नीति ने सुबह उठकर मोबाइल उठाया तो उसमें एक स्टोरी देख कर उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गयीं। वो थी उसकी ही सहेली मीता के द्वारा डाली गयी अपने ससुर की तस्वीर - आज पितृ दिवस के उपलक्ष्य में। अभी कल ही उनका गाँव में निधन हुआ है।
पिछले कई सालों से वह अपने पैतृक गाँव में छोटे भाई के सहारे रह रहे थे क्योंकि मीता और उनके पतिदेव को तो उनको रखना ही नहीं था। माँ के निधन के बाद कुछ ही महीनों में उनको गाँव भेज आये थे क्योंकि माँ थीं तो उनके सारे काम समेटे रहती थी। अब कौन करेगा और क्यों?
उनके निधन पर जरूर गाँव गए थे लेकिन उनके भाइयों ने खुद ही उनका अंतिम संस्कार किया। बेटा अपना हक़ तो पहले ही खो चुका था। अंतिम समय कई बार कहा भी कि मुझे यहाँ से ले जाओ मैं अपने ही घर में मरना चाहता हूँ लेकिन वह घर तो अब बेटे के अनुसार ढल चुका था।
स्टोरी के साथ गाना लगा था - "चिट्ठी न कोई सन्देश। ...... " और कैप्शन था - "पापाजी आप इतनी जल्दी क्यों चले गए? आपके बिना हम अनाथ हो गये।"
मीता ने मोबाइल उठा कर पटक दिया। कोई इतनी बड़ी नौटंकी कैसे कर सकता है? शायद अपने फ्रेंड सर्किल में या दूर के रिश्तेदारों में अपनी छवि बनाने के लिए ?
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