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मंगलवार, 22 अगस्त 2017

मशीन अनुवाद - 5


              मशीन अनुवाद सिर्फ सीधे सीधे वाक्यों के अतिरिक्त भी होता है. अगर हम किसी भी शासकीय पत्र को लें तो उसके लिखने का तरीका और उसकी शब्दावली अलग होती है. इसमें हर शब्द का एक अलग अर्थ हो सकता है. इसके लिए एक अलग शासकीय शब्दों का भण्डारण करते हैं और जब ऐसे पत्रों का अनुवाद होता है तो उसी को प्रयोग करते हैं. वैसे भी हम दैनिक जीवन में भी शासकीय शब्दावली को अलग प्रयोग में लाते हैं बल्कि सिर्फ शासकीय ही क्यों? मेडिकल , फिजिक्स , केमिस्ट्री सभी विषयों के लिए अलग शब्दावली का प्रयोग होता है.
             साधारण में हम " To " का प्रयोग परसर्ग के रूप में करते हैं और इसका अर्थ "को/से"  से लेते हैं लेकिन पत्रावली की भाषा में हम इसको "सेवा में" या "प्रति" के रूप में लेते हैं. मशीन अनुवाद में भी अगर हम पत्रों का अनुवाद करते हैं तो इसको ही प्रयोग करते  हैं.
             इसके साथ ही हम पत्र  में  यदि संक्षिप्त संकेतों का प्रयोग भी करते हैं तो उसका  विस्तृत रूप अनुवाद में प्राप्त होता है.
अंग्रेजी में हम "Ref :" ही लिखते हैं लेकिन अनुवाद करने के लिए मशीन इसको इसके पूर्ण रूप में विस्तृत करके ही अनुवाद देती है. "Ref :" का अनुवाद हमें "सन्दर्भ " ही मिलेगा कुछ और नहीं. सम्पूर्ण पत्र की भाषा को ये शासकीय भाषा में ही अनुवाद करती है.
           इससे हमें ये फायदा होता है कि कई स्थानों पर आने वाले पत्रों की भाषा और अंग्रेजी का गहन ज्ञान न रखने वाले लोगों के लिए भी ये सहज हो  जाता है कि अन्य विभागों से प्राप्त हुई सामग्री का वे अनुवाद करके ठीक से समझ सकते हैं. यहाँ भी द्विअर्थी शब्दों के लिए वही नियम प्रयोग में लाया जाता है  जैसे  कि  अगर हम शासकीय सामग्री का अनुवाद कर रहे हैं तो उसके लिए शासकीय शब्दकोष को प्रयोग करते हैं ताकि उससे अधिक विकल्प प्राप्त न हों.
                       जब हम हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद की बात करते हैं तो   एक प्रश्न हमसे पूछा जाता है कि क्या हमारी मशीन "गया गया गया" का सही अनुवाद दे सकती है. तो हमारा यही उत्तर होता है कि हाँ वो एकदम सही अनुवाद ही प्रस्तुत करेगी. वाक्य विन्यास के अनुसार ही अनुवाद भी होता है. इसमें प्रथम शब्द कर्ता  दूसरा कर्म और तीसरा क्रिया होगा. अतः हमें प्राप्त होने वाला अनुवाद "Gaya went to Gaya " ही होगा. यहाँ हम यह भी बता दें कि अगर कोई शब्द संज्ञा है और उसको हम व्यक्ति , स्थान और क्रिया तीनों रूपों में प्रयोग करते हैं तो भी हमारी मशीन उसको सही ढंग से प्रस्तुत कर देती है.
                       हाँ इसकी कुछ सीमायें भी हैं क्योंकि मशीन को पढ़ाने में हमने व्याकरण की शुद्धता पर भी ध्यान दिया है. इस लिए अगर हम कोई वाक्य अगर गलती से भी गलत लिख देते हैं तो वह हमें ये निर्देश देती है. " frame the sentence again " 
आज कल जो हमारी  मीडिया की भाषा हो गयी है या फिर हम जिसे fluent english कहते हैं उसमें व्याकरण की शुद्धता पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है.  अगर हम कभी किसी समाचार पत्र का कोई समाचार डालकर अनुवाद चाहते हैं तो हमें इस सीमा का ध्यान रखना होता है और अगर नहीं रखते हैं तो मशीन हमको याद दिला देती है. हर मशीन की अपनी सीमा होती है. चाहे हम उससे भौतिक कार्यों के लिए प्रयोग करें या फिर सॉफ्टवेयर  जैसी  चीज को प्रयोग करें. सीमा का तो हमें हर स्थान पर ध्यान रखना ही पड़ेगा. उसको हम उसकी कमजोरी नहीं मान सकते हैं बल्कि मनुष्य अधिक त्वरित कार्य करने वाली मशीन भले मनुष्य के वर्षों के प्रयास का फल हो फिर भी वह अगर मानव भूल का शिकार है तो वह उसको शुद्ध करके हमें नहीं दे सकती है. नियमानुसार वह इस बात के लिए इंगित कर सकती है और हमारे वाक्य को फिर से विन्यास कि सलाह दे सकती है.  वह मनुष्य से  द्रुत गति से काम करके वह मनुष्य के कार्य की गति को बढ़ा ही रही है. मानव भूल जैसी बात के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होता है क्योंकि वह जो भी हमने उसको सूचनाएं दे रखी हैं वह उन्हीं को प्रयोग करके हमें प्रदान कर देती है. 
                मशीन अनुवाद कैसे हमारे लिए दिन पर दिन उपयोगी बनता जा रहा है, इसको हम आगामी अंशों में देख सकेंगे.

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (24-08-2017) को "नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक" (चर्चा अंक 2706) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’क्रांतिकारी महिला बीना दास जी को नमन - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.