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सोमवार, 27 सितंबर 2010

लगेंगे हर बरस मेले (शहीद भगत सिंह )!

           आजादी जिनके सिर पर जूनून बन कर बोली , वे उसकी तमन्ना में फाँसी पर झूल गए  और फिर गुलामी की  कड़ियों को एक के बाद एक शहीद अपनी शहादत से कमजोर करते चले गए. जब आजादी मिली तो शहीदों की कहानी इतिहास लिख चुकी थी और आजादी का सेहरा बांध कर जश्न कुछ और लोगों ने मना लिया और देश के भाग्य विधाता बन गए. इतिहास आज भी ये प्रश्न उठाता है कि अगर कुछ लोग चाहते तो भगत सिंह और कुछ लोगों की  फाँसी को रोका जा सकता था लेकिन उन लोगों ने नहीं चाहा.
                                   इस भारत के लाल का जन्म अखंड भारत के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में २७ सितम्बर १९०७ को हुआ था. (अब पाकिस्तान में है.) उनका परिवार क्रांतिकारियों का ही परिवार था , घर में चाचा और पिता में कोई न कोई जेल में ही बना रहता था. भगत सिंह के पिता किशन सिंह और माता विद्यावती थी. उनकी रगों में देशभक्ति लहू बन कर दौड़ रही थी.
                   भगत डी ए वी कॉलेज में पढ़ रहे थे, तभी लाला लाजपत राय, रास बिहारी बोस के संपर्क में आये. उनके संपर्क में आने का मतलब था कि देश के अतिरिक्त कुछ सोचना ही नहीं था. १९१९ में जब जलियाँवाला काण्ड हुआ तब भगत सिंह मात्र  १२ बरस के थे और इस गोलीकांड ने उनको इतना विचलित कर दिया था कि वे अगले दिन जलियाँवाला बाग़  जाकर उसकी मिट्टी उठा कर लाये और अपने जीवन में उसको यादगार के रूप में रखे रहे. इस काण्ड ने ही उनके मन में अंग्रेजों को भारत से भागने की भावना को दृढ बनाया.
                        गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रेरित हो कर हो उन्होंने स्कूल छोड़ा और आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने लगे, किन्तु चौरी-चौरा काण्ड के बाद जब गाँधी ने आन्दोलन वापस ले लिया तो वे क्षुब्ध हुए और तब उन्हें लगा कि ये अहिंसा का सिद्धांत उनके मनोबल और लड़ाई को कमजोर बनाने वाला है. इसके बाद उन्होंने आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष को अपना लक्ष्य बना लिया कि इसके बगैर वे अंग्रेजों को यहाँ से नहीं निकाल सकते हैं.
                     उन्होंने लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित नॅशनल स्कूल , लाहौर  में प्रवेश लिया और अपनी शिक्षा जारी रखी. ये स्कूल मात्र शिक्षा का केंद्र ही नहीं था अपितु वह क्रांतिकारी गतिविधियों का गढ़ था. वही उनकी मुलाकात भगवती चरण बोहरा, सुखदेव आदि से हुई.
                     विवाह से बचने के लिए वे घर से भाग कर कानपुर आ गए और यहाँ पर उनकी मुलाकात गणेश शंकर विद्यार्थी से हुई. क्रांति का आगे का पाठ  उन्होंने यही पढ़ा और पारिवारिक कारणों से घर वापस लौट गए. वहाँ पर उन्होंने "नौजवान भारत सभा" का गठन किया और  क्रांति का सन्देश फैलाना आरम्भ कर दिया. १९२८ में उनकी मुलाकात दिल्ली में चन्द्र शेखर आजाद से हुई और दोनों ने मिलकर "हिंदुस्तान  समाजवादी प्रजातंत्र संघ" नाम की संस्था का गठन किया और इसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति से देश को आजादी दिलाना रखा.
                     जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसके विरोध में पुलिस द्वारा उसमें लाला लाजपत राय के ऊपर जो बेरहमी से लाठी चार्ज किया गया. भगत उसके साक्षी थे और उसमें घायल होकर ही बाद में वे स्वर्ग सिधार गए. उन्होंने चन्द्र शेखर , राजगुरु, सुखदेव से मिलकर इस काण्ड के पुलिस प्रमुख स्कॉट को मारने कि योजना बनाई लेकिन भूलवश वह उसके सहायक सांडर्स को मार बैठे और लाहौर  से भाग निकले. इसके बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली का ध्यानाकर्षित करने के लिए बिना किसी को नुक्सान पहुंचाए असेम्बली में बम फोड़ा और इन्कलाब जिंदाबाद के नारे लगाये . इस अपराध में उनको गिरफ्तार कर लिया गया.भगत सिंह के कुछ गद्दार मित्रों ने सांडर्स काण्ड के लिए पुलिस के साथ मिलकर इन लोगों के खिलाफ गवाही दी. भगत सिंह और उनके मित्र चाहते थे कि उनको गोली मार दी जाय लेकिन उन्हें राजगुरु और सुखदेव के साथ फाँसी की सजा सुनाई गयी  और २३ मार्च १९३१ को उन लोगों को  फाँसी दी गयी.
                       वे अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित थे और अपनी मातृभूमि  के लिए शहीद हो गए. जब तक इस भारत भूमि का अस्तित्व है, वे सदैव नमनीय रहेंगे. आज उनके १०३ वें जन्म दिन पर हमारी उनको श्रद्धांजलि के रूप में ये लेख अर्पित है.

18 टिप्‍पणियां:

  1. श्रद्धांजलि...सच्ची श्रद्धांजलि दी आपने इस उम्दा आलेख के माध्यम से.

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  2. आपका आलेख वंदनीय है लेकिन आज के हालात को शाइराना नज़र से देखूँ तो लगता है कि शहीदों की आत्‍मा कहती होगी:
    हमें फिर से जरूरत है, उसी अंगार की लोगों
    मिली है जैसी आजादी, शहीदों ने न चाही थी।

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  3. शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर सभी शहीदों को नमन

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  4. शहीदों की चितावो पर लगेंगे हर बरस मेले , वतन पे मरने वालो एही बाकी निशां होगा.. भगत सिंह की देश भक्ति को नमन .

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  5. अगर कुछ लोग चाहते तो भगत सिंह और कुछ लोगों की फाँसी को रोका जा सकता था लेकिन उन लोगों ने नहीं चाहा.पता है यही लोग तो बाद मै देश के कर्णहार बने ओर देश की जो दुर्दशा आज है इन्ही के कारण है, लेकिन जनता को आज भी अकल नही आई, ओर उन्हे ही बार बार सर पै बिठाते है,भगत सिंह ओर अन्य शहीदो के मां बाप किन स्थितियो मै रहे यह आज तक किसी भी नेता ने नही बताया, क्योकि सब को पकी पकाई जो मिल गई थी, उन लोगो की स्थिति बहुत बुरी रही, जिन्होने हमे अनमोल आजादी दिलाई उन के मां बाप को क्या यही फ़ल देना था,शहीदो की चितांओ पर लगे हर बरस मेले, ओर उस मेले कि कमाई यह आज के नेता खायेगे,
    मेरे इन शहीदो को श्रद्धा पुर्ण नमन, यही थे सच्चे नेता, आप का लेख एक सच्ची श्रद्धांजिल है .धन्यवाद

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  6. अच्छी लेखन शैली में बढ़िया लेख लिखा है आपने !शुभकामनायें !!
    शहीदे आजम को श्रद्धांजलि !

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  7. saheed bhagat singh amar rahen...........!!

    unhe yaad karne ke liye didi bahut bahut dhanyawad!!

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  8. कैसे थे वे लोंग ...कई बार सोचकर आश्चर्य में पड़ जाती हूँ ...होंगे अभी भी , मगर उन्हें सही दिशा कौन दिखाए ..
    शहीदों को शत शत नमन ...

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  9. भगत सिंह के जन्मदिन पर शहीदों को नमन ......

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  10. सतीश जी,

    मेरे ब्लॉग पर आपका पहली बार आने के लिए धन्यवाद !

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  11. राज जी,

    हम आजादी के लिए उन्हीं के गुणगान करते आ रहे हैं, जिनके हाथ में सत्ता आ गयी. उस समय की राजनीति क्या थी? तब हम थे नहीं लेकिन कुछ तो पता कर रहे हैं और जल्दी ही कुछ खुलासे जो कम सेकम मैंने तो नहीं पढ़े और सुने थे. इन्तजार कीजिये............

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  12. शायद आने वाली पीढियाँ ये तकीन न करें कि कभी ऐसे भी लोग थे जैस आज कुछ लोग राम कृ्ष्ण को कालपनिक कहते हैं\ाच्छा लगा आलेख। स. भगत सिंह को शत शत नमन।

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  13. "जब तक इस भारत भूमि का अस्तित्व है,
    वे सदैव नमनीय रहेंगे."
    शहीदों को शत शत नमन
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    इस लेख के माध्यम से आपने सच्ची श्रद्धांजलि दी
    शुभकामनायें !!

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  14. शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर सभी शहीदों को नमन!

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  15. शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी को उनके १०४ वे जन्म दिवस पर शत शत नमन करता हूँ !

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  16. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  17. bahut sundar post ... kal aapki yah post charchamanch par hogi... aapkaa. abhaar ..
    sahid bhagat singh ko sat sat naman...

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.