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बुधवार, 13 मार्च 2013

हौसले को सलाम ! (3)

कुछ जिंदगियों का इतिहास इश्वर ऐसे रच देता है कि  खुद जीने वाला तो रो ही देता है और उससे जुड़े सब लोग रो देते हैं . फिर उस जीवन को जीने वाले में इतनी हिम्मत नहीं होती है कि  वह कल के बारे में कुछ सोचे और न भविष्य की काली  स्याही पुती कुंडली को कोई पढ़ पाता है. ऐसी ही एक जिन्दगी मेरे गिर्द जीने वाली वह महिला जिसे मैं बहुत सम्मान से देखती हूँ --


रेखा श्रीवास्तव 


                                   उसके बच्चे का कैंपस सलेक्शन हुआ तो मुझे सुबह ही फ़ोन किया था . उसे अपने कालिमा पुती कुंडली के अतीत और भविष्य के लिए एक हलकी सी किरण दिखलाई लेने लगी थी लेकिन इस किरण तक उसका सफर कितना भयावह रहा ? इस बात को हर कोई नहीं जानता  और जो जानता है वह भी पूरी तरह से नहीं जानता  है. उसके फ़ोन पर उसकी आवाज में जो ख़ुशी झलक रही थी वह उसके भविष्य के प्रति आशान्वित होने का संकेत दे रही थी .
                                मैं उसे तब से जानती हूँ जब से वह न किसी की बहू , पत्नी और माँ  भी नहीं थी सिर्फ एक नाम थी और इंसान थी . वह रिटायर्ड पिता की सबसे छोटी संतान थी और इकोनॉमिक्स में एम ए करने के बाद एक बैंक मैं नौकरी कर रही थी . पिता बीमार रहते थे और उसके चार भाई बहनों में दोनों भाई बड़े और बहने छोटी थीं . भाई पिता से अलग अपने जीवन में रम चुके थे और बहन और जीजाजी जिम्मेदारी को बांटने के लिए प्रयासरत थे. कुछ छल और कुछ धन की आड़ में उसका रिश्ता एक धनाढ्य परिवार में हो गया और शादी भी हो गइ . किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसे परिवार में शादी होगी . पॉश  इलाके में तीन मंजिला मकान , गाड़ियाँ और उच्च पदाधिकारी ससुर जी और  घर में  बड़ा बिजनेस भी  था जिसको उसके पति और देवर संभाल  रहे थे. .  धूमधाम से शादी की गयी थी . लोग उसकी किस्मत पर रश्क करने लगे थे.  वह भी अपनी किस्मत पर फूली नहीं समां रही थी .
                       वह घर  गयी उसको लगा कि  घर के लोग कुछ उससे छिपा रहे है , और फिर धीरे धीरे करके बातें सामने आने लगी . पति बहुत ख्याल रखते प्यार करते लेकिन वह ड्रग लेते थे. कुछ ही महीने बाद उसको   पता चला कि  वह माँ बनने वाली है . घर का माहौल बहुत ही अच्छा था और फिर  खबर से और भी बढ़िया हो गया . बेटे  के जन्म के बाद उसकी क़द्र और बढ़ गयी .  
                      उसका देवर कुछ अलग ही स्वभाव का था , बड़े घर के बिगडैल बेटे सा - कोई सुन्दर लड़की दिखी नहीं कि उसके पीछे कुछ भी कर  सकता था सिर्फ कुछ समय साथ रहने के लिये. उसको पति ने आगाह कर दिया था कि  उसके भाई से दूरी बना कर  रहे. 
                       फिर एक रात उसके पति को खांसी आनी  शुरू हुई तो फिर सांस ही रुक गयी . डॉक्टर को बुलाया गया लेकिन तब तक वह दूर जा चुका था . छह माह के बेटे की माँ और वैधव्य का कलंक . बूढ़े माँ बाप इस सदमे से और टूट  गए . माँ को फालिज मार गया . यद्यपि उसकी सास ने उसे सास नहीं बल्कि माँ  की तरह से गले लगा कर रखा . फिर रिश्तेदारों और आस पास के लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए . बहू बेटे को  और आधी संपत्ति लेकर अपने मायके चली जायेगी . घर वाले बेटे को लेकर बहू के घर वालों को कुछ पैसे देकर  शादी करने को कहेंगे . सारी  जिन्दगी लड़की ऐसे  ही तो नहीं रह सकती है. 
                   सास ने एक बड़ा निर्णय लिया और छोटे बेटे से बहू की शादी करने की घोषणा कर दी .बड़े बेटे की बरसी तक उन्होंने इन्तजार  किया और उसके बाद शादी करवा दी . यहाँ तक सब ठीक था लेकिन वह लड़की जो अपने देवर से दूरी बना कर रहती  थी और उसके चाल चलन से अच्छी तरह से वाकिफ भी थी . उसकी पत्नी बनने के अलावा  उसके पास कोई और विकल्प न था . माता  पिता के पास वह वापस नहीं जा सकती थी . वह विधवा के आवरण से बाहर  आ गयी लेकिन वह अपने पति को कैसे भूल जाती ? फिर भी वह उस देवर के साथ   मर मर कर जीने लगी . उसे पति का अधिकार दिया गया तो वह इनकार कैसे कर सकती थी ? उसको  इस पति से एक साल बाद एक बेटी हुई .
                वर्तमान पति ने शादी के बाद अपनी आदतों को छोड़ा नहीं बल्कि बढ़ गयी क्योंकि बिजनेस अब उसके हाथ में पूरी तरह से आ चुका था . उसके पैसे उडाने  की गति पर किसी का अंकुश  न रहा और फिर धीरे धीरे सब कुछ  उड़ाना  शुरू कर दिया . धीरे धीरे बिजनेस प्लाट , गाड़ियाँ और पिता के रिटायर्डमेंट के बाद मिला वह पैसा  जिसमें वह नॉमिनी था सब कुछ उड़ाना  शुरू कर दिया . रोकने पर पत्नी और माँ को ताना  देता कि  अगर  कहीं और शादी हुई होती तो इतना दहेज़  मिला होता . मेरे सर इस को मढ दिया गया . जब कुछ न बचा तो उधार  लेकर उड़ाना  शुरू कर दिया और लोग उसके घर और हैसियत देख कर उधार  देने लगे , जब नहीं चुकाया तो घर पर तागाजा करने के लिए आने लगे . माँ और पत्नी के गहने बेच कर कुछ उधार चुकाया गया . 
                 उसकी रईसों जैसी आदत ख़त्म तो नहीं हो सकी , मकान का किराया ही घर के खर्च का  जरिया   रह गया लेकिन उसको अपने नशे की आदत के लिए पैसे चाहिए होते और न मिलने पर आत्महत्या की धमकी देता . एक बेटे को खो चुकी माँ डर जाती और पत्नी को सिर्फ उस सिन्दूर की चिंता रहती जिसे वह दुबारा धोना नहीं चाहती थी . वह खुद नौकरी नहीं कर सकता था क्योंकि बड़े घर का बेटा  जो था . पत्नी को भी नहीं करने देता क्योंकि जैसे वह खूबसूरत लड़कियों और महिलाओं के पीछे भागता  रहा उसको शक था कि  उसकी पत्नी के पीछे भी लोग लगे रहेंगे . हर समय पत्नी पर निगाह रखता . पत्नी से उसकी बहन से पैसे मांगने को कहता और  उसके ममेरे भाई जो यू एस में थे , उनसे भी  पैसे माँगने के लिए मजबूर कर देता . वह सामान्य घर की बेटी जरूर थी लेकिन हाथ फैलाना उसे मंजूर न था . उसने घर के काम करने वालों को छुट्टी दे दी और खुद सब कुछ करने लगी जो पैसा बचता उसे पति को नशे के लिए दे देती जिससे घर में शांति रहे. लेकिन वह कब तक  चलता ? एक दिन सास को दिल का दौरा पड़ा और  वे चली गयीं .   घर के खर्चे किराये के पैसे से चलता था  , उसमें से भी उसे पंद्रह सौ नशे के लिए चाहिए थे. बच्चों को महंगे स्कूल से निकाल  कर एक सस्ते  स्कूल में डाल  दिया. बच्चे की प्रतिभा और लगन  देख कर स्कूल के प्रिंसिपल ने खुद ट्यूशन दी और फीस नहीं  ली . बच्चे बड़े हो रहे थे लेकिन वह नहीं चाहती थी कि वे किसी भी तरह से पिता के  रास्ते पर जाने की सोचे।   ७० साल के ससुर साइकिल से जाकर कहीं काम करने लगे . सब  बहू के हाथ पर रख देते . बेटा बड़ा हो रहा था और वह छुट्टियों में ट्यूशन करके अपनी पढाई के लिए पैसे जमा कर लेता था . 
                      आज उसको लगने लगा की शायद आगे जिन्दगी कुछ बदलेगी क्योंकि उसके बेटे ने अपनी माँ को जो कुछ भी झेलते हुए देखा है  , कहता है कि माँ चिंता मत करो थोड़े दिन और फिर सब ठीक चलने लगेगा . बस  पढ़ लेने दो . अपनी पढाई के लिए मैं बैंक से लोन ले लूँगा.  उसके हौसले बुलंद रहे और उसका स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया और लोन लेकर पढ़ाई की । अब है कि उसको  इस आशा की किरण के सहारे जीने की शक्ति दे दी । 
        




