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मंगलवार, 20 मई 2014

माँ तुझे सलाम ! (७)

                                 माँ के प्रति लगाव और उनकी यादें कभी भी कल की तरह नहीं होती हैं।  वो आज साथ हों  न भी हों लेकिन हमारे लिए दिल और दिमाग से कब जाती हैं ? उनके दिए मूल्य और संस्कार उनके बाद भी हमारे व्यवहार और व्यक्तित्व में सदैव विद्यमान रहती हैं।  ये भाव कभी भी किसी भी संतति में जाती नहीं होगी ये मेरा अपना विचार है।  ऐसा ही कुछ अपने संस्मरण में कह रही हैं : विभा रानी श्रीवास्तव









आकाश को कागज और  मुन्दर को स्याही बना लिया जाए और तब कोई रचना की जाए तो भी , पापा - माँ की और उनलोगों के ममता की , वर्णन नहीं किया २० अगस्त मेरे लिए मनहूस दिवस उस दिन मेरी माँ की पुण्य-तिथि होती है ! मेरी माँ को गुजरे 35 साल गुजर गए .... मैं आभारी हूँ ,अपनी जन्मदात्री की .... !! 15 वर्ष तो गुजर गए .... नकचढ़ी - मनसोख बेटी बने रहने में .... माँ कुछ भी सिखाना  मेरी माँ को गुजरे 35 साल गुजर गए .... मैं आभारी हूँ ,अपनी जन्मदात्री की .... !! 15 वर्ष तो गुजर गए .... नकचढ़ी - चाहती , उसमें मेरा टाल-मटोल होता , किसी दिन .... किसी दिन ,अगर चावल चुनने बोलती , मेरा सवाल होता *आज ही बनाना है .... ? तब , तभी मुझे पढ़ना होता .... मुझे जब जो चाहिए ,तभी चाहिए होता .... पापा का नाश्ता-खाना निकलता ,उसी में मुझे खाना होता .... पापा के खाना खा के उठने के पहले ,मुझे उठ जाना होता .... अलग खाने से या पापा के खाने के बाद , उठने से थाली हटाना होता .... जो मुझे मंजूर नहीं होता ,भैया जो नहीं हटाता .... !! (छोटी सी घटना :- मैं ,स्कूल के ,15 अगस्त के झंडोतोलन की हिस्सा थी .... मुझे नई ड्रेस चाहिए थी(वो तो एक बहाना था ,मुझे तो रोज नई चाहिए होता था) ....11अगस्त को स्कूल से आकर शाम में बोली मुझे नयी ड्रेस चाहिए....13अगस्त को शाम में नयी ड्रेस हाजिर .... लेकिन गड़बड़ी ये थी मुझे चुड़ीदार पैजामा चाहिए था वो सलवार था .... रोने-चिल्लाने के साथ सलवार के छोटे-छोटे टुकड़े कैंची से कर दी .... मझले भैया के बदौलत 14अगस्त को शाम तक नई चुड़ीदार पैजामा हाजिर .... :D) पापा ज्यादा प्यारे लगते , वे अनुशासन नहीं करते .... भैया माँ को चढ़ाते , ई *बबुआ के दूसरा के घरे जाये के बा , लड़की वाला कवनों गुण नइखे , हंसले त छत उधिया जाला* ..... माँ की भृकुटी क्यों तनी रहती , मैं आज तक भी नहीं समझी , मैंने बेटी नहीं *जना है .... लेकिन भैया के मरने के साथ , आपका आत्मा से मरना खला है .... एक बेटी-एक बहन ,एक समय में दोनों की माँ की भूमिका अदा की है .... एक हथेली की थपकी , भाई(बहुत छोटा था,रोने लगता था) जग न जाए.... एक हथेली की थपकी ,माँ कुछ पल सो जाय .... और हर रात मेरी जागते कट जाती ..... आप ये नहीं सोचीं ,बचे हम , चारो(भाई-बहन) को भी आपकी जरुरत होगी .... आप ये क्यों न सोची .... जो चला गया वो आपका न था , जो आपका था , आपके साथ था .... कुछ तो सोची होती .... !! जब मेरी शादी हुई .... , बिदाई के वक्त ,घर-भराई के चावल , आपके आँचल के मोहताज रहे .... जब पग-फेरे के वक्त या जब-जब घर आई , आपके आलिंगन की मोहताज रही .... जिन्दगी ने जो लू के थपेड़े दिए , आपकी ममता ,शीतल छाँव तो देती .... 54 की हूँ दिमाग कहता है , आज तक , आप ना होती .... दिल करता है .... आप होतीं ,गोद में सर रख , रोती-खिलखिलाती-सोती .... आपको ,किसने हक़ दिया , आप मेरे गोद में ,चिरनिंद्रा में सो गईं .... माँ - मार्गदर्शिका ,सखी खो गई .... !! आपने बीच मंझधार में छोड़ा है .... माँ ,मैं जो हूँ .... जैसी हूँ .... आपने गढ़ा है .... !! अभिमानि नही स्वाभिमान से जीना सीखा गई बदला का चाहत नही ,प्यार देना देना सीखा गई !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. दर्दनाक कहानी एक नकचढ़ी लड़की की, न भुलाये जाने वाली !
    मंगलकामनाएं उस लड़की को !

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, धन्यबाद।

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  3. माँ की कमी दुनिया की सबसे बडी कमी है एक बच्चे के लिये । खासतौर पर जब वह बिना माँ के बडा होता है । मार्मिक उद्गार ।

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  4. संस्मरण के हर शब्द से मन की पीड़ा छलकाती है ! माँ जैसा कोई हो ही नहीं सकता ! बहुत सुन्दर !

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  5. ma ....aur ma ki mamta ke bina sab kuchh suna ....marmik prastuti ......

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  6. भावपूर्ण ... मन को छूती हुयी प्रस्तुति ...

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  7. माँ के आँचल की छाँव में सबसे बडा सुख होता है …भावप्रवण

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  8. बहोत ही भावपूर्ण संस्मरण .....

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  9. दीदी के साथ सभी का तहे दिल से धन्यवाद

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.