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रविवार, 23 मार्च 2014

शहीद दिवस !

                     
          शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,   
       वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा !


                       भगत सिंह , सुख देव और राजगुरु  -- आजादी के इन दीवानों ने खुद को होम कर दिया और उनकी आहुति की तपन से ही अंग्रेजों के इरादे जल कर राख हुए , वह बात और है कि इन मरने वालों को श्रेय कितना दिया जाता है ? नहीं जानते हैं कि इस वर्ष चुनाव की आंधी में उड़ रहे नेताओं को ये सुधि भी होगी कि नहीं आज जिस चुनाव में वे जीतने का सपना देख रहे हैं उस की जमीन जिन्होंने तैयार की थी -- वे आज के दिन ही फाँसी चढ़ा दिए गए थे . उनको  श्रद्धा से स्मरण  करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गर्व महसूस होता है कि हम उस जमीन पर रहते हैं जहाँ पर ऐसे देशभक्त हुए हैं।  

        आज के दिन किसी भी अखबार में देखा कि किसी मंत्रालय ने या किसी सरकार ने इन तीनों वीरों भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव की शहादत के दिन को याद करते हुए कुछ ही शब्दों में श्रद्धांजलि अर्पित की हो। हाँ एक अख़बार "अमर उजाला " में जरूर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिया गया एक श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए तीनों के चित्र सहित मिला।  ये पत्र पत्रिका में कुछ संवेदनशील लेखक और मीडिया इसको याद कर लेती हें . हो सकता है कि हमारे सांसदों और विधायकों को ये पता भी न हो कि आज के दिन को शहीद दिवस कहा क्यों जाता है? आने वाले समय में हमारी भावी पीढ़ी इस बात को बिल्कुल ही याद नहीं कर पायेगी क्योंकि कभी स्कूलों में ऐसे दिन कोई याद करने जैसी बात तो होती ही नहीं है कि प्रारंभिक कक्षाओं में ही बच्चों को शिक्षक इन शहीदों के बलिदान दिवस पर कुछ मौखिक ही बता में भी कभी लघु कथा के रूप में और कभी पूरे पाठ के रूप में देश के इन शहीदों की कहानी होनी चाहिए। इस देश की स्वतंत्रता के इतिहास के ये नायक गुमनाम न रह जाएँ।
इन्होने किस जुल्म में अपने को फाँसी पर चढ़ा दिया ये भी तो बच्चों को पता होना चाहिए। कहीं ये सब कालातीत तो नहीं हो चुका  है । ऐसा विचार मेरे मन में क्यों आया? क्योंकि अब तो  पब्लिक स्कूल की संस्कृति में ऐसा कुछ बताने की जरूरत नहीं समझी  जाती है।  उनके बलिदान को जब हम भूल रहे हैं तो फिर आने वाले समय में इतिहास से वह पन्ने कब निकल कर रद्दी का हिस्सा बन  जाएगा कोई नहीं जानता। हम जो यह सब जानते हैं इस विरासत को अपने घर के बच्चों को जरूर बताएं।  देश के प्रति और हमारी स्वतंत्रता के लिए बलिदान करने वालों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि  यही होगी। 


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