14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मार्मिक कहानी,सार्थक संदेश.

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  2. आह ...दुआ है अब सब ठीक हो जाए.

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  3. ज़िन्दगी के रंग ढंग वाकई अजीब है ...आने वाला कल सुखद हो यही दुआ है..बस अब और कोई संकट न आये इसी शुभकामना के साथ

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  4. बस अब और नहीं …………ईश्वर सब सही करे और उसका जीवन खुशियों से भर दे।

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  5. ईश्वर की इच्छा से ही होता है जो होता है ... ओर वो ही सब ठीक करेगा ... होंसला है तो जरूर होगा ...

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  6. बहुत मार्मिक पोस्ट!
    साझा करने के लिए आभार!

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  7. देता है तो छप्पर फाड़ के देता है,
    लेकिन दुःख किसी-किसी हिस्से में ....
    उसी से क्या दुआ मांगू ......

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  8. संघर्ष में आस की किरण सदा ही दिखती रहती है।

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  9. बड़ी संघर्षमयी कहानी है जिसमें सदमे, दुःख और कठिनाइयां ही कठिनाइयां दिखाई देती हैं ! राहत की एक ही किरण दिखाई देती है कि बच्चे समझदार हैं और उम्मीद है कि बेटे की पढ़ाई खत्म होने साथ ही इनके जीवन के दुखों का भी अंत हो सकेगा ! हमारी शुभकामनायें उनके साथ हैं !

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  10. आशा की किरण hi jindagi ko जीने की शक्ति deti hai....

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  11. इश्वर से यही प्रार्थना है की वह उसको अब तो इस आशा की किरण के सहारे जीने की शक्ति दे.
    आमीन ...

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