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मंगलवार, 3 सितंबर 2019

ओणम्

ओणम्
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       भारत भूमि पर अनेक धर्म और मतों के लोग रहते हैं और सबके अपने अपने त्यौहार हैं । कुछ त्यौहार सम्पूर्ण देश में मनाये जाते हैं और कुछ राज्य विशेष में अपनी अपनी आस्था के अनुरूप भी मनाये जाते हैं । ओणम् एक ऐसा ही त्यौहार है , जो केरल राज्य में मनाया जाता है और जो प्राचीन पौराणिक कथा के कथानक को जीवंत करते हुए मनाते हैं ।
        ओणम् मलियाली पंचांग के अनुसार वर्ष के पहले महीने चिंगम में जब थिरुवोनम नक्षत्र आता है तभी मनाया जाता है । यह दस दिनों का त्यौहार होता है और इसमें दीपावली के समान ही कुछ परम्परायें होती हैं । 
      वैसे तो इसको किसानों और नयी फसल से जोड़ कर भी माना गया है लेकिन यह सम्पूर्ण प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है । इसकी महत्ता देखते हुए इसे केरल राज्य का राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है और इस अवसर पर चार दिनों की छुट्टी होती है । यह अगस्त और सितम्बर के मध्य दस दिन का पर्व होता है और प्रत्येक दिन को अलग नाम दिया गया है और विशिष्ट रूप से उसकी तैयारी होती है । इसे चावल की फसल और वर्षा के फूलों का त्यौहार भी माना जाता है ।
   
   पौराणिक कथा 
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          इससे जुड़ी पौराणिक कथा राजा महाबली और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी है । तभी वामन देव ने महाबली का सारा राज्य दान में माँग कर उसे पातालवासी बना दिया था । यही मान्यता है कि ओणम् के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने और उनकी खुशहाली देखने के लिए आते हैं । उन्हीं के सम्मान में यह मनाया जाता है ।
        ओणम् के दस दिनों को विशेष नामों से जाना जाता है और प्रत्येक दिन अलग अलग कार्य सम्पादित किये जाते हैं । 

ओणम् के दस दिनों के नाम --

ओणम् के दस दिनों को विशेष नामों से जाना जाता है और प्रत्येक दिन अलग अलग कार्य सम्पादित किये जाते हैं । 
1. अथं - यह पहला दिन होता है , जब राजा महाबली पाताल से केरल आने के लिए तैयार होते हैं ।
2 - चिथिरा - फूलों का काली बनाना शुरू किया जाता है ,जिसे पूवक्लम कहते हैं ।
3 - चोधी - पूवक्लम में विभिन्न फूलों की अगली परत चढा़ते हैं ।
4 - विशाका - इस दिन से विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं शुरू होती हैं ।
5 - अनिज्हम - नौका दौड़ की तैयारी शुरू होती है ।
6 - थ्रिकेता - छुट्टियाँ आरम्भ हो जाती हैं ।
7 - मूलम - मंदिरों में विशेष पूजा शुरू होती है ।
8 - पूरादम - महाबली और वामन की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं ।
 9 - उठ्रादोम - इस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते हैं ।
 10 - थिरुवोनम - मुख्य त्यौहार होता है ।
ओणम मनाने की पद्धति --
                इस पर्व की मुख्य धूम कोच्चि के थ्रिक्कारा मंदिर में रहती है । इसके विशेष आयोजन पूरे दस दिन तक होते रहते है , जिनमें नाच गाना , पूजा आरती , मेला आदि होता है । इसको देखने के लिए देश - विदेश से सैलानीआते हैं ।
    ओणम में फूलों का विशेष कालीन बनाया जाता है  - जिसे पूवक्लम पहते हैं , इसमें फूलों की परत रोज चढ़ाई जाती है ।
      इसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है । इनमें केरल के लोक नृत्यों जैसे -- थिरुवातिराकाली , कुम्मात्तिकाली,कथकली , पुलिकाली आदि का विशेष आयोजन होता है ।
    इस त्यौहार में नौका दौड़ प्रतियोगिता  , जिसे वल्लाम्काली कहते है, की तैयारी जोर शोर से होती है । यह ओणम के बाद होती है लेकिन तैयारियाँ शुरू हो जाती है । यह विश्व प्रसिद्ध नौका दौड़ सिर्फ केरल में होती है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होती है ।
        ओणम्  चावल के घोल से घर के बाहर सजाया जाता है , घर को दीपावली की तरह रोशनी से सजाया जाता है ।
       ओणम चूंकि महाबली से जुड़ा त्यौहार है इस लिए दान का विशेष महत्व होता है । गरीबों को दान दिया जाता है ।
      ओणम के आठवें दिन महाबली और वामन की प्रतिमायें स्थापित की जाती हैं । उनकी पूजा अर्चना की जाती है ।
       ओणम के आखिरी दिन बनने वाले व्यंजनों को 'ओणम सद्या' कहते हैं , इसमें 26 प्रकार के व्यंजन बनाये जाते हैं और केले के पत्तों में परोसे जाते हैं ।
             वैसे तो ओणम दस दिनों का त्यौहार होता है किन्तु इसके बाद दो दिन और मनाया जाता है । इन दिनों में पहले दिन महाबली और वामन की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है और दूसरे दिन पूवक्लम को साफ किया जाता है ।
             

1 टिप्पणी:

  1. इस पर्व का नाम तो सुना था मगर विस्तार पूर्वक जैसा आपने बताया वो पढ़ना बहुत सुखद अलगा | आभार और शुक्रिया इसे साझा करने के लिए

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