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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

हरियाली तीज !


                 



  हरियाली तीज का उत्सव सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह नाग पंचंमी के दो दिन पहले होता है और यह उत्सव भी सावन  के अन्य उत्सवों की तरह से महिलाओं का उत्सव है। सावन में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी हरी दिखलाई देती है और ऐसे में किसी का भी मन उस प्रकृति के बीच नाचने और गाने का करता है। इसमें स्वभाव के अनुसार महिलायें उल्लसित मन से इस तीज पर सज संवर कर , हाथों और पैरों में मेंहदी सजा कर अधिकतर हरी या रंग बिरंगी साड़ियों में और आभूषणों से सजी पेड़ों पर पड़े झूले पर झूलती हुई आपस में चुहल करती उत्सव को और हास परिहास से पूर्ण बनाती हैं।
                    सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत काफी मायने रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। रिमझिम फुहारों के बीच तन-मन जैसे नृत्य करने लगता है। महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। इस उत्सव में हर उम्र की महिलायें और लडकियाँ शामिल होती है।  नव विवाहित युवतियां प्रथम सावन में मायके आकर इस हरियाली तीज में सम्मिलित होने की परम्परा है। हर‌ियाली तीज के द‌िन सुहागन स्‍त्र‌ियां हरे रंग का ऋृंगार करती हैं। नवविवाहिता लड़कियां अगर अपने मायके में होती है तो ससुराल से उनके लिए श्रृंगार का सामान , आभूषण , सजे हुए कपड़े और मिठाई आदि भेजी जाती है और अगर वह अपनी ससुराल में होती है तो मायके से उसके लिए यही सब सामान भेजा जाता है , जिसे वह अपनी सास या घर की अन्य बुजुर्ग महिलाओं को देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।  उत्तर प्रदेश में जो सामान वधु या बेटी के लिए भेजा जाता है उसे श्रावणी कहते हैं।             
                               हरियाली  तीज के अनेक भागों में मनाई जाती है, परन्तु राजस्थान के जयपुर में इसका विशेष महत्त्व है। तीज का आगमन भीषण ग्रीष्म ऋतु के बाद पुनर्जीवन व पुनर्शक्ति के रूप में होता है। यदि इस दिन वर्षा हो, तो यह और भी स्मरणीय हो उठती है। लोग तीज जुलूस में ठंडी बौछार की कामना करते हैं। ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होने पर काले - कजरारे मेघों को आकाश में घुमड़ता देखकर पावस के प्रारम्भ में पपीहे की पुकार और वर्षा की फुहार से आभ्यंतर आनन्दित हो उठता है। ऐसे में भारतीय लोक जीवन  हरियाली तीज का पर्वोत्सव मनाता है।

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (२५-०७-२०२०) को 'सारे प्रश्न छलमय' (चर्चा अंक-३७७३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. सुंदर ज्ञानवर्धक आलेख..👍👍

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  3. हरियाली तीज पर बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक लेख।

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.