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रविवार, 25 मई 2014

विश्व सीजोफ्रेनिया दिवस !

           वैसे तो हम अपने स्वास्थ्य के  सजग रहते हैं और अपने परिवार के प्रति भी - लेकिन कुछ बातें और चीजें ऐसी होती हैं कि हम कभी तो उसके बारे में जानकारी न होने पर और कुछ अपने बच्चे के बारे में दूसरों को पता न चले . ये हमारे समाज में आम मानसिकता है , के चलते किसी को बताते नहीं और गंभीरता से लेते भी नहीं है।   ये बीमारी मानसिक होती है और कई बार तो इसके चलते कई जिंदगी बर्बाद हो जाती है।वास्तव में ये एक गंभीर मानसिक रोग है। 

                              सीजोफ्रेनिया ये रोग आम तौर पर लोगों की जानकारी में नहीं होती है।  इस रोग के कारणों में कभी कभी ये मनोवैज्ञानिक , पारिवारिक या व्यक्तिगत तनाव , परिवार में , प्रियजन के साथ या फिर मित्र मंडली में कुछ अप्रिय घटनाओं के घटित होने से , सामाजिक प्रभाव और इससे भी बढ़ कर जेनेटिक प्रॉब्लम भी हो सकती है।  अपने ही जीवन में अवसाद , तनाव या किसी  तरह के काम्प्लेक्स से शिकार बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं।   इस में दिमाग  बायो केमिकल परिवर्तन , मस्तिष्क के चेतन तंतुओं के मध्य होने वाले रासायनिक तत्वों के परिवर्तन विशेषरूप से डोपामाइन नाम के केमिकल में परिवर्तन भी इसका कारण  हो सकता है ।   डोपामाइन केमिकल हमारी सोच को प्रभावित  करता है और इसके असंतुलन से ही व्यक्ति सीजोफ्रेनिया का शिकार हो जाता है।   इसका आरम्भ किशोरावस्था में होता है और सामान्यतौर पर इसको हम किशोर के जीवन में होने वाले सामान्य परिवर्तन के तौर पर इसको लेते हैं और इसके प्रति गंभीर नजरिया नहीं रखते हैं।  खुद इसके शिकार को इसके विषय में जानकारी नहीं होती हैं और विश्व में लगभग १ प्रतिशत लोग इस से ग्रस्त पाये जाते हैं।  
                                 सीजोफ्रेनिया दिमाग की एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग  अपना काम ठीक से नहीं कर पाता और इससे मरीज की स्वयं सोचने - समझने की शक्ति क्ष्रीण  हो जाती है और  फैसला नहीं ले पाता है साथ ही उसकी मानसिकता ये हो जाती है कि  उसे महसूस होता है कि दूसरे लोग उसके खिलाफ साजिश रच  रहे हैं।  उसके अकेले में डर  लगता है और हर एक को वह संदेह की  नजर से देखता है।  खुद अपना ध्यान नहीं रखता है।  समाज से खुद कट कर रहने लगता है , समूह में बैठना  या फिर दूसरों की बातों में उसे कोई रूचि नहीं रह जाती है।  
                                 ऐसे मरीज के बारे  जानकारी होने पर उसे उचित इलाज की जरूरत होती है।  उसके सही इलाज और देखभाल से वो सामान्य जिंदगी जी सकता है।  इसके लिए डॉक्टर के उचित परामर्श और दवा के विषय  सावधानी बरतनी पड़ती है।  डॉक्टर के  सलाह के बिना दवा कभी बंद नहीं।   परिवार वालों  ध्यान रखना चाहिए।  
                                 जानकारी के अभाव में जो की हमारे समाज में अभी  इतनी जागरूकता नहीं आई है - इस तरह के मरीज को जादू टोना , भूत प्रेत का शिकार मान लेते हैं और फिर उनको उसी तरह के इलाज मुहैय्या करते हैं।  इसके विषय में एक उदाहरण मेरे पारिवारिक मित्र के बेटे जो CA है का विवाह जिस लड़की से हुआ वह सीजोफ्रेनिया की शिकार थी और यहाँ आते ही उसके लक्षण प्रकट होने लगे।   उसको मायके  थे भेज दिया गया।  ससुराल वाले उसको बुलाने के लिए तैयार नहीं थे और उसका दूसरा विवाह करने की तयारी भी करने लगे , लेकिन उस के पति की समझदारी थी कि  वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ और उसको लेकर आया सही मार्गदर्शन  मिलने पर उसने सही ढंग से इलाज करवाया और  वह आज ३ बच्चों की माँ है और उसको पता है कि वह सीजोफ्रेनिया का शिकार है।  समय से दवा लेती है और बच्चों का पालन कर रही है।  
                                 

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