरंजन और साथ में तुरत फुरत
ज्ञान फ्री :-) यहाँ तक के कभी-कभी तो कोई समस्या होने पर यहाँ उस समस्या का समाधान भी आसानी से मिल जाता है। फिर भला अब ब्लॉग पर कोई क्यूँ आयेगा या जाएगा। ऊपर से राजनीति ने तो यूं भी कोई क्षेत्र नहीं बक्शा है। मैंने सुना है यहाँ भी राजनीति चलती है, जिसका असर ब्लॉगर पर साफ दिखाई देता है। जो पहले रेगुरल टिप्पणी करते थे वह अचानक ही शांत बैठे हैं। अब तो कभी भूले भटके भी उन ब्लॉगर की कोई प्रतिक्रिया अपने ब्लॉग पर देखने को नहीं मिलती। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अचनाक ही आना प्रारम्भ किया और फिर एकदम से गायब हो गए जैसे किसी ने उनका हाथ पकड़ लिया हो कि अरे तुम वहाँ कैसे चले गए, वहाँ जा कर टिप्पणी लिखोगे तो समझो हमारे समूह से बाहर हो जाओगे :-)
ऐसे में केवल फेसबुक ही एकमात्र ऐसा माध्यम साबित हुआ है जहां किसी से किसी को कोई बैर नहीं है। सब अपनी मन मर्ज़ी के मालिक है। लेकिन इस सबके बावजूद भी मेरा सभी ब्लॉगर मित्रों से नम्र निवेदन है कि यदि आप सभी को अपने-अपने ब्लॉग से प्रेम है, तो कृपया एक बार फिर अपने साथ-साथ दूसरों के ब्लॉग पर जाकर भी उन्हें पढ़िये उस पर अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत कीजिये। ताकि एक बार फिर ब्लॉगर और ब्लॉग के बीच के आपसी संबंध पुनः मधुर होकर जीवित हो सके एवं सार्थक
विचारों का टिप्पणी के माध्यम से आदान प्रदान हो सके और उन्हें एक नयी दिशा के साथ-साथ न्याय मिल सके। याद रखिए हर ब्लॉगर अनमोल है। क्यूंकि कमियाँ सभी में होती हैं, किन्तु गुणों से भी इंकार नहीं किया जा सकता जय हिन्द ....
-- पल्लवी सक्सेना
(क्रमशः )
भई सबसे पहली बात तो यह है कि अपने से कम शब्दों में सीधी बात कही नहीं जाती। या यूं कह लो, कि हमको यह कला आती ही नहीं है। शायद यही वजह है कि अब जैसे-जैसे फेसबुक जैसे सोशल साइट पर सभी ब्लॉगर का ध्यान ब्लॉग से ज्यादा लगने लगा है। वैसे-वैसे हमारे ब्लॉग पर कमेंट आना बंद होते जा रहे हैं। और यह केवल हमारी समस्या नहीं है, अपितु बहुत से ब्लॉगर इस समस्या से जूझ रहे हैं, जिसके कारण अब उन्हें ब्लॉग से ऊब होने लगी है। इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि ब्लॉग की अपेक्षा फेसबुक पर ज्यादा जल्दी रिसपोन्स मिलता है। इसलिए अब ज्यादतर ब्लॉगर फेसबुक पर ज्यादा लिखना पसंद करते हैं और ब्लॉग पर
कम, मुझे तो कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि ब्लॉग पर लिखने की सुविधा होने कि वजह से अब ब्लॉग लिखने वाले बहुत ज्यादा हो गए हैं और पढ़ने वाले बहुत कम, यह मैं अपने गूगल चाचा की मैहरबानी के तहत कह रही हूँ । क्यूंकि गूगल प्लस पर और मेल पर मुझे लगभग हर रोज़ 20 से 25 मेल आते हैं। जहां मुझ से अपने अपने ब्लॉग लिंक के साथ कमेंट लिखने का अनुरोध किया जाता है। मगर मेरे कमेंट कर देने पर भी, वह
सभी लोग कभी मेरे ब्लॉग पर नज़र नहीं आते और ऐसा एक बार नहीं बहुत बार हो चुका है। इसलिए मैंने अब ऐसे मेल पर कमेंट करना बंद कर दिया है।
इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे कमेंट का कोई लालच है। मगर इस बात से भी तो इंकार नहीं किया जा सकता ना कि एक सार्थक कमेंट ही एक ब्लॉगर की ऊर्जा है, उसका हौसला है, कुछ और अच्छा लिखने और ज्यादा लिखने की प्रेरणा है। आज मुझे ब्लॉग लिखते हुए 3 साल से ज्यादा का समय हो गया है। पर मैंने अपने इस ब्लॉग के सफर में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 60 कमेंट ही देखें हैं और अब तो संख्या दिन प्रति दिन गिरती ही जा रही है। जिसके कारण अब ना तो लिखने में मन
लगता है और ना ही पढ़ने में, हालांकी अच्छे ब्लॉगर का लिखा मैं आज भी ज़रूर पढ़ती हूँ। मगर अब उन सभी की संख्या भी धीरे धीरे कम हो चली है। अब उनके भी ब्लॉग पोस्ट महीनो में एक बार दिखाई देते हैं।
ऐसे में शायद फेसबुक ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जहां लोग तुरंत लिखकर तुरंत टिप्पणी पा जाते हैं। सो वहाँ बने रहने का ज्यादा फायदा महसूस होता है। हालांकि मेरा मानना तो यह है कि फेसबुक एक सोशल साइट के साथ-साथ एक सोशल क्लब के जैसा माध्यम हैं। जहां लोग हर रोज़ आकर अपने अपने मन की बात सांझा करते हैं ,बतियाते हैं और चले जाते हैं। यानि मनोरंजन का मनोरंजन और साथ में तुरत फुरत
ज्ञान फ्री :-) यहाँ तक के कभी-कभी तो कोई समस्या होने पर यहाँ उस समस्या का समाधान भी आसानी से मिल जाता है। फिर भला अब ब्लॉग पर कोई क्यूँ आयेगा या जाएगा। ऊपर से राजनीति ने तो यूं भी कोई क्षेत्र नहीं बक्शा है। मैंने सुना है यहाँ भी राजनीति चलती है, जिसका असर ब्लॉगर पर साफ दिखाई देता है। जो पहले रेगुरल टिप्पणी करते थे वह अचानक ही शांत बैठे हैं। अब तो कभी भूले भटके भी उन ब्लॉगर की कोई प्रतिक्रिया अपने ब्लॉग पर देखने को नहीं मिलती। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अचनाक ही आना प्रारम्भ किया और फिर एकदम से गायब हो गए जैसे किसी ने उनका हाथ पकड़ लिया हो कि अरे तुम वहाँ कैसे चले गए, वहाँ जा कर टिप्पणी लिखोगे तो समझो हमारे समूह से बाहर हो जाओगे :-)
ऐसे में केवल फेसबुक ही एकमात्र ऐसा माध्यम साबित हुआ है जहां किसी से किसी को कोई बैर नहीं है। सब अपनी मन मर्ज़ी के मालिक है। लेकिन इस सबके बावजूद भी मेरा सभी ब्लॉगर मित्रों से नम्र निवेदन है कि यदि आप सभी को अपने-अपने ब्लॉग से प्रेम है, तो कृपया एक बार फिर अपने साथ-साथ दूसरों के ब्लॉग पर जाकर भी उन्हें पढ़िये उस पर अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत कीजिये। ताकि एक बार फिर ब्लॉगर और ब्लॉग के बीच के आपसी संबंध पुनः मधुर होकर जीवित हो सके एवं सार्थक
विचारों का टिप्पणी के माध्यम से आदान प्रदान हो सके और उन्हें एक नयी दिशा के साथ-साथ न्याय मिल सके। याद रखिए हर ब्लॉगर अनमोल है। क्यूंकि कमियाँ सभी में होती हैं, किन्तु गुणों से भी इंकार नहीं किया जा सकता जय हिन्द ....
-- पल्लवी सक्सेना
(क्रमशः